ऊषा शुक्ला
महिलाओं का आज का दौर बड़ा अजीबोग़रीब हो गया हैं। आधुनिकता की आड़ में महिलाएँ या कहे लड़कियाँ अर्ध नग्न कपड़े पहनकर सड़कों पर घूमती नज़र आती है । शर्म आती हैं ऐसे माताओं पर जो अपने मासूमो को ऐसे कपड़ों में घर के बाहर निकालती है। महिलाओं का आज का स्वभाव भी उनके कपड़ों की तरह फटाफटा सा हो गया है।हम जो कपड़े पहनते हैं, उसका प्रभाव हमारे मन, बुद्धि, आत्मा हमारे स्वभाव तथा चरित्र पर पड़ता है।अर्धनग्न केवल लड़कियां और औरतें ही ऐसे सूट साड़ी या ड्रेस जिसमें पूरी पीठ, पूरी टांगे, पूरा वक्ष क्यों दिखाती है? मॉडर्न दिखने के चक्कर में लड़कियां केवल अर्ध नग्न कपड़े को ही आधुनिकता क्यों समझ रही है? ‘मेरी जिंदगी, मेरा फैसला’ अगर सही है तो नग्नता का फैसला ही क्यों लेती है? ‘ अपनी कला, या अपना पुरोगामित्व सिद्ध करने के लिए ऐसे करते क्यूं नही नजर आते? यह भेदभाव क्यों? यह तो एक नही , हमको अर्धनग्न लड़के क्यों नही नजर आते? क्यों नहीं लड़के अपने शरीर का प्रदर्शन करते हुए रास्ते पर दिखते ? चाहे पार्टी हो, या शादी, हर आदमी बढ़िया सर से पांव तक पूरा ढका रहता है, चाहे जितना मॉडर्न हो।आप किसी भी फिल्मी समारोह को देखिए चाहे ऑस्कर हो या हमारा फिल्मफेयर, आदमी पूरे बढ़िया सूट बूट वाले और सारी औरतें ऊपर से, पेट से, कमर से कटे कपड़े पहनकर नजर आएंगी। ये क्यों है दोगला पन है।अपना शरीर लोगों को दिखाना यह एक साधारण लड़की के मन में तब तक नही आएगा जब तक की वह हमारी मीडिया से एक्सपोज नही होगी। हम अपने आप को ही पुरुषप्रधानता का और शिकार बना रहे है। लड़के लो कट टी शर्ट, टांगे दिखानेवाल जीन्स या जिन में गर्मी से जान जा रही हो ऐसे चुस्त जीन्स में क्यों नजर नहीं आते? उनकी जींस बढ़िया आरामदेह , ।उनका तैराकी का पोशाक भी पूरा बॉटम ढकता है, महिलाओं का बस त्रिकोण , बाकी शरीर खुला। क्यों? क्या यह नैसर्गिक है?खेल खेलते समय भी देखिए, लड़के आरामदेह और अच्छी ढ़ीली ढाली शॉर्ट्स पहनते है पर लड़कियां वहा पर भी पूरा शरीर दिखाती है तो यह बात की आराम के लिए लड़कियां ऐसे करती है यह बात समझ नही आती।।फैशन के इस युग में अनचाहे ही लड़कियां अपने आप को आधुनिक और नई पीढ़ी की सीखने के चक्कर में दलदल में और फंसती जा रही है।मुझे स्वतंत्रता है तो मैं अपना शरीर दिखाऊंगी? यह काहे की स्वतंत्रता। मन चाहे कपड़े सब लोगों के अर्ध नग्न ही क्यों होते है?अपनी सिनेमा में काम करनेवाली लड़कियां ऐसे करे तो समझ में आता है। उनको काम उनके शरीर के सुंदरता की वजह से मिल है, लोग वही देखन चाहते है, तो निर्माता उनका शरीर बेच रहे है, लोग वही देखने जा है इसलिए अर्ध नग्न नायिका केवल पैसे कमाने के लिए दिखाई जाती है। चाहे लोग उसे कुछ भी नाम दे, कला कहें या अस्तित्व वादी कहें या जो भी यह सच है की औरतों को अपना देह दिखाने के पैसे मिलते है। चलो, मान लिया यही वहा का दस्तूर है और पैसे के लिए कुछ भी कर लेती है लड़कियां । पर जब असहज होकर अपना शरीर सारी दुनिया के सामने रखती लड़की देखने से अचरज होता है। समाज के बड़े समूह के बारे में यह कह सकती हूं के राह चलते लोग हमारे शरीर को देखे तो हम सब को असहज लगेगा। ना केवल स्त्री को पुरुष को भी। किसी को भी लगेगा।फिर कौन सी बात है जा केवल अपने आपको मॉडर्न समझने वाली लड़कियां ही समझ पाती है और वह अपना शरीर सबके सामने खुला कर रखना चाहती है? यह पुरुषप्रधान संस्कृति की सबसे बड़ी जीत लगती है जिन्होंने लड़कियों को वही करने के लिए मजबूर किया भाई जो वह खुद चाहते है। ।अगर आप सचमुख आधुनिक लड़कियां या महिलाएं देखना चाहेंगे तो दुनिया भरी पड़ी है उनसे। जो हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ काम करती है, सही में आधुनिक है पर उनकी आधुनिकता अपना शरीर खुला करने में नही है। वह भी पुरुषों की तरह आराम देय अपने काम के अनुसार कपड़े पहनती है। एक आईएएस अधिकारी, एक डॉक्टर, एक अभियंता, एक अध्यापिका, एक शेफ, एक पुलिस कर्मी, इनको क्यों नही ऐसे कपड़े पहनने की इच्छा होती? यह तो स्वतंत्र है, इनपर समाज का दबाव भी नही है, अपना कमाती है, कई तो शादिसुदा भी नही है फिर भी अपना शरीर ढकना ही पसंद करती है।कपड़े एक जरूरत है अपने आप को सुरक्षित रखने के लिए। यह जो किस्म की बातें है वह केवल एक व्यवसाय है। केवल पैसा बनाने का माध्यम और साधन। हर साल कुछ फिल्म वाली लड़कियों को अजीब , छोटे छोटे कपड़े पहना कर फोटो डाल दी जाती है ।।हर व्यक्ति को अपनी पसंद के कपड़े पहनने का अधिकार है। पर अगर यह सोच मौलिक होती तो विचार भी किया जा सकता था। मै रूढ़िवादी नही हूं। मुझे कपड़ों से आपत्ति नहीं है। मुझे खुद हर किस्म के कपड़े पहनना पसंद है लेकिन मैं ही नही, मेरी बिटिया भी जो भी पहने तो लोग हमें घूरें या देखें यह भाव उसमे नही होता। हम समाज के कई रूढ़ियों के प्रति विरोध प्रदर्शित करते हैं पर उसमे कम कपड़े पहनना शामिल नहीं है। वैसे तो मैं