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  •  कुमार विश्वास के खालिस्तान समर्थक बयान का भी चुनावी लाभ उठा सकते हैं केजरीवाल! 

     कुमार विश्वास के खालिस्तान समर्थक बयान का भी चुनावी लाभ उठा सकते हैं केजरीवाल! 

    चरण सिंह राजपूत
    पने पुराने राजनीतिक साथी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को चुनावी मौसम में कवि कुमार विश्वास ने खालिस्तान के मुद्दे पर पूरी तरह घेर लिया है। अरविंद केजरीवाल की खालिस्तान के मुख्यमंत्री बनने की लालसा का खुलासा करते हुए जब कुमार विश्वास ने अरविंद केजरीवाल को अलगाववाद से जोड़ा है। हालांकि आप प्रवक्ता राघव चढ्ढा ने कुमार विश्वास पर इतने साल तक चुप क्यों रहे कहकर मामले को हल्का करने कर प्रयास किया है पर पंजाब चुनाव की वजह से मामले ने तूल पकड़ लिया है। केजरीवाल ने अपने को स्वीट आतंकवादी बताया है। इन सबके बीच कुमार विश्वास ने अरविंद केजरीवाल को खास्लितान का समर्थन न करने की बात करने का खुला चैलेंज कर दिया है। अरविंद केजरीवाल कुमार विश्वास के इस बयान में ऐसे घिरे हैं कि उन्हें कुछ सूझ नहीं रहा है। कुमार विश्वास का आरोप है कि केजरीवाल के पास खालिस्तानी समर्थक आते रहते थे। बताया जाता है कि आम आदमी पार्टी को खालिस्तानी समर्थकों की ओर से चंदा भी मिलता रहा है। अब जब पंजाब में केजरीवाल सरकार बनाने का सपना देख रहे हैं तो ऐसे में उनका नाम खालिस्तान से जोड़ने पर उनकी दिक्क़तें बढ़ने की बात की जा रही है। इस मामले में यह बात भी समझने की जरुरत है कि पंजाब में बड़े स्तर पर खालिस्तान समर्थक हैं। कुमार विश्वास के अरविन्द केजरीवाल का नाम  खालिस्तान से जोड़ने पर भले ही केजरीवाल की व्यक्तिगत छवि खराब हो जाये पर पंजाब चुनाव में उन्हें राजनीतिक फायदा भी हो सकता है। यदि कुमार विश्वास की बात में दम है तो उनके इस बयान से केजरीवाल को पंजाब में राजनीतिक नुकसान नहीं बल्कि लाभ मिलने की उम्मीद है। यदि केजरीवाल खालिस्तान बनने और उसका प्रधानमंत्री बनने का सपना देखते रहे हैं तो पंजाब में उनके बड़े समर्थक हैं। वैसे भी 2014 के लोकसभा चुनाव में भले ही दिल्ली से सभी सीटें आम आदमी पार्टी हार गई थी पर पंजाब ने एक दो नहीं बल्कि पांच सांसद केजरीवाल को दिए थे। जगजाहिर है कि  पंजाब में एक बड़ा तबका खालिस्तान का समर्थक है। इसी तबके के लिए कांग्रेस में नवजोत सिंह सिद्धू भी अनाप-शनाप बयान देते रहते हैं। कुमार विश्वास को यह समझना होगा कि दिल्ली में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही भाजपा के दूसरे नेता और उनके समर्थक केजरीवाल को नक्सली बताते रहे हैं पर केजरीवाल को विधानसभा चुनाव में हरा नहीं पा रहे हैं। देश में जो राजनीति चल रही है उसमें केजरीवाल खूब फायदा उठा रहे हैं। वे जितने भी विवादित होते हैं उतना ही फायदा उन्हें होता है। केजरीवाल देश का वह नेता है जिसने जिन मुद्द्दों दूसरी पार्टियों को घेरा वे उन मुद्दों में उनसे भी आगे निकल गए। केजरीवाल ने राजनीति में राजनेताओं को यह बताया है कि शातिराना में वह सबसे आगे हैं। राजनीतिक लाभ के लिए वह भी भाजपा की तरह कुछ भी कर सकते हैं।

    दरअसल कुमार विश्‍वास समय समय पर केजरीवाल को आइना दिखाते रहते हैं। पंजाब चुनाव बढ़चढ़ बोल रहे केजरीवाल पर कुमार विश्वास लगातार हमला बोल रह हैं। इस बार उन्‍होंने  केजरीवाल को खुला चैलेंज किया है कि वह यह बोलकर दिखाएं कि वे खालिस्तानियों के ख‍िलाफ हैं। दरअसल एक इंटरव्यू में कुमार विश्‍वास ने कहा क‍ि मैं आम आदमी पार्टी का फाउंडर, संस्थापक रहा हूं और देश को तोड़ने वाली किसी भी चीज के ख‍िलाफ खून की आख‍िरी बूंद तक लड़ूंगा।

