Tag: पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बढ़त लेने को जाटों को मना रही भाजपा!

  • पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चुनावी माहौल बनाने को अब अमित शाह का मुजफ्फरनगर दंगों का दांव 

    पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चुनावी माहौल बनाने को अब अमित शाह का मुजफ्फरनगर दंगों का दांव 

    चरण सिंह राजपूत 
    नई दिल्ली। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर दंगों के नाम पर 2017  का विधानसभा चुनाव और 2019 लोकसभा चुनाव में बढ़त बनाने वाली भारतीय जनता पार्टी को फिर से मुजफ्फरनगर दंगों को याद कर रही है। जब किसान आंदोलन की वजह से एक बड़ा तबका भाजपा से खिसकता दिखाई दे रहा है तो गृह मंत्री ने फिर से मुजफ्फरनगर दंगों का राग अलापना शुरू कर दिया है।
    दरअसल मुजफ्फरनगर में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने प्रभावी मतदाता संवाद कार्यक्रम में 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगों का जिक्र कर हिंदू कार्ड खेल दिया है। उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि दंगों को भूल गए हो क्या ? उन्होंने कहा कि अगर वोट देने में गलती की तो यह शहर फिर से जल उठेगा। दागी मुस्लिमों को टिकट देने का मुद्दा उठाते हुए अमित शाह ने सपा पर निशाना साधते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी ने जिस तरह से टिकट का बंटवारा किया है उससे ही साफ हो गया है कि वो क्या चाहते हैं ?
    दरअसल 2017 के विधानसभा चुनाव में अमित शाह ने ही जनपद बिजनौर से मुजफ्फरनगर दंगों का जिक्र करते हुए हिंदुओं को स्वाभिमान का हवाला देते हुए बीजेपी को वोट देने का आह्वान किया था। वह अमित शाह का मुजफ्फरनगर दंगों के बल पर बनाया हुआ माहौल ही था कि बीजेपी 2017 में प्रचंड बहुमत से जीती थी। कभी रालोद का वोटबैंक माना जाने वाला जाट वर्ग भी लामबंद होकर बीजेपी को को गया था। जाटों ने भी मुजफ्फरनगर दंगों की वजह से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाटों ने भाजपा को लामबंद होकर वोट दिया था। अब जब किसान आंदोलन के बाद पश्चिमी उतर प्रदेश के समीकरण बदल गए हैं। जाट वर्ग भाजपा से नाराज है। किसान आंदोलन का चेहरा राकेश टिकैत लगातार भाजपा पर निशाना साध रहे हैं। ऐसे में भाजपा को जाटों को मनाने के लिए कुछ सूझ नहीं रहा है। ऐसे में जहां अमित शाह कैराना में पलायन का मुद्दा उठा रहे हैं वहीं सपा पर अपराधी प्रवत्ति के लोगों को टिकट देने का आरोप लगा रहे हैं। इतने में भी बात बनती न देख अमित शाह ने अब मुजफ्फरनगर दंगों का मुद्दा उछाला है।
    दरअसल 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगे में करीब 62 लोगों की मौत हुई थी और हजारों लोग बेघर  हो गए थे। पुलिस ने खुद बीजेपी नेता संगीत सोम, कपिल देव अग्रवाल, सुरेश राणा, साध्वी प्राची आदि पर भड़काऊ भाषण देने और समुदाय विशेष के खिलाफ उकसाने के आरोप में केस दर्ज किया था। उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव को देखते हुए योगी सरकार ने मुजफ्फरनगर दंगे से संबंधित 77 मुकदमे बिना कोई कारण बताए गत अगस्त महीने में वापस ले लिए थे। यह जानकारी सरकार के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में भी दी थी, जिन मामलों को वापस लिए गए थे  उनमें से ज्यादातर में अधिकतम सजा आजीवन कारावास थे। सांसदों और विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों के जल्द ट्रायल के मामले में नियुक्त एमाइकस क्यूरी वकील विजय हंसारिया ने ये स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की थी।
