चरण सिंह
तो क्या बीजेपी के हिंदुत्व ने सभी दलों के समीकरण बिगाड़ दिये हैं। तो क्या हरियाणा के बाद महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के साथ ही जिस तरह से बीजेपी ने उत्तर प्रदेश और बिहार विधानसभा उप चुनाव जीता है उसका सीधा असर पड़ा है। तो क्या उप चुनाव में चारों सीटें हारने के बाद आरजेडी नेता लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में रणनीति बदलने वाले हैं।
दरअसल बिहार में जिस तरह से उप चुनाव में चारों सीटें एनडीए ने जीत ली। उससे जदयू धर्मनिरपेक्ष छवि से बाहर निकलकर कर हिंदुत्व की ओर जाता हुआ दिखाई दे रहा है तो तेजस्वी यादव के अपने रणनीति बदलने की बात सामने आ रही है। अपनाने की बात सामने आ रही है। दरअसल इन उप चुनाव में न तो लालू प्रसाद का बनाया एमवाई समीकरण कुछ काम आया और न ही तेजस्वी यादव का बीआईआईपी कांस्पेक्ट। जहां आरजेडी सीपीआई एमएल प्रत्याशी को तरारी सीट पर जितवाने में असमर्थ रहा वहीं आरजेडी प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह रामगढ़ सीट को न जितवा सके। बेलागंज पर लालू प्रसाद यादव की खुद की कवायद भी कोई काम न आई। जगदानंद को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने की मांग उठने लगी है। आरजेडी के पूर्व एमएलसी आजाद गांधी ने आश्चर्य जताया कि अब तक जगदानंद सिंह ने प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा नहीं दिया। मतलब जगदानंद सिंह को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने का दबाव लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव पर बढ़ने लगा है। ऐसे में यह जानकारी मिल रही है कि तेजस्वी यादव भी बिहार में उत्तर प्रदेश में अपनाए गये अखिलेश यादव के पीडीए को बिहार में आजमा सकते हैं।
दरअसल अखिलेश यादव ने पीडीए के बलबूते लोकसभा चुनाव में ३७ सीटें हासिल की थी जबकि बीजेपी ३६ सीटों पर ही सिमट कर रह गई थी। ऐसे में प्रश्न उठता है कि यदि तेजस्वी यादव पीडीए पर काम करते हैं तो सवर्ण नेता बदलने का अंदेशा है। आरजेडी प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह खुस सवर्ण है। गत लोकसभा चुनाव में जगदानंद सिंह के बेटे सुधाकर सिंह लोकसभा चुनाव जीते हैं। सवर्ण समाज पहले भी लालू प्रसाद यादव से उस समय नाराज हो चुका है जब लालू प्रसाद ने भूरा बाल साफ करने का आह्वान किया था। फिर बाबू रघुवंश प्रसाद, जगदानंद सिंह और अनंत सिंह आरजेडी से जुड़े रहे। दरअसल लोकसभा चुनाव में आरजेडी ने सवर्णों को दो टिकट दिया था।
देखने की बात यह कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की सधी हुई चाल और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की हिन्दुत्व की आक्रामक राजनीति के चलते बीजेपी लगातार चुनाव जीत रही है। आज की तारीख में बीजेपी को आरएसएस का भी पूरा सहयोग मिल रहा है। लोकसभा चुनाव में भले ही भाजपा अपने दम पर सरकार न बना पाई हो पर एनडीए की सरकार बनाने के बाद बीजेपी ने आक्रामक नीति अपनाई है। उत्तर प्रदेश में जो भाजपा को करारी शिकस्त मिली थी। उसकी भरपाई योगी आदित्यनाथ ने ९ में से ७ सीटें उपर चुनाव में जीतकर कर दी है। आरएसएस ने फिलहाल गृहमंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच चल रही वर्चस्व की लड़ाई को भी विराम लगा दिया है। जो केशव प्रसाद मौर्य, बृजेश पाठक, भूपेंद्र सिंह चौधरी और धर्मपाल सिंह योगी आदित्यनाथ के खिलाफ थे उन्हें योगी आदित्यनाथ की तारीफ करते हुए बोल दिया गया है।