    उन्‍होंने केजरीवाल को लेकर कहा क‍ि उन्‍हें यह कहने में क्‍या दिक्‍कत क‍ि वे खालिस्तान के खिलाफ हैं। कुमार विश्‍वास ने कहा, ‘आखिरी बात जो कहना चाहता हूं। मैं आपके माध्यम से उसको चुनौती देता हूं।  कुमार के बयान के बाद अरविंद केजरीवाल ने कुमार विश्वास पर आरोप लगाया है कि कुमार ने उन्हें आतंकवादी कहा  है, आपने कभी इतना स्वीट आतंकवादी देखा है जो जनता के लिए काम करता है, अस्पताल बनवाता है, लोगों को फ्री बिजली देता है, लोगों की सेवा करता है। उस कवि का शुक्रिया जिसने इस स्वीट आतंकी को पकड़ लिया है। अगर मैं आतंकी हूं तो मुझ पर कार्रवाई करो ना…आज तक कोई ऐसा आतंकवादी पैदा ही नहीं हुआ। केजरीवाल ने कुमार के बयान को निराधार और बेबुनियाद बताया है। केजरीवाल हालात को अपने पक्ष में करने के माहिर माने जाते हैं। केजरीवाल में बाकायदा दिल्ली में कुमार विश्वास के खिलाफ बड़ा अभियान चलवा दिया है। दिल्ली में तीर्थ यात्रा पर भेजे गए बुजुर्ग केजरीवाल को आतंकी बोलने वालों को ही आतंकी बताते दिखाई दे रहे हैं। दिल्ली में लोग केजरीवाल की तारीफ कर कुमार विश्वास पर निशाना साध रहे हैं। कुमार विश्वास को खालिस्तानी समर्थकों की धमकियां भी मिलने की बात सामने आ रही है। कुमार विश्वास को जेड प्लस सिक्योरिटी मिल गई है।

    दरअसल आम आदमी पार्टी में अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और संजय सिंह की तिकड़ी है। आम आदमी पार्टी से पहले इन तीनों का परिवर्तन नाम का एक एनजीओ हुआ करता था। अन्ना आंदोलन को भुनाकर आम आदमी पार्टी बनाने वाली इस तिकड़ी ने पार्टी में किसी बड़े नेता को टिकने नहीं दिया। चाहे देश और विदेश से पार्टी के लिए फंडिंग जुटाने वाले प्रशांत कुमार हों, पार्टी का संविधान लिखने वाले योगेंद्र यादव हों, कवि कुमार विश्वास हो, पत्रकार साजिया इल्मी हो, प्रो. आनंद कुमार हों, सोशल एक्टिविस्ट मेधा पाटेकर हों या फिर आंदोलन में ही स्वामी अग्निवेश हों। इस तिकड़ी ने एक से बढ़कर एक धुरंधर को टिकाने लगा दिया।
  • दिग्विजय सिंह बोले-ज्योतिरादित्य सिंधिया के पार्टी छोड़ने से कांग्रेस और हुई मजबूत

    दिग्विजय सिंह बोले-ज्योतिरादित्य सिंधिया के पार्टी छोड़ने से कांग्रेस और हुई मजबूत

    द न्यूज 15 
    मुरैना। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने एक बार फिर ज्योतिरादित्य सिंधिया पर टिप्पणी की। उन्होंने आज कहाकि सिंधिया के पार्टी छोड़कर जाने से कांग्रेस और मजबूत हुई है। राज्यसभा सांसद यह बात मीडिया द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में कही। उन्होंने कहाकि 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी फिर से प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के नेतृत्व में एकजुटता के साथ चुनाव लड़ेगी।
    कहा-माधवराव सिंधिया से रिश्ते प्रगाढ़ : दिग्विजय सिंह ने दावा किया कि ज्योतिरादत्यि सिंधिया के पिता और वरिष्ठ कांग्रेस नेता माधवराव सिंधिया को वह स्वयं और तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह कांग्रेस में लेकर आए थे। इस काम में संजय गांधी की अहम भूमिका थी। दिग्विजय ने यह भी कहा कि उनके और श्री माधवराव सिंधिया के रिश्ते प्रगाढ़ थे। वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने दिवंगत कांग्रेस नेता माधवराव सिंधिया के साथ उनके प्रगाढ़ संबंधों का हवाला देते हुए कहा कि इसी वजह से उनके समय में वे ग्वालियर, भिंड और मुरैना जिले का दौरा तक नहीं करते थे।
    भाजपा की नीतियों पर हमला : इस दौरान दिग्विजय ने केंद्र और राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा की नीतियों पर भी हमला किया। दरअसल मार्च 2020 में अप्रत्याशित और अभूतपूर्व राजनैतिक घटनाक्रम के तहत तत्कालीन कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने समर्थक विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। इस वजह से मात्र 15 माह में ही कांग्रेस की कमलनाथ सरकार का पतन हो गया था। इस घटना के बाद भी दिग्विजय सिंह ने कहा था कि श्री सिंधिया के जाने से कांग्रेस मजबूत हुई है।

