सोचता रहता

रोज कुछ कदम चलता सोचता फिर कुछ चलता यह अनवरत चलता रहा कुछ दिन और भी चलेगा रोज ज्ञान लेकर घर लौटता सोचता इसे गुरु बनाता फिर देखने निकल जाता…

हाथों में है किताब मेरे

उतरेंगे नकाब तेरे। सुन तो ले जवाब मेरे॥ भरे थे तो क़द्र न जानी, सूखे अब तालाब तेरे। अपने खाते मत खुला, कच्चे है हिसाब तेरे। देख चकित रह जायेगा…

चुभें ऑलपिन-सा सदा

●●● बहरूपियों के गाँव में, कहें किसे अब मीत। अपना बनकर लूटते, रचकर झूठी प्रीत॥ ●●● भाई-भाई में हुई, जब से है तकरार। मजे पड़ोसी ले रहे, काँधे बैठे यार॥…

टूट रही है कलम

टूटने लगा है सच का ताना बाना न बची है इल्म न बची है स्याही यूँ ही मार दिये जाते हैं कलम के सिपाही .. न शोर होता है न…

कुछ यूं ही गुजरने वाला है साल

कुछ यूं ही गुजरने वाला है साल कुछ उम्मीदी और न उम्मीदी  के बीच बीतने वाला है साल बहुत कुछ लेकर और कुछ देकर जाने वाला है साल कुछ नए…

आशा है नव साल की, सुखद बने पहचान॥

आशा है नव साल की, सुखद बने पहचान॥ ●●● खिली-खिली हो जिंदगी, महक उठे अरमान। आशा है नव साल की, सुखद बने पहचान॥ ●●● दर्द दुखों का अंत हो, विपदाएँ…

तुलसी है संजीवनी

तुलसी है संजीवनी, तुलसी रस की खान। तुलसी पूजन से मिटें, जीवन के व्यवधान।। * विष्णु प्रिया तुलसी सदा, करती है कल्यान। तुलसी है वरदायिनी, जीवन का वरदान ।। *…

जज नहीं संवैधानिक गुंडा है !

सरकारी दल्ला ! ये जो सरकार का दल्ला हैजज के नाम पर कठपुतला है .. इंसानियत के लिए यह धब्बा है इसका दिमाग गोबर का डिब्बा है .. नफरत फैलाना इसका धंधा है यह…

गिरगिट ज्यों, बदल रहा है आदमी

  गहन लगे सूरज की भांति ढल रहा है आदमी। अपनी ही चादर को ख़ुद छल रहा है आदमी॥ आदमी ने आदमी से, तोड़ लिया है नाता। भूल गया प्रेम…

सौरभ सच ये बात

(कुंडलियां) लिखने लायक है नहीं, राजनीति के हाल। कुर्सी पर काबिज हुए, गुंडे-चोर, दलाल॥ गुंडे-चोर, दलाल, करते है नित उत्पात। झूठ-लूट से करे, जनता के भीतर घात॥ सौरभ सच ये…