    दरअसल मुजफ्फरनगर दंगे के मामले में कुल 510 केस दर्ज किए गए थे। इन 510 मामलों में से 175 मामलों में आरोप पत्र दाखिल किया गया है। 165 मामलों में अंतिम रिपोर्ट जमा की गई थी  और 170 मामलों को खारिज कर दिया गया था। यूपी सरकार ने सीआरपीसी की धारा 321 के तहत 77 मुकदमे वापस ले लिए हैं।
    सुप्रीम कोर्ट में दी गई रिपोर्ट में सरकारी आदेश में मामला वापस लेने का कोई कारण भी नहीं बताया गया है। केवल यह कहा गया है कि प्रशासन ने पूरी तरह से विचार करने के बाद विशेष मामलों को वापस लेने का निर्णय लिया है। एमाइकस क्यूरी वकील विजय हंसारिया ने रिपोर्ट में यह भी जानकारी दी है कि मुजफ्फरनगर दंगों से संबंधित जिन मामलों को वापस लिया गया है, उन पर हाईकोर्ट CRPC की धारा 402 के तहत जांच कर सकता है।
    दरअसल सुप्रीम कोर्ट में सांसदों/विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मुकदमों के तेजी से निपटारे के लिए विशेष अदालतों के गठन पर सुनवाई की थी। कोर्ट ने सभी राज्यों में लंबित इस तरह के मुकदमों की जानकारी मांगी थी। इससे पहले सुनवाई में कोर्ट ने यह निर्देश भी दिया था कि बिना हाईकोर्ट की अनुमति लिए सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित मुकदमे राज्य सरकार वापस नहीं ले सकती है। इस मामले में एमिकस क्यूरी नियुक्त किए गए वरिष्ठ वकील विजय हंसारिया ने कोर्ट को पिछली सुनवाई में जानकारी दी थी कि यूपी सरकार कई वर्तमान और पूर्व जनप्रतिनिधियों के ऊपर मुजफ्फरनगर दंगे में लंबित मुकदमों को वापस लेने की तैयारी कर रही है। अब कोर्ट को सौंपी नई रिपोर्ट में एमिकस क्यूरी ने बताया है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने मुजफ्फरनगर दंगों से जुड़े कुल 77 मामले वापस लेने का आदेश जारी किया है, जिसमें से कई मामले सांसदों और विधायकों से जुड़े हैं।
    दाखिल रिपोर्ट में सुप्रीम कोर्ट से अपील की गई थी कि वह राज्य सरकार को सभी मामलों के लिए अलग-अलग कारण बताते हुए आदेश जारी करने को कहे। सरकार से यह भी कहा जाए कि वह यह बताए कि क्या यह मुकदमा बिना किसी ठोस आधार के दुर्भावना के तहत दर्ज कराया गया था। रिपोर्ट में कोर्ट को दूसरे राज्यों के बारे में भी जानकारी दी गई थी। हालांकि
    मुजफ्फरनगर में समाजवादी पार्टी के नेता साजिद हसन ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। विधानसभा चुनाव नजदीक होने के कारण समाज के बीच में पुराने झगड़े के जख्मों को कुरेद कर खराब सियासत की जा रही है। उनका कहना था कि अगर ये लोग निर्दोष थे तो अदालत अपने आप बरी करती अथवा जो लोग पीड़ित हैं, कम से कम उनको तो सुना जाना चाहिए था। उन्होंने कहा था कि सरकार की नीयत समाज मे भाईचारा कायम करने की होनी चाहिए।
  • पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बढ़त लेने को जाटों को मना रही भाजपा!

    पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बढ़त लेने को जाटों को मना रही भाजपा!

    घर-घर जाकर 2017 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में लामबंद होकर वोट करने के लिए किसानों का आभार व्यक्त कर रहे गृह मंत्री अमित शाह

    सपा पर अपराधियों को टिकट देने का आरोप लगाकर किया जा रहा सहानुभूति बटोरने का प्रयास

    मुजफ्फरनगर से चुनावी प्रचार शुरू कर रहे हैं अखिलेश यादव और जयंत चौधरी

    चरण सिंह राजपूत
    किसान आंदोलन के बाद बदले पश्चिमी उत्तर प्रदेश के समीकरणों को लेकर भाजपा ने जाटों को मनाने के लिए बड़ी रणनीति बनाई है। इस रणनीति के तहत खुद गृह मंत्री अमित शाह ने मोर्चा संभाल रखा है। अमित शाह जहां जाटों के घर-घर जाकर 2017 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में लामबंद होकर वोट करने के लिए उनका आभार व्यक्त कर रहे हैं। कैराना में हिंदूओं के पलायन को मुख्य मुद्दा बना रहे हैं। वहीं सपा पर अपराधियों को टिकट देने का आरोप लगाकर लोगों की सहानुभूति बटोर रहे हैं। भावनात्मक मुद्दों को भुनाने में माहिर भाजपा ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश पर पूरा ध्यान फोकस कर लिया है। रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी को गलत घर जाने का नाम देकर उन पर डोरे डाले जा रहे हैं। भाजपा को डर सता रहा है कि कहीं नाराज जाटों की सहानुभूति सपा-रालोद गठबंधन को न मिल जाए। यही वजह है कि भाजपा ने संजीव बालियान के अलावा दिल्ली के जाट नेता प्रवेश चौधरी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में लगा दिया है।
    दरअसल तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ एक साल तक चले किसान आंदोलन का असर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में साफ देखा जा रहा है। भले ही मोदी सरकार ने ये तीनों कानून वापस ले लिये हों पर किसान अभी भी भाजपा से बहुत नाराज हैं। उसका बड़ा कारण केंद्र सरकार के किसानों की एमएसपी गारंटी कानून, आंदोलन में दर्ज हुए किसानों पर मुकदमों को वापस लेने, दम तोड़ने वाले किसानों के परिजनों को मुआवजा देने की बात मानने के बावजूद सरकार ने कोई तवज्जो नहीं दी। यही कारण है कि किसान ३१ जनवरी को विश्वासघात दिवस मनाने जा रही है।
    दरअसल 10 फ़रवरी को पहले चरण में 11 जिलों की 58 सीट पर वोट डाले जाएंगे। पहले चरण के चुनाव से पहले जहां भाजपा ने भी जाटलैंड में ताकत झोंक दी है। वहीं समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव और राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी आज मुजफ्फरनगर से अपने चुनाव प्रचार शुरू करने जा रहे हैं।  अखिलेश यादव और जयंत चौधरी शुक्रवार को सबसे पहले मुजफ्फरनगर में सपा-रालोद गठबंधन के कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे। 2013 के बाद से जाटों की नाराजगी का सामना कर रहे अखिलेश यादव के लिए जाटों को मनाने की बड़ी चुनौती है। इससे पहले पिछले साल दोनों नेताओं ने 7 दिसंबर को सिवालखास विधानसभा क्षेत्र में एक रैली को संबोधित किया था। इसे किसान आंदोलन का असर ही कहा जायेगा कि लम्बे अरसे के बाद जाट रालोद के साथ देखे जा रहे हैं।
    किसान आंदोलन की वजह से जाटों में उपजी नाराजगी को लेकर भी भाजपा के नेता पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ताबड़तोड़ जनसंपर्क अभियान चला रहे हैं। बीजेपी के तमाम बड़े नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह समेत केंद्र और प्रदेश के कई मंत्री पश्चिमी यूपी में सक्रिय हैं।
    मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज मेरठ में जनसंपर्क अभियान चलाएंगे और घर-घर जाकर लोगों से बीजेपी को वोट करने की अपील करेंगे। 10 फ़रवरी को पहले चरण में 11 जिलों की 58 सीट पर वोट डाले जाएंगे। पहले चरण में मुजफ्फरनगर, शामली, बागपत, मेरठ, गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर, हापुड़, बुलंदशहर, अलीगढ, मथुरा और आगरा जिले की विधानसभा सीटों पर वोटिंग होगी। इनमें से कई सीटों पर जाट समुदाय निर्णायक भूमिका अदा करता है। इसलिए सभी दल इस समुदाय को साधने में लगे हुए हैं। भाजपा ने जहां कैराना में हिंदुओं के पलायन को मुख्य मुद्दा बनाया है वहीं सपा पर अपराधियों को टिकट देने का आरोप लगाकर सपा के राज में कानून व्यवस्था बिगड़ने की बात बीजेपी नेता कर रहे हैं।

    दरअसल सपा ने शामली जिले की कैराना विधानसभा सीट ने नाहिद हसन और रामपुर विधानसभा सीट से आजम खां को उम्मीदवार घोषित किया है। सपा के दोनों ही उम्मीदवार इस समय जेल में बंद है। आजम खां के बेटे अब्दुला आजम खां को सपा ने स्वार विधानसभा सीट से प्रत्याशी घोषित किया है, जिसकी हाल में ही जेल से जमानत हुई है। अब्दुला आजम खां 2017 में विधायक बने थे, लेकिन फर्जी दस्तावेजों के चलते उनकी विधायकी रद्द कर दी गई। साथ ही जेल भी जाना पड़ा।
    इतना ही नहीं भाजपा बुलंदशहर से सपा-रालोद के उम्मीदवार मोहम्मद यूनुस, जिन पर कई आपराधिक मामले दर्ज हैं का मुद्दा बना रही है। अमरोहा से सपा ने जिन महबूब अली को टिकट दिया है, उन पर भी कई आपराधिक मामले चल रहे हैं। मीरगंज से सपा प्रत्याशी सुल्तान बेग पर भी गैंगस्टर एक्ट के तहत मामला दर्ज है। धोखाधड़ी और साजिश के 29 मामलों का सामना कर चुके नसीर अहमद खान को चमरूहा सीट से सपा ने टिकट दिया है। भाजपा इन नेताओं को  टिकट देने पर सपा की नीयत पर ऊँगली उठा रही है। भाजपा के नेता क्षेत्र में यह माहौल बना रहे हैं कि जब सपा अपराधियों को टिकट दे रही है तो फिर सरकार बनने पर लोग कितने सुरक्षित रहेंगे ?
    समाजवादी पार्टी गठबंधन के उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी जोरदार हमला बोला है। उन्होंने मतदाताओं को इस प्रकार की पार्टी को एक और मौका नहीं देने की चेतावनी दी है। सीएम ने कैराना, बुलंदशहर, अमरोहा और लोनी के उम्मीदवारों का जिक्र करते हुए कहा है कि इनके आपराधिक इतिहास खंगाल कर देखे जाएं। कैराना से नाहिद हसन को टिकट दिए जाने के मामले में सीएम ने हिंदुओं के पलायन का आरोप के मामले में सपा पर निशाना साध रहे हैं।