तारामंडल। आजाद नगर पूर्वी, गोरखुपर के निवासी और बोधगया स्थित मगध विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर डा. राजेन्द्र प्रसाद 30 करोड़ के घोटाले में फंस गये हैं। बिहार सरकार की एसवीयू यानी विशेष निगरानी इकाई ने बुधवार को उनके आवासों और कार्यालय में छापेमारी कर इतने मूल्य का सामान जब्त किया है जिसके बारे में उसका कहना है कि ये डा. प्रसाद की ज्ञात आय से काफी अधिक है।
छापेमारी के दौरान करीब 90 लाख रुपये की भारतीय मुद्रा और साढ़े सात लाख रुपये की विदेशी मुद्राएं जब्त की गयीं। इसके अलावा करीब पंद्रह लाख के जेवरात और एक करोड़ रुपये मूल्य की जमीन के कागजात भी मिले हैं।
सर्च वारन्ट से लैस एसवीयू ने डा. प्रसाद के खिलाफ एफआईआर दर्ज करायी थी। डा. प्रसाद के साथ-साथ उनके निजी सचिव सुबोध कुमार पर जालसाजी और भ्रष्टाचार विरोधी अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है। उनपर आरोप है कि उन्होंने लखनऊ के जिस फर्म से विश्वविद्यालय के लिए खरीदारी दिखायी है वह श्री प्रसाद के रिश्तेदारों से जुड़ी है। साथ ही, वहां से ऐसे सामान खरीदे गये जिनकी न तो मांग की गयी थी और न ही उनकी जरूरत थी। करोड़ों की खरीदारी के लिए निर्धारित प्रक्रिया भी नहीं अपनायी गयी।
विशेष निगरानी इकाई के एडीजे नैयर हसनैन खान ने इस बारे में बताया कि पासपोर्ट और कस्टम्स अधिकारियों की मदद लेकर इस बात की जांच करायी जाएगी कि डा. प्रसाद के पास विदेशी मुद्रा कहां से आये जिनमें ब्रिटिश पौंड, आस्ट्रेलियाई डाॅलर और रियाल शामिल हैं। यह पता लगा जाएगा कि उन्होंने किन देशों की यात्रा की है। एसवीयू यह भी पता लगा रही है कि उनके बैंक लाॅकर में क्या कुछ है।
डा. प्रसाद के खिलाफ इसी साल फरवरी में एबीवीपी के एक कार्यर्ता सूर्य कुमार ने डिग्री प्रिन्टिंग, काॅपी और अन्य सामान की खरीदारी में हेराफेरी की शिकायत की थी जिसके बार एसवीयू ने उनके खिलाफ केस दर्ज किया था।