नई दिल्ली। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मिशन 2024 के लिए विपक्ष को एकजुट करने में लग गये हैं। 5 सितम्बर को वह दिल्ली आ रहे हैं। दिल्ली में आकर उनकी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के अलावा दूसरे विपक्षी दलों से मिलने की योजना है। हाल ही में तेलंगाना के मुख्यमंत्रीचंद्रशेखर भी राव नीतीश कुमार से मिले हंै। चंद्रशेखर राव के नीतीश कुमार से मिलने के बाद वह भाजपा पर कुछ ज्यादा ही आक्रामक हैं।
भले ही मणिपुर में जदयू के ६ में से पांच विधायक भाजपा में शामिल हो गये हों पर इन सबकी परवाह न करते हुए नीतीश कुमार विपक्ष की लामबंदी में लगे हंै। पटना में जदयू की चल रही तीन दिवसीय बैठक में नीतीश कुमार ने जोर देकर कहा कि यदि विपक्ष एक हो गया तो जनता भी साथ आ जाएगी। और उन्होंने 2024 में भाजपा के खिलाफ माहौल बनाने की बात कही है। दरअसल शनिवार को जदयू राज्य कार्यकारिणी की बैठक में बोल रहे थे। बैठक में पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री से प्रधानमंत्री उम्मीदवार के रूप में आगे आने की अपील भी की। बैठक में एनडीए से अलग होकर महागठबंधन सरकार बनाने के पार्टी के निर्णय को अच्छा कदम बताया गया। नीतीश कुमार को दिल्ली में तीन दिन बिताने हैं।
दरअसल नीतीश कुमार से एनडीए से अलग होकर राजद के साथ सरकार बनाने के बाद विपक्ष को बड़ी मजबूती मिली है, क्योंकि 2014 में नरेंद्र मोदी के खिलाफ नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री पद का बड़ा चेहरा माना जा रहा था। नीतीश कुमार ने जब राजद से अलग होकर भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाई थी तो विपक्ष को बड़ा झटका लगा था। उसके बाद नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी की तारीफ कर यहां तक कह दिया था कि कोई नहीं है टक्कर में। हालांकि नीतीश कुमार ने एक समय समाजवाद के प्रणेता डॉ. राम मनोहर लोहिया के गैर कांग्रेसवाद के नारे के साथ गैर संघवाद का नारा तक दे दिया था। वह बात दूसरी है कि बाद में नीतीश कुमार भाजपा की गोद में जा बैठे थे।
यह अपने आप में इतिहास है कि देश जो भी बदलाव हुए हैं वे बिहार से हुए हैं। 1977 में जो तत्काीलन इंदिरा गांधी की सरकार को उखाड़ फेंका गया था। इमरजेंसी के खिलाफ बिगुल फूंका गया था वह भी पटना के गांधी मैदान से शुरू हुआ है। दरअसल भाजपा ने देश के सभी राज्यों को भगवाकरण करने की नीति अपनाई है। गैर भाजपा शासित राज्यों में भाजपा किसी भी तरह से सरकारों को गिराकर अपनी सरकार बनानी चाहती है। मध्य प्रदेश के बाद महाराष्ट्र में भाजपा ने ऐसे ही सरकार बनवाई है। दिल्ली की केजरीवाल सरकार तो छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने भी भाजपा पर अपने विधायक तोड़ने का आरोप लगाया है। झारखंड में हमेंत सोरेन ने अपने विधायक छत्तीसगढ़ में छिपा रखे हंै। अब देखना यह है कि नीतीश कुमार विपक्ष को कितनी मजबूती देते हैं। हालांकि आज की तारीख में वह भाजपा के खिलाफ खुलकर बोल रहे हंै।