  • मां कृष्‍णा पटेल के खिलाफ उम्‍मीदवार नहीं खड़ा करेंगी अनुप्रिया पटेल  

    मां कृष्‍णा पटेल के खिलाफ उम्‍मीदवार नहीं खड़ा करेंगी अनुप्रिया पटेल  

    उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव: अपना दल को भाजपा के साथ गठबंधन में 18 सीटें मिली हैं। इसमें प्रतापगढ़ सदर की भी सीट है, जहां से उनकी मां भी अपनी पार्टी की ओर से उम्मीदवार बनने जा रही हैं 

    द न्यूज 15 
    नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी की प्रमुख सहयोगी दल और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा अपना दल (एस) की नेता अनुप्रिया पटेल का कहना है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में गठबंधन के तहत उन्हें कुल 18 सीटें मिली हैं। इन 18 सीटों में एक सीट प्रतापगढ़ सदर भी है। दूसरी तरफ उनकी मां कृष्णा पटेल के नेतृत्व वाले अपना दल (कमेरा) का गठबंधन समाजवादी पार्टी से है। और उनकी पार्टी को भी अपने गठबंधन में 18 सीटें ही मिलीं। साथ ही प्रतापगढ़ सदर की सीट भी उनके हिस्से में है।
    बताया जा रहा है कि इस सीट से कृष्णा पटेल स्वयं खड़ी होंगी। अनुप्रिया पटेल ने कहा है कि अगर उनकी मां प्रतापगढ़ सदर सीट से उम्मीदवार बनती हैं तो वह अपना प्रत्याशी वहां नहीं उतारेंगी। हालांकि पहले इस सीट पर अनुप्रिया पटेल ने अपने उम्मीदवार की घोषणा की थीं, लेकिन कृष्णा पटेल का नाम सामने आने के बाद उन्होंने अपने प्रत्याशी का नाम वापस करा दिया। केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने अपना दल (एस) के सामाजिक न्याय के पक्ष में खड़ा रहने पर जोर देते हुए सोमवार को अपनी पार्टी को ‘हिंदुत्व और इससे संबंधित सभी मुद्दों” से अलग किया और कहा कि उनकी पार्टी वैचारिक रूप से भारतीय जनता पार्टी से अलग है।
    अपना दल (एस) प्रमुख ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ साक्षात्कार में कहा कि मुस्लिम उम्मीदवार उनकी पार्टी के लिए अछूत नहीं हैं। पटेल ने कहा, ”हां, हम वैचारिक रूप से भाजपा से अलग हैं। लोग मुझसे हिंदुत्व और इससे जुड़े मुद्दों पर सवाल पूछने की कोशिश कर रहे हैं, मैं उन सभी मुद्दों से खुद को अलग करती हूं और मेरी पार्टी धार्मिक राजनीति नहीं करती। हम सामाजिक न्याय के लिए खड़े हैं। यही हमारी विचारधारा है।”
    उन्होंने कहा, ”हमने हमेशा समाज में हाशिए पर पड़े वर्गों के लिए काम किया है, चाहे सड़कों पर हो या संसद में और यही हमारा दर्शन एवं संस्थापक सिद्धांत हैं और हम इसे बरकरार रखते हैं।” उत्तर प्रदेश में पिछले तीन चुनावों – 2014 और 2019 के आम चुनाव तथा 2017 के विधानसभा चुनावों में भाजपा की सहयोगी रही अपना दल (एस) ने इस बार अपने पहले मुस्लिम उम्मीदवार की घोषणा की है।
  • सपा ने नोएडा से सुनील चौधरी को बनाया अपना प्रत्याशी!

    सपा ने नोएडा से सुनील चौधरी को बनाया अपना प्रत्याशी!

    द न्यूज 15
    नोएडा। टिकट को लेकर समाजवादी पार्टी में हो रही मारामारी के बीच नोएडा से पूर्व प्रत्याशी सुनील चौधरी को ही टिकट मिलने की सूचना मिल रही है। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने सुनील चौधरी का टिकट पक्का कर दिया है। आश्वासन के बाद नोएडा लौट रहे सुनील चौधरी को लखनऊ से बुलावा आया और उनका टिकट पक्का कर दिया। सुनील चौधरी के समर्थक तो कई दिनों से टिकट मिलने के प्रति आश्वस्त थे और लगातार उन्हें टिकट मिलने की शुभकामनाएं मिल रही थी। नोएडा से फूल सिंह नंबरदार, टीटू यादव समेत कई नेताओं ने दावेदारी ठोकी थी। इस दौड़ में सुनील चौधरी ने बाजी मारी है। बताया जा रहा है कि अखिलेश यादव पूरे प्रदेश में जिताऊ उम्मीदारवार मैदान में उतार रहे हैं। गढ़ मुक्तेश्वर से पूर्व मंत्री मदन चौहान, मेरठ के कद़्दावर नेता अतुल प्रधान के टिकट कटने की खबरें सामने आ रही हैं। वैसे भी अखिलेश यादव को रालोद, भाजपा से आये ओबीसी नेताओं के अलावा दूसरे दलों के नेताओं को भी समायोजित करना है।