द न्यूज 15
मुंबई । महाराष्ट्र के मुंबई में फर्जी जीएसटी बिल बनाने के मामले में बड़ी कार्रवाई हुई है। सीजीएसटी पालघर कमिश्नरेट ने फर्जी बिल और जीएसटी इनपुट टैक्स क्रेडिट धोखाधड़ी के मामले में बड़ी कार्रवाई की है। सीजीएसटी पालघर ने 1000 करोड़ रुपए से अधिक के फर्जी बिल जारी करने और 181 करोड़ रुपए के जीएसटी इनपुट टैक्स क्रेडिट धोखाधड़ी के आरोप में एक अकाउंटेंट को गिरफ्तार किया है।
एक आधिकारिक बयान के अनुसार, 27 वर्षीय व्यक्ति जिसने 12वीं कक्षा तक पढ़ाई की थी और एक अकाउंटेंट और जीएसटी सलाहकार के रूप में काम करता था, उसे मुंबई क्षेत्र के सीजीएसटी पालघर कमिश्नरेट के अधिकारियों ने गिरफ्तार किया था। इस मामले की जांच डेटा माइनिंग और डेटा विश्लेषण से प्राप्त खास इनपुट के आधार पर शुरू की गई, जिसमें निथिलन एंटरप्राइजेज के माल या सेवाओं की प्राप्ति के बिना नकली चालान जारी करने के कारनामे में शामिल होने की तरफ इशारा किया गया। बयान में कहा गया है कि बाद में पता चला कि अकाउंटेंट (जिसकी पहचान का खुलासा नहीं किया गया है) ने मौद्रिक लाभ के लिए जीएसटी धोखाधड़ी करने के लिए अपने एक ग्राहक की पहचान चुरा ली थी।
सबूत दिखाए जाने पर अकाउंटेंट ने 1,000 करोड़ रु से अधिक के फर्जी बिल जारी करने और ₹181 करोड़ के नकली आईटीसी हासिल करने का अपराध स्वीकार किया, जिसके बाद उसे मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद आरोपी को कोर्ट में पेश किया था। स्थानीय अदालत ने गिरफ्तार आरोपी को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
जारी बयान में कहा गया है कि आरोपी के एक बड़े नेटवर्क का हिस्सा होने का संदेह है जो निर्दोष लोगों को जीएसटी रजिस्ट्रेशन हासिल करने के लिए लुभाता है और फिर इस रजिस्ट्रेशन को ‘चोरी’ करता है, जिसे बाद में नकली आईटीसी हासिल करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। बयान के मुताबिक, इस रैकेट के सरगना और इस नेटवर्क में शामिल अन्य की पहचान करने करने की कोशिश की जा रही है।
एक आधिकारिक बयान के अनुसार, 27 वर्षीय व्यक्ति जिसने 12वीं कक्षा तक पढ़ाई की थी और एक अकाउंटेंट और जीएसटी सलाहकार के रूप में काम करता था, उसे मुंबई क्षेत्र के सीजीएसटी पालघर कमिश्नरेट के अधिकारियों ने गिरफ्तार किया था। इस मामले की जांच डेटा माइनिंग और डेटा विश्लेषण से प्राप्त खास इनपुट के आधार पर शुरू की गई, जिसमें निथिलन एंटरप्राइजेज के माल या सेवाओं की प्राप्ति के बिना नकली चालान जारी करने के कारनामे में शामिल होने की तरफ इशारा किया गया। बयान में कहा गया है कि बाद में पता चला कि अकाउंटेंट (जिसकी पहचान का खुलासा नहीं किया गया है) ने मौद्रिक लाभ के लिए जीएसटी धोखाधड़ी करने के लिए अपने एक ग्राहक की पहचान चुरा ली थी।
सबूत दिखाए जाने पर अकाउंटेंट ने 1,000 करोड़ रु से अधिक के फर्जी बिल जारी करने और ₹181 करोड़ के नकली आईटीसी हासिल करने का अपराध स्वीकार किया, जिसके बाद उसे मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद आरोपी को कोर्ट में पेश किया था। स्थानीय अदालत ने गिरफ्तार आरोपी को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
जारी बयान में कहा गया है कि आरोपी के एक बड़े नेटवर्क का हिस्सा होने का संदेह है जो निर्दोष लोगों को जीएसटी रजिस्ट्रेशन हासिल करने के लिए लुभाता है और फिर इस रजिस्ट्रेशन को ‘चोरी’ करता है, जिसे बाद में नकली आईटीसी हासिल करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। बयान के मुताबिक, इस रैकेट के सरगना और इस नेटवर्क में शामिल अन्य की पहचान करने करने की कोशिश की जा रही है।