चरण सिंह
क्या सपा सांसद रामजी लाल सुमन ने ऐसे ही राज्य सभा में राणा सांगा को गद्दार बोल दिया ? क्या समाजवादी पार्टी इस बयान पर राजनीति नहीं कर रही है ? क्या रामजी लाल सुमन के इस बयान का सपा को कोई फायदा हो रहा है ? आखिर सपा ने राम जी लाल सुमन से यह बयान क्यों दिलवाया ? ये सभी प्रश्न राजनीतिक गलियारे में चक्कर काट रहे हैं।
दरअसल राम जी लाल सुमन के राणा सांगा पर दिए बयान के पीछे सपा की बहुत बड़ी रणनीति मानी जा रही है। रामजी लाल सुमन के इस बयान से सपा ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं। एक तो राम जी लाल दलित सुमन हैं और दूसरे राणा सांगा को गद्दार बोलकर मुस्लिमों की सहानुभूति बटोरने की कोशिश की गई है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या सपा को रामजी लाल सुमन के बयान का कोई फायदा होने जा रहा है ?
दरअसल जिस तरह से रामजी लाल सुमन के घर पर करनी सेना के साथ ही दूसरे राजपूत संगठनों ने तोड़फोड़ की। उससे सपा मुखिया अखिलेश यादव ने राम जी लाल को सुमन को दलित बताकर बीजेपी पर उनके घर पर हमला करवाने का आरोप लगा दिया है। पर दलितों की कोई सहानुभूति सपा को नहीं मिल रही है। एक तो रामजी लाल सुमन का चेहरा दलितों को आकर्षित करने का नहीं रहा है। दूसरा खुद दलितों को रामजी लाल सुमन का यह बयान अच्छा नहीं लगा है। जहां तक मुस्लिमों की बात है तो यूपी के मुस्लिमों का रुझान अब कांग्रेस की ओर है। आजम खान प्रकरण पर अब यूपी का मुसलमान अखिलेश यादव पर विश्वास करने को तैयार नहीं है। मुसलमानों को लगता है कि सपा के ढुलमुल रवैये के चलते आजम खान को फंसाया गया है।
बाजार में चर्चा है कि रामगोपाल यादव और गृह मंत्री अमित शाह के बीच में एक डील हुई है। इस डील में सपा को आजम खां के मामले में आक्रामक नहीं होना है, जिसकी एवज में यादव सिंह प्रकरण में यादव परिवार का बचाव होना बताया जा रहा है। ऐसे में चर्चा यह भी है कि आजम खां को जेल से बाहर निकलवा कर उनसे अलग पार्टी बनवाकर 2027 का विधानसभा चुनाव लड़ाने की तैयारी है। ऐसे में अखिलेश यादव चाहते हैं कि मुस्लिम वोटबैंक को कब्ज़ा लिया जाए। यदि आजम खान बगावत करते हैं तो अखिलेश यादव के लिए मुस्लिम वोट बैंक सपा में रोकना मुश्किल हो जाएगा।