ठंड की ठिठुरन में चुनावी आंच
डॉ. कल्पना पाण्डेय ‘नवग्रह’ आज ठंड ने छीन ली है आंखों से ज़िंदगी की धूप। धुआं-धुआं हो रहा है। सांसें घुट रही हैं। टुकड़ियों में अलाव को ढूंढते , सड़कों…
डॉ. कल्पना पाण्डेय ‘नवग्रह’ आज ठंड ने छीन ली है आंखों से ज़िंदगी की धूप। धुआं-धुआं हो रहा है। सांसें घुट रही हैं। टुकड़ियों में अलाव को ढूंढते , सड़कों…