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  • Prithviraj Chauhan Movie: पृथ्वीराज चौहान, फिल्म और  इस्लामिक देशों में बैन!

    Prithviraj Chauhan Movie: पृथ्वीराज चौहान, फिल्म और इस्लामिक देशों में बैन!

    Prithviraj Chauhan Movie

    Prithviraj Chauhan Movie: दिल्ली का गद्दी पर राज करने वाले सम्राट पृथ्वीराज चौहान जी के जीवन पर आधारित फिल्म आ रही हैं लेकिन इस फिल्म के आते ही विवादों का आना जारी हो गया, पहले देश के गृह मंत्री अमित शाह फिल्म देखने गए जिस पर राहुल गांधी ने उन्हे कश्मीर में हो रहे हमलों के लिए घेर लिया इसके बाद अब खबर आ रही कि इस्लामिक देशों ने इस फिल्म को बैन कर दिया हैं।

    देश में जब ताजमहल की तेजो महल बताने की कवायद चल रही हो, ज्ञानवापी और कुतुब मीनार के जरिए एक धार्मक बहस को बढ़ावा मिलने के समय पर, दिल्ली की गद्दी पर आखिरी हिन्दु शासक कह जाने वाले सम्राट पृथ्वीराज चौहान पर आ रही फिल्म (Prithviraj Chauhan Movie) को इस्लामिक देशों में इस फिल्म के विषय से असमत होकर बैन कर दिया, इस्लामिक देशों का ये कदम  पृथ्वीराज चौहान के जीवन की कहानाी को दबाने के समान हैं।

    कौन थे पृथ्वीराज –

    अगर आप पृथ्वीराज जी के इतिहास के बारे में जानना चाहते हैं (The Real History of Prithvi raj) तो एक बात समझिए कि जितनी बात उतनी कहानियां, पृथ्वीराज के बारे में सबसे ज्यादा ‘पृथ्वीराज रासो’ का जिक्र आता हैं जिसकी रचना चंद बरदायी ने किया था। चंदबरदाई कवि थे जो कि पृथ्वीराज की सभा में रहते थे, चंदबरदाई के बारे में सबसे प्रसिद्ध व्याख्यान तब मिलता हैं जब पृथ्वीराज अपनी आंख गंवाने के बावजूद उन्होंने मुहम्मद ग़ौरी को भरी सभा में मौत के घाट उतार दिया।

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    ” चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण,

    ता ऊपर सुल्तान है मत चुके चौहान।”

      शिहाबुद्दीन उर्फ़ मुइजुद्दीन मुहम्मद ग़ौरी उर्फ मुहम्मद ग़ौरी को पृथ्वीराज के शत्रु माना गया, इन दोनों के बीच हुए युद्ध को लेकर लोगों के बीच अलग मत रहते हैं जिसे कि कुछ लोगों का मानना है कि पृथ्वीराज ने गोरी को 16 बार हराया था और दूसरा पक्ष की पृथ्वीराज ने एक ही बार ग़ोरी को हराया और दूसरी बार वे खुद पस्त हो गए।

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    शुरुआती जीवन –

    पृथ्वीराज दिल्ली के तो राजा थे लेकिन वे अजमेर के राजा सोमेश्वर के बेटे थे। उनके पिता सोमेश्वर की शादी दिल्ली के राजा अनंगपाल की बेटी कमला से हुई, दूसरी बेटी की शादी कन्नौज के राजा विजयपाल से हुई जिनसे जयचंद पैदा हुए। इन्ही जयचन्द्र को धोखा देने वाला माना जाता हैं। और इन्ही की बेटी संयोगिता से पृथ्वीराज की शादी हुई थी। अनंगपाल ने बेटी कमला के बेटे पृथ्वीराज को गोद लिया, जयचंद इस बात से खुश नहीं थे।

     इतिहास को लेकर विवाद – 

    ‘पृथ्वीराज रासो’ को लेकर अनेक इतिहासकारों में भी अलग मत (The Real History of Prithvi raj) हैं हिन्दी के प्रसिद्ध इतिहासकार आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने ‘पृथ्वीराज रासो’ में बताए गए समय (संवत) से तत्कालीन इतिहास की घटनाएं मेल नहीं खाती हैं। इसी कारण इस पर विवाद हैं। ‘पृथ्वीराज रासो’ में शासन काल का समय 1177 से 1192 बताया जबकि तैमूर जो कि 200 साल के बाद शासन करने आए उनका जिक्र ‘पृथ्वीराज रासो में मिल जाता है जो कि संभव नही।

