चिड़िया रानी

सुबह-सुबह नन्ही चिड़िया, आँगन में जब आती है। फुदक-फुदक कर चूं-चू करती, मीठी लोरी रोज सुनाती है।। चिड़िया फुर्र फुर्र उड़ती है, चोंच से दाने चुगती है। बच्चों को है…

फागुन में यूं प्यार से…

होली के त्यौहार में, ऐसी उठे तरंग। तन-मन में जो प्यार की, भर दे ख़ूब उमंग॥ आँगन-आँगन रंग हो, हो रंगीला फाग। बैर-भाव को छोड़कर, मिलें सभी के राग॥ झूम…

कैसे उड़े अबीर॥

●●● फागुन बैठा देखता, खाली है चौपाल। उतरे-उतरे रंग है, फीके सभी गुलाल॥ ●●● सजनी तेरे सँग रचूँ, ऐसा एक धमाल। तुझमे ख़ुद को घोल दूँ, जैसे रंग गुलाल॥ ●●●…

दीमक लगे गुलाब

लोग अपने में जीने लग गए है। अपने कहलाने वाले लोग कहाँ रह गए है? पराये दुख को पीना। एक-दूजे हेतु जीना॥ पुराने चर्चे बन गए है। धोखा खा खाकर…

जने नहीं क्यों बोस॥

  ●●● कैसे भूले बोस को, ‘सौरभ’ हिन्दुस्तान। कतरा-कतरा खून का, उनका है कुर्बान॥ ●●● बच्चा-बच्चा बोस का, ऐसा हुआ मुरीद। शामिल होकर फ़ौज में, होने चला शहीद॥ ●●● भारत…

विवश विद्यार्थी चुन रहे, आत्महत्या की राह

भारी ट्यूशन भीड़ में, सब बच्चे एकांत। रैंकिंग के दबाव में, रह ना पाए शांत।। भोले बचपन पर चले, ऐसे मारक तीर। जीवन कुंठित-सा हुआ, लिए कोचिंग पीर।। निगल गई…

प्रजातंत्र का तंत्र

भारत के गणतंत्र की, ये कैसी है शान। भूखे को रोटी नहीं, बेघर को पहचान॥ सब धर्मों के मान की, बात लगे इतिहास। एक-दूजे को काटते, ये कैसा परिहास॥ प्रजातंत्र…

खुद से खुद को करें मोटिवेशन

पवन कुमार  मैं “मैं जो बनकर मैं चला, मैं”मैं ही बनकर रह गया ” मैं”मैं को जबतक मैं ने समझा,मैं अकेला रह गया।। भागवत गीता में मैं को आत्मा के…

संक्रांति, लोहड़ी मने

जन जीवन खुश हो रहा, हर्षित हुआ अनंग। संक्रांति, लोहड़ी मने, खुशियाँ छाई अंग।। मकर संक्रांति ये कहे, रहो सजग तैयार। हृद पराग परिपूर्ण हो, झूम उठे संसार।। बहुत-बड़ा यह…

 अपणी बिटिया तै प्रीत जोड़ तूं

हाथ जोड़ कहूँ अम्मा मेरी मैं हूँ बिन जन्मी नादान, इबै ना मारै मनै। सै छह महीने का गर्भ तेरा ना छीनै माँ तू नसीब मेरा अम्मा मेरी मैं हूँ…