नारी क्यों बेचैन

सत्यवान ‘सौरभ’ नारी मूरत प्यार की, ममता का भंडार । सेवा को सुख मानती, बांटे खूब दुलार ।। ●●● अपना सब कुछ त्याग के, हरती नारी पीर । फिर क्यों…