चरण सिंह
आप संयोजक अरविंद केजरीवाल क्या घेराबंदी से घबराकर बौखला गए हैं ? क्या वह अनाप शनाप बातें करने लगे हैं ? क्या आप के हाथों से सत्ता फिसल रही है ? क्या यमुना के पानी में जहर मिलाने आरोप पर चुनाव आयोग का कारण बताओ नोटिस केजरीवाल को भारी पड़ने वाला है ? ये प्रश्न आज की तारीख में दिल्ली की गलियों में चक्कर लगा रहे हैं। दरअसल अरविंद केजरीवाल ने हरियाणा सरकार पर जो यमुना के पानी में जहर मिलाकर दिल्ली को भेजने का आरोप लगाया है वह उनके लिए मुसीबत बन गया है। चुनाव आयोग ने कारण बताओ नोटिस भेजकर केजरीवाल से पानी में जहर मिले होने के सबूत मांगे हैं।
दरअसल केजरीवाल पानी में जहर वाले मुद्दे पर पूरी तरह से घिर चुके हैं। पीएम मोदी ने इसे बड़ा मुद्दा बना लिया है। उन्होंने दिल्ली में चुनावी रैली को सम्बोधित करते हुए कहा एक पूर्व मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि हरियाणा सरकार यमुना के पानी में जहर मिलाकर भेज रही है। मैं भी तो यही पानी पी रहा हूं। दिल्ली के जज भी तो यही पानी पी रहे हैं। चुनाव आयोग के कारण बताओ नोटिस से केजरीवाल का खेल बिगड़ता नजर आ रहा है। आख़िरकार अब केजरीवाल जहर का सबूत क्या देंगे ? अमोनिया को तो जहर नहीं कहा जा सकता है। उधर हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने दिल्ली में आकर पानी पीकर अरविन्द केजीरवाल से पूछा कि कहां है पानी में जहर ?
अरविंद केजरीवाल का यह रवैया रहा है कि आरोप लगा देते हैं और शिकंजा कसने पर माफ़ी मांग लेते हैं। अन्ना आंदोलन में केजरीवाल ने किस पार्टी पर भ्र्ष्टाचार के आरोप नहीं लगाए। अब जिन पार्टियों पर आरोप लगाए थे उनके साथ गलबहिया करते देखे जा रहे हैं। केजरीवाल केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से माफ़ी मांग चुके है। अरुण जेटली से भी उन्होंने माफ़ी मांगी थी। कुछ भी बोल देते हैं। अब हरियाणा सरकार पर पानी में जहर मिलाकर भेजने का आरोप ही लगा दिया। अब तो बीजेपी केजरीवाल के साथ बड़ा खेल यह करने वाली है कि दिल्ली में रह रहे हरियाणा और उत्तर प्रदेश के लोगों से अरविंद केजरीवाल को घरवाएगी कि क्या 15 साल से वह उन्हें जहर युक्त पानी पिला रहे हैं।
बीजेपी इस मुद्दे को हरियाणा और यूपी के अपमान से जोड़ने वाली है। पानी गंदा तो हरियाणा और उत्तर प्रदेश की गलती। दिल्ली गंदी तो बीजेपी की गलती। कानून व्यवस्था गड़बड़ाई तो गृह मंत्री की गलती। तो फिर आप सरकार का दिल्ली में काम क्या है ? कांग्रेस और बीजेपी नेताओं पर बस आरोप लगाना। दरअसल केजरीवाल चौतरफा घिर चुके हैं। उनकी समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर वह करें तो क्या करें। फ्री की योजनाओं पर तो वह 15 साल से राज कर ही रहे हैं। फ्री की योजनाएं तो बीजेपी और कांग्रेस ने भी लाने का वादा कर दिया। अब केजरीवाल करें तो क्या करें ?