    ‘पृथ्वीराज रासो’ का पक्ष रखने वाले इतिहासकारों नें इसका कारण शक संवत और विक्रम संवत और इंग्लिश कैलेंडर में फर्क को बताया वर्तमान समय जिसे हम इंग्लिश कैलेंडर भी कह सकते हैं तो इससे 78 साल पीछे शक संवत और विक्रम संवत 57 साल आगे चलता है।

    कैसी है सम्राट पृथ्वीराज के जीवन पर आधारित फिल्म – 

    फिल्म (Samrat Prithvi raj movie Update) की बात करें तो निर्देशक चन्द्र प्रकाश द्विवेदी ने फिल्म के लिए 15 साल तक रिसर्च की लेकिन वे इसे पर्दे पर उकेर नहीं पाए, फिल्म की सबसे बड़ी खामी मुख्य किरदार ही हैं जिन्हे हिन्दी बोलने में समस्या हो रही हैं, न ही इतिहास के इतने बड़े व्यक्तित्व को निभाने के लिए बड़ा संघर्ष किया। लोग अक्षय को उनकी फेक मूंछ के इस्तेमाल के लिए भी उन्हें ट्रोल कर रहें।

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    वही मानुषी अपनी फिल्म करते हुए भी अपने किरदार में सहज लग रहीं हैं और सोनू सूद और संजय नाम मात्र के लिए दिखाई दे जाते हैं।

    बचपन से टीवी धारावाहिक, गौरव गाथा से हर किसी के हीरो रहे पृथ्वीराज की छवि के साथ न्याय नहीं किया। लोगो को अक्षय कुमार के बाला और पृथ्वीराज के किरदार में फर्क नहीं पता चल पा रहा।

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    बीते कुछ सालों से न केवल लोगों में बल्कि फिल्म निर्माताओं में इतिहास की ओर देखने की प्रवृत्ति बढ़ी है इसके बाद पक्ष विपक्ष एक जुट होकर फिल्म की कहानी पर अपनी राजनीति चमकाने लगते हैं, इसे एक अच्छी पहल ही माना जाएगा कि हम अपने अतीत की गौरवशाली इतिहास को याद कर रहें लेकिन हमें ध्यान रखना होगा कि हम पहले की कुरुतियों का बदला आज के लोगों से न लेने लगें।

    इतिहास के एक बड़े किरदार पृथ्वीराज चौहान के जीवन पर आधारित फिल्म (Prithviraj Chauhan Movie) के साथ निर्देशक और ग्राफिक टीम ने तो अच्छा काम किया लेकिन उम्मीद है कि लोगों के बीच पृथ्वीराज चौहान की समझ और अच्छी बनें।

  • Prithviraj chauhan Movie बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने में सहायक होगी ?

    Prithviraj chauhan Movie बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने में सहायक होगी ?

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    चरण सिंह राजपूत/नई दिल्ली। आज मतलब 03 june को  prithviraj chauhan movie release हो चुकी है। यह बीजेपी की रणनीति है या फिर संयोग कि सत्तारूढ़ भाजपा नेताओं के साथ ही बड़ी संख्या में लोगों में movie देखने की होड़ लग गई है।
    द कश्मीर फाइल्स के बाद जल्द ही यह दूसरा मौका है कि जब prithviraj chauhan movie  के  release  होते ही भाजपा शासित उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश में इसे टैक्स फ्री कर दिया गया। इसे भाजपा की सधी हुई चाल ही कहा जाएगा कि पृथ्वीराज चौहान movie देखने के बाद जहां केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने  movie  को भारतीय संस्कृति से जोड़ा वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने  movie को देखते ही उत्तर प्रदेश में टैक्स फ्री कर दिया। इसे भाजपा को मुद्दे को सुलगाने का मौका देना ही कहा जाएगा कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने हिन्दू धर्म की मजाक बनाने वाली फिल्म पीके की तारीफ  prithviraj chauhan movie के release होने के मौके पर ही कर दी।
    यह भाजपा का अपने हिंदुत्व एजेंडे को बढ़ाना ही है कि भाजपा ने जहां द कश्मीर फाइल्स  movie  को बढ़ावा देकर अपने हिन्दू वोटबैंक को मजबूत किया है वहीं अब पृथ्वीराज चौहान  movie के माध्यम से भी अपने पक्ष में माहौल बनाने में जुट गई है। जगह जगह थियेटर में movie देखने के लिए भाजपा नेता जुट रहे हैं। ऐसे में जो भी भी बयानबाजी होगी वह जनाधार मामले में बीजेपी के पक्ष में ही जाएगा।
     
