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  • Farmers Protest: आग में घी डालने का काम कर दिया टेनी ने

    Farmers Protest: आग में घी डालने का काम कर दिया टेनी ने

    Farmers Protest : अन्नदाता की तुलना कुत्ते से करना हो Rakesh tikait को दो कोड़ी का आदमी बताकर किसान संगठनों को आक्रोशित कर दिया केंद्रीय राज्य मंत्री ने 

    चरण सिंह राजपूत 

    Farmers Protest: यह मोदी सरकार का बचाने का नतीजा ही है कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा उर्फ टेनी आपे से बाहर हो रहे हैं। किसानों को कुत्ता बता रहे हैं। किसान आंदोलन का चेहरा बन चुके Rakesh Tikait को दो कोड़ी का आदमी बता रहे हैं। टेनी के उकसावे वाले बयान के बाद ही उनके बेटे आशीष पर अपनी गाड़ी किसानों पर चढ़ाकर उनकी हत्या करने का आरोप लगा है।

    आशीष को तो जेल भेज दिया गया पर जिन टेनी के उकसावे पर उनके बेटे ने ऐसा किया उनको न तो पद से हटाया गया और न ही उन्हें गिरफ्तार किया गया। यह टेनी पर शासन और प्रशासन के साथ ही कानून के ढीले रवैये का ही असर है कि फिर से टेनी ने किसानों का अपमान किया है। जिस किसान आंदोलन के बल पर किसानों ने मोदी सरकार को झुकने के लिए मजबूर किया, उसी के नेता को टेनी कुछ नहीं समझ रहे हैं।

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    Farmers Protest
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    यह देश का दुर्भाग्य ही है कि जो किसान रात दिन मेहनत कर 140 करोड़ लोगों का पेट भर रहे हैं उन्हीं किसानों को सरकार में बैठे लोग कुत्ता बता रहे हैं। कोरोना काल में ये किसान ही थे जिन्होंने देश को बचाया है।

    टेनी जैसे लोग तो बेबस नजर आ रहे थे। जो व्यक्ति गुंडई के बल पर नेता बना, वह केंद्रीय गृह राज्य मंत्री बना बैठा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के सुधार की बात कर रहे हैं।सत्ता के मद में सत्तारूढ़ नेता जनता को कीड़े मकौड़े समझ रहे हैं।

    केंद्र सरकार के लिए यह भी एक सबक है कि मोदी मंत्रिमंडल में बैठे नितिन गडकरी ने उनकी नीतियों पर सवाल खड़े किये हैं। तो यह माना जाये कि देश में जो अघोषित आपातकाल लगा हुआ है।

     

    दरअसल लखीमपुर खीरी प्रकरण को लेकर हाल ही में संयुक्त किसान मोर्चा की अगुआई में टेनी की गिरफ्तारी को लेकर धरना प्रदर्शन हुआ है। किसान जितना केंद्र सरकार की वादाखिलाफी से नाराज हैं वहीं उतना ही टेनी पर कार्रवाई न होने से आंदोलित हैं। दरअसल 13 महीने तक चले किसान आंदोलन ने केंद्र सरकार को बैकफुट पर किया था। केंद्र सरकार ने किसानों की सभी मांगें मानने की बात कही थी। उसमें एमएसपी गारंटी कानून भी था। पर अब जो केंद्र सरकार ने समिति बनाई है उसमें वही किसान नेता रख लिए जो केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों को सही साबित कर  रहे थे।

    केंद्र सरकार को यह भी समझ लेना चाहिए कि संयुक्त किसान मोर्चा ने 22 अगस्त को दिल्ली के जंतर-मंतर पर किसान महापंचायत की थी। जंतर मंतर पर होने वाली महापंचायत में ये मांगें मुख्य थीं। लखीमपुर खीरी नरसंहार के पीड़ित किसान परिवारों को इंसाफ दिया जाये, जेलों में बंद किसानों की रिहाई व नरसंहार के मुख्य आरोपी  केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी की गिरफ्तारी की जाए।

