राज्यपाल आचार्य देवव्रत के बयान पर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई और एक वर्ग इसकी आलोचना करने लगा। आचार्य देवव्रत ने कहा कि गौ माता को समझने और जानने की जरूरत है। तभी सही अर्थ निकलेगा। आचार्य देवव्रत 7 सितम्बर को गुजरात के नर्मदा जिले में प्रकृति की गोद में है। जैविक खेती विषय पर आधारित एक सेमिनार को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि तुम जय तो बहुत बोलते हो गौ माता की, पूजा भी करते हो, तिलक भी लगाते हो, घंटी बजाते हो पर बेचारी दूध नहीं देती तो घर से भी बाहर निकाल देते हो।
गौ माता की जय हो . . . गौ माता की जय हो . . . न दूध पीते हो न गाय पालते हो और गौ माता की जय हो। इसलिए मैं कहता हूं कि ये हिन्दू समाज ढोंगी नंबर वन है। आचार्य देवव्रत ने आगे कहा कि ये न दूध पीते हैं न ही गाय पालते हैं बस गौ माता की जय कहते हैं। क्या हो जाएगा गौ माता की जय ? गौ माता को समझो और जानो, यही सही अर्थ में गऊ माता का सम्मान होगा। मैं 30 सितम्बर तक ही यूं। अटार्नी जनरल बोले तो जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि मई में आपने आर्टिकल 142 की ताकत समझ ली है। आचार्य देवव्रत के बयान पर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई। कई लोग उनके बयान का समर्थन करते दिखे तो कई ने आपत्तिजनक बताया। नीरज कुमार नाम के यूजर ने लिखा कि अब देखता हूं कि कितनों की भावनाएं आहत होती हैं।
प्राकृतिक खेती के हिमायती रहे हैं आचार्य देवव्रत
आचार्य देवव्रत को गौ आधारित प्राकृतिक खेती के हिमायती के तौर पर भी जाना जाता रहा है। वे कई मंच पर कहते रहे हैं कि गौ आधारित खेती से किसी और उर्वरक की जरूरत नहीं होगी। इस खाद्यान्न से स्वास्थ्य को ठीक रहेगा ही किसानों की आय भी दोगुनी हो जाएगी। आपको बता दें कि राज्यपाल बनने से पहले आचार्य देवव्रत, सक्रिय तौर पर आर्य समाज से भी जुड़े रहे हैं और गुरुकुल काम का देखो है। वहां गौ सेवा से लेकर प्राकृतिक खेती पर अपनी पहल को लेकर चर्चा में है।