    उधर prithviraj chauhan movie के  release होते ही देश में मुग़ल शासक औरंगजेब, शिवाजी, क्षत्रिय शिरोमणि महाराणा प्रताप,  prithviraj chauhan  जैसे शासकों को बड़ी बहस छिड़ गई है। द इंडियन एक्सप्रेस के कंट्रीब्यूटिंग एडिटर प्रताप भानू मेहता ने लिखा है कि जो यह बहस हो रही है यह अच्छे और बुरे इतिहास को लेकर नहीं है।  उनका कहना है कि उनके लिए तो इतिहास काफी मजेदार रहा है। उन्होंने कहा है कि उनकी दुनिया में इतिहास का काम नफरत फैलाना नहीं रहा है। दिलचस्प यह है कि यह बहस भी भाजपा के पक्ष में जा रही है।
    दरअसल prithviraj chauhan movie में भाजपा इसलिए दिलचस्पी ले रही है क्योंकि यह राजपूत राजा prithviraj chauhan की वीर गाथा, जयचंद की गद्दारी और मुग़ल सुल्तान के छल कपट की कहानी है। वैसे भी बीजेपी मुग़ल शासकों के दमन और क्रूर शासन का प्रचार प्रसार कर अपने हिन्दू वोटबैंक को मजबूत करने में लगी है। यह मुद्दा ऐसा है कि जितना भी विपक्ष बीजेपी के movie के प्रमोशन करने की बात करेगा उतना ही बीजेपी के पक्ष में माहौल बनेगा। जैसा की द कश्मीर फाइल्स movieमें हुआ था।
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    दरअसल बारहवीं सदी के इतिहास में जब गजनी का सुल्तान मोहम्मद गौरी हिंदुस्तान के राज्यों पर धावा बोलते हुए दोनों हाथों से लूटपाट मचाये हुआ था तो उसे खदेड़ने वाला महान योद्धा prithviraj chauhan ही था। जिसका शासन राजस्थान के अजमेर में था। देश के इतिहास में यदि पृथ्वीराज चौहान की बात होती है तो पृथ्वीराज के मौसेरे भाई जयचंद की भी बात होती है। जयचंद पर गद्दारी का आरोप लगता है।

    जयचंद्र और prithviraj chauhan दोनों ही आपस में  मौसेरे भाई तो थे ही साथ ही अच्छे मित्र भी थे। बताया जाता है कि कई लड़ाइयां दोनों ने साथ में मिलकर लड़ी थी। बताया जाता है कि पृथ्वीराज चौहान के नाना अनंगपाल के उन्हें गोद लेने की वजह से वह दिल्ली के शासक भी रहे। इतिहास में ऐसा वर्णन ही कि जयचंद और पृथ्वीराज चौहान दोनों मिलकर गौरी को युद्ध के मैदान से खदेड़ देते थे।

    बताया जाता है कि  prithviraj chauhan ने 1186 से 1191 के दौरान मोहम्मद ग़ौरी को कई बार पराजित किया। हम्मीर महाकाव्य के अनुसार मोहम्मद गौरी को सात बार हराने की बात लिखी है। पृथ्वीराज रासो में  prithviraj chauhan द्वारा मोहम्मद गोरी को 21 बार हराने की कही गई है। इन हमलों का वर्णन 1191 के हरियाणा के तराइन युद्ध में है।