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    स्वामीनाथन आयोग के C2+50% फॉर्मूले के अनुसार MSP की गारंटी का कानून बनाया जाए। देश के सभी किसानों को कर्ज मुक्त किया जाए। बिजली बिल 2022 रद्द किया जाए। गन्ने का समर्थन मूल्य बढ़ाया जाए और गन्ने की बकाया राशि का भुगतान तुरन्त किया जाए।

    भारत WTO से बाहर आए और सभी मुक्त व्यापार समझौतों को रद्द किया जाए।  किसान आंदोलन के दौरान दर्ज किए गए सभी मुकदमे वापस लिए जाएं। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों के बकाया मुआवजे का भुगतान तुरन्त किया जाए।

    Farmers Protest
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    अग्निपथ योजना वापस ली जाए।इससे पहले लखीमपुर खीरी में 75 घंटे का धरना प्रदर्शन किया। इससे पहले, संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने अपनी लंबित मांगों को पूरा कराने के लिए उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में 75 घंटे का धरने दिया।

    इसमें पंजाब समेत अन्य राज्यों से करीब 50 हजार किसान धरना स्थल पहुंचे थे।दरअसल SKM में लगभग 40 कृषि संगठन शामिल हैं, जो मुख्य रूप से फसलों के लिए मिनियम सपोर्ट प्राइस (MSP) पर गारंटी कानून बनाने की मांग कर रहे हैं।

    इसमें भारतीय किसान यूनियन के नेता Rakesh Tikait इस प्रदर्शन में शामिल हुए थे। दरअसल तिकुनिया इलाके में भड़की हिंसा में 8 लोगों की की मौत हो गई थी। ज्ञात हो कि पिछले साल 3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया इलाके में हिंसा भड़की थी।

    इस दौरान लखीमपुर खीरी में चार किसानों सहित आठ लोगों की मौत हो गई थी। केंद्र सरकार द्वारा वापस लिए गए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान दर्ज मामलों को वापस लेने। साल भर के विरोध प्रदर्शन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा और फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी की भी मांग किसान कर रहे हैं।

    दरअसल जिस MSP कानून बनवाने के लिए किसान धरना दे रहे हैं, उसे जानें MSP, यानी मिनिमम सपोर्ट प्राइस या फिर न्यूनतम समर्थन मूल्य। केंद्र सरकार फसलों की एक न्यूनतम कीमत तय करती है, इसे ही MSP कहा जाता है। अगर बाजार में फसल की कीमत कम भी हो जाती है, तो भी सरकार किसान को MSP के हिसाब से ही फसल का भुगतान करेगी।

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    इससे किसानों को अपनी फसल की तय कीमत के बारे में पता चल जाता है कि उसकी फसल के दाम कितने चल रहे हैं। ये एक तरह फसल की कीमत की गारंटी होती है।

    इससे पहले 31 जुलाई को पंजाब के किसानों ने अमृतसर, बठिंडा के वल्लाह में रेलवे ट्रैक पर बैठ गए थे और अपनी मांगों को पूरा नहीं करने के लिए केंद्र सरकार के खिलाफ अंबाला, पंचकूला के बरवाला और कैथल के चीका में शंभू टोल प्लाजा पर विरोध प्रदर्शन किया था। 19 नवंबर 2021 को तीनों कृषि कानूनों की वापसी का ऐलान किया तीनों नए कृषि कानूनों को 17 सितंबर, 2020 को लोकसभा ने मंजूर किया था।

    राष्ट्रपति ने तीनों कानूनों के प्रस्ताव पर 27 सिंतबर को दस्तखत किए थे। इसके बाद से ही किसान संगठनों ने कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया था। हालांकि, 14 महीने बाद 19 नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री ने कृषि कानून रद्द करने की घोषणा की।

    इसके बाद दिसंबर 2021 में किसान संगठनों और सरकार के बीच अंतिम दौर की बातचीत में कई मुद्दों पर सहमति बनी थी। इनमें MSP तय करने पर कमेटी बनाने, मृत किसानों को मुआवजा देने और किसानों पर आंदोलन के दौरान लगे मुकदमे हटाने पर सहमति बनी थी। तीनों कृषि कानून, जिनके खिलाफ आंदोलन कर रहे थे किसान।

  • नरेश टिकैत से मिले संजीव बालियान 

    नरेश टिकैत से मिले संजीव बालियान 

    किसानों की नाराजगी को दूर करने को टिकैत परिवार पर डोरा डाल रही भाजपा

    द न्यूज 15 

    नई दिल्ली। किसान आंदोलन के चलते भाजपा से नाराज चल रहे किसानों को मनाने के लिए भाजपा ने कवायद शुरू कर दी है। इसके लिए भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) और टिकैत परिवार को साधने के प्रयास युद्ध स्तर पर शुरू हो चुके हैं। बीकेयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के उम्मीदवारों के समर्थन का ऐलान भी कर दिया और बाद में यूं  टर्न भी ले लिया है। इस बीच भारतीय जनता पार्टी के नेता और मोदी सरकार में मंत्री संजीव बालियान ने सोमवार सुबह नरेश टिकैत से मुलाकात की है।
    दोनों नेताओं के बीच नरेश टिकैत के घर पर मुलाकात हुई। दोनों के बीच क्या बातचीत हुई यह अभी सामने नहीं आया है। हालांकि, नरेश टिकैत ने कहा है कि बालियान परिवार के आदमी हैं और उनके मिलने के लिए कोई भी आ सकता है। नरेश टिकैत ने मुलाकात को लेकर जवाब देते हुए एक टीवी चैनल पर कहा, है  ”संजीव बालियान परिवार के आदमी हैं, सबका अधिकार है यहां आने का। कोई किसी पार्टी का नेता हो, सबका घर है। टिकैत साहब के जमाने से ही लोग यहां आशीर्वाद लेने आते रहे हैं।”
    अपने रुख से पटलते हुए नरेश टिकैत ने एक बार फिर कहा कि उनके परिवार से कोई चुनाव में नहीं खड़ा हुआ है और न ही वह किसी का समर्थन कर रहे हैं। किसी भी पार्टी का कोई भी नेता आ सकता है। हम अराजनैतिक ही हैं। प्रयागराज में तीन दिन का सम्मेलन है। उसमें देखिए क्या निर्णय लिया जाता है। इस बीच राकेश टिकैत ने भी दोहराया है कि उनका संगठन किसी के समर्थन में नहीं है। राकेश टिकैत ने कहा कि सिसौली सबका घर है, वहां सब लोग जाते हैं। एक मंत्री गए तो वहां दूसरे प्रत्याशी भी थे। एक ही जगह सब बैठे थे। हालांकि, जब उनसे यह पूछा गया कि क्या बीकेयू ने बीजेपी को माफ कर दिया है? इसके जवाब में टिकैत ने कहा, ”कोई माफ नहीं कर रहे, किसने कहा कि माफ कर दिया। कोई गलतफहमी में ना रहे।”

  • राकेश टिकेत ने किया ट्रैक्टर मार्च निकलने का ऐलान

    राकेश टिकेत ने किया ट्रैक्टर मार्च निकलने का ऐलान

    नए कृषि कानूनों के विरोध में एक साल तक चले किसान आंदोलन के तहत 26 जनवरी को निकाले गए ट्रैक्टर मार्च की यादें इस गणतंत्र दिवस पर भी ताजा होने वाली है। भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत ने इस गणतंत्र दिवस पर भी ट्रैक्टर मार्च निकालने का ऐलान कर दिया है।

  • गणतंत्र दिवस पर फिर होगा दिल्ली में बवाल !

    गणतंत्र दिवस पर फिर होगा दिल्ली में बवाल !