    दरअसल 1191 में तराइन के पहले युद्ध में मोहम्मद गौरी बुरी तरह हार गया था। बताया जाता है कि एक सिपाही ने अधमरी हालत में उसे घोड़े पर चढ़ाया था और उसे युद्ध के मैदान से भाग निकला था। पृथ्वीराज ने मोहम्मद गौरी की भागती सेना का पीछा न कर राजपूती शान का परिचय दिया था।
    हालांकि लोग उनकी यह बड़ी ऐतिहासिक भूल बताते हैं। बताया जाता है कि जयचंद की गद्दारी के कारण ग़ौरी के पृथ्वीराज चौहान की कमजोरी को समझ लेना था। एक साल बाद भारी फौज लेकर फिर से आया। साल 1192 में हुए तराइन के इस दूसरे युद्ध में पृथ्वीराज हार गए।
    जयचंद और prithviraj की दोस्ती दुश्मनी में बदलने के पीछे की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। बताया जाता है कि जयचंद की पुत्री संयोगिता और prithviraj chauhan के आपस में प्रेम करने के चलते जयचंद और पृथ्वीराज की दोस्ती दुश्मनी में बदल गई थी।
    बताया जाता है कि संयोगिता के विवाह के लिए जयचंद ने स्वयंवर रचाया तो  prithviraj chauhan  को नहीं बुलाया। साथ ही पृथ्वीराज चौहान का अपमान करने के लिए द्वारपाल की जगह पृथ्वीराज चौहान का पुतला लगा दिया गया।
    संयोगिता ने prithviraj chauhan के प्रेम के चलते स्वयंवर में किसी को पसंद नहीं किया।  साथ ही संयोगिता ने इसकी खबर पृथ्वीराज चौहान को भिजवाई और  prithviraj chauhan संयोगिता की सहमति से उन्हें अपने राज्य ले गए और उसने विधि विधान से शादी की। वैसे भी भारतीय इतिहास में पृथ्वीराज चौहान और उनकी संयोगिता का प्रेम में अमर है।
    जयचंद ने उनकी बेटी से पृथ्वीराज चौहान के शादी करने को जयचंद ने पृथ्वीराज से बदला लेने के लिए 1192 के तराइन युद्ध में जयचंद ने मोहम्मद गौरी से संपर्क साध कर उसे पृथ्वीराज के राज्य पर आक्रमण के लिए आमंत्रित किया। सारी कमजोरियों को जान मोहम्मद गौरी ने पृथ्वीराज चौहान के राज्य पर हमला कर उन्हें बंदी बना लिया।
    पृथ्वीराज रासो के मुताबिक मोहम्मद शहाबुद्दीन गौरी के पृथ्वीराज चौहान को कैदी रूप में गजनी ले जाने की बात है। वहां पर पृथ्वीराज चौहान को अंधा कर देने की बात है। वहां पर ही पृथ्वीराज चौहान की अपने मित्र चंदबरदाई से मुलाकात होने की बात है।
    इतिहासकारों का मानना है कि पृथ्वीराज चौहान शब्द भेदी बाण की कला में निपुण थे। जब गौरी  ने पृथ्वीराज को बंधक बना लिया तो चंद बरदाई भी वहां चले गए। उन्होंने मोहम्मद गोरी को पृथ्वीराज चौहान के शब्दबेधी बाण चलाने के कौशल के बारे में बताया। गोरी हैरान रह गया और ये कला देखने की इच्छा जताई। लेकिन इससे पहले गोरी ने पृथ्वीराज की आंखें गर्म सलाखों से फोड़ दीं। वो आश्वस्त था कि एक नेत्रहीन क्या ही कौशल दिखाएगा।
    लेकिन जब गोरी ने शब्दभेदी बाण की कला देखने के लिए चौहान को बुलाया तो चंदबरदाई ने वह प्रसिद्ध छंद पढ़ा। ” चार बांस चौबीस गज अंगुल अष्ट प्रमाण ता ऊपर सुल्तान है मत चूके चौहान”। इसी के बाद पृथ्वी ने तीर चलाकर गोरी को मार गिराया। इस घटना के कुछ देर बाद ही पृथ्वीराज और चंद बरदाई ने एक दूसरे को मार देने की भी बात है। हालांकि यह भी प्रश्न उठा कि चंदबरदाई ने  जब आत्महत्या कर ली थी तो फिर रासो में इस घटना को किसने लिखा?
    Prithviraj chauhan Movie इसके उत्तर में यह बताया गया है कि ग़ौरी जब पृथ्वीराज को गज़नी ले गया, तब उसके पीछे-पीछे चंद भी पहुंच गए थे। जाने के पहले उन्होंने अपना यह अधूरा काव्यग्रंथ अपने पुत्र जल्हण को सौंप दिया था। रासो में गज़नी की घटनाओं का यह वर्णन जल्हण ने लिखा है। रासो में ज़िक्र है, ‘पुस्तक जल्हण हत्थ दै, चलि गज्जन नृपकाज।’