    द  न्यूज 15
     

    नई दिल्ली। नए कृषि कानूनों के  विरोध में एक साल  तक चले किसान आंदोलन के तहत 26 जनवरी को निकाले गए ट्रैक्टर मार्च की यादें इस गणतंत्र दिवस पर भी ताजा होने वाली है। भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत ने इस गणतंत्र दिवस पर भी ट्रैक्टर मार्च निकालने का ऐलान कर दिया है। दरअसल राकेश टिकैत ने रविवार को हरियाणा की चरखी दादरी में कहा कि किसान आंदोलन अभी समाप्त नहीं हुआ है। 15 जनवरी को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक होगी, जिसमें महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाएंगे। टिकैत ने आरोप लगाते हुए कहा, ”सरकार का ध्यान किसानों की जमीन पर है, इससे सचेत रहने की जरूरत है। सरकार का अगला वार उन भूमिहीन किसानों पर है जो पशु पालकर, दूध बेचकर गुजर-बसर करते हैं.” उन्होंने कहा कि हर साल 26 जनवरी को किसानों का ‘ट्रैक्टर मार्च’ निकाला जाएगा।
    राकेश टिकैत ने चरखी दादरी में कहा कि खाप समाज का आईना हैं और इनका गौरवशाली इतिहास रहा है। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन के दौरान संयुक्त किसान मोर्चा ने जब-जब कहा खापों ने मजबूती से साथ दिया। टिकैत निर्दलीय विधायक और फौगाट खाप 40 के प्रधान सोमवीर सांगवान द्वारा आयोजित सर्व खाप महापंचायत को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने आरोप लगाया, ”सरकार की नीयत ठीक नहीं है। अभी पूरी तरह मुकदमे वापिस नहीं हुए हैं। 15 जनवरी को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक होगी जिसमें महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाएंगे।
    राकेश टिकैत ने कहा कि आंदोलन की बदौलत ही जमीन और गांव को बचाया जा सकता है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार हर विभाग का निजीकरण कर रोजगारों की फौज खड़ी कर रहीहै। उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा हर मुद्दे को लेकर गम्भीर है और अब पीछे हटने वाले नहीं हैं। एक सौ से ज्यादा खापों की महापंचायत में सामाजिक बुराइयां, कुरीतियां दूर करने पर जोर दिया गया है। इसे संबोधित करने वाले अधिकतर वक्ताओं ने सरकार द्वारा लड़कियों के विवाह की कानूनी उम्र 18 की बजाय 21 साल करने के कदम का विरोध किया। वक्ताओं ने यह भी कहा कि विवाह माता-पिता की सहमति पर हों।

  • संघर्ष से ‘खुश’ लेकिन चुनाव नहीं लड़ूगा : राकेश टिकैत

    संघर्ष से ‘खुश’ लेकिन चुनाव नहीं लड़ूगा : राकेश टिकैत

    मुजफ्फरनगर (यूपी)| भारतीय किसान संघ (बीकेयू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों के संघर्ष को सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा। टिकैत ने यह भी स्पष्ट किया कि उनका चुनाव लड़ने का कोई इरादा नहीं है और लोगों को राजनीतिक होर्डिग्स पर अपनी तस्वीरों का इस्तेमाल करने पर चेतावनी भी दी है।

    उन्होंने कहा, मेरा किसी राजनीतिक दल से कोई लेना-देना नहीं है। टिकैत बुधवार देर रात गांव सिसौली में किसानों को संबोधित कर रहे थे, जब वह 383 दिनों के धरने के बाद घर लौटे।

    उन्होंने कहा, “हमारा संघर्ष सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा। मैं अंतिम सांस तक किसानों के अधिकारों के लिए संघर्ष करता रहूंगा।”

    टिकैत अपने समर्थकों के एक बड़े जुलूस में सिसौली पहुंचे और पूरे रास्ते फूलों से रैली में वर्षा की गई।

    मेरठ-मुजफ्फरनगर राजमार्ग पर हर चौराहे पर ‘लड्डू’ बांटे गए और गाजीपुर सीमा से मुजफ्फरनगर तक हर 25 किलोमीटर पर लंगर का आयोजन किया गया।

    टिकैत की पत्नी सुनीता देवी ने जाट कॉलोनी स्थित अपने घर में उनका स्वागत करने के लिए सैकड़ों दीये जलाए। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “मेरे पति आज 383 दिनों के बाद घर आ रहे हैं। उनके स्वागत में मुझे जितने दीपक जलाने चाहिए, उतने कम नहीं होंगे। जैसे भगवान राम अयोध्या वापस आए, मेरे राम आज घर आ रहे हैं।” किसान आंदोलन शुरू होने के बाद से टिकैत घर नहीं गए थे।

  • आंदोलनकारी किसानों की घर वापसी, राकेश टिकैत ने किया नेतृत्व !thenews15

    आंदोलनकारी किसानों की घर वापसी, राकेश टिकैत ने किया नेतृत्व !thenews15

    गाजियाबाद के यूपी गेट पर आंदोलनकारी किसानों ने आज सुबह हवन और पूजा पाठ कर अपने घर वापसी कर ली….किसानों ने यूपी गेट से फतेह मार्च निकालने से पहले हवन में आहुति दी जिस दौरान किसान नेता गौरव टिकैत, मीडिया प्रभारी शमशेर राणा होशियार सिंह और अन्य किसान मौजूद रहे। भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत भी गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे जिन्होंने किसानों फतेह मार्च का नेतृत्व किया और मुजफ्फरनगर के लिए रवाना हो गए। वही हवन संपन्न होने के बाद किसानों ने अपने सामान तैयार किए और एक-दूसरे से मिलकर विदा हो गए। फतेह मार्च निकालने से पहले किसानों ने देशभक्ति गीतों पर भी डांस किया।

  • धरने पर बैठे किसानों से राकेश टिकैत की अपील को नकारा! thenews15

    धरने पर बैठे किसानों से राकेश टिकैत की अपील को नकारा! thenews15

    लखीमपुर खीरी के गोला की बजाज हिंदुस्तान शुगर मिल में धरने पर बैठे किसानों से राकेश टिकैत की अपील का नकारा गया… किसान धरना प्रदर्शन खत्म कर के जो किसान मिल को गन्ना देना चाहते है उन्हें मिल को गन्ना देने दें मगर ताला डाल कर बैठे किसानो ने सारी बाते सिरे से नकार दी

  • जीत के बाद किसानों की वापसी !thenews15

    जीत के बाद किसानों की वापसी !thenews15

    मोदी सरकार के किसानों की सभी मांगों मानने के बाद किसान अपने घरों को लौट रहे हैं। गाजीपुर बॉर्डर पर किसान बाक़ायदा पेट पूजा करके अपने घरों को लौट रहे हैं। जीत के बाद किसानों की वापसी

  • आंदोलन स्थगित ख़त्म नहीं

    आंदोलन स्थगित ख़त्म नहीं

    द न्यूज़ 15 से बात करते हुए किसानो ने कहा कि आंदोलन स्थगित हुआ है खत्म नहीं। अब हम लोग यू पी मिशन के लिए निकलेंगे अब किसान गन्ने के बकाया भुगतान के अलावा दूसरी समस्याओ को लेकर आंदोलन करेंगे |

  • आंदोलन में एकजुट हुए किसान |The News 15

    आंदोलन में एकजुट हुए किसान |The News 15

    द न्यूज 15 ने जब गाजीपुर बार्डर पर पहुंचकर किसानों से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि किसान आंदोलन ने किसानों को बहुत मजबूती दी है। जो मोदी सरकार किसानों को नक्सली, आतंकवादी और नकली किसान बता रही थी, उसी सरकार को ही किसानों की बातें माननी पड़ी। किसानों का कहना था कि वे लोग भले ही अपने घरों को वापस लौट रहे हैं आंदोलन जारी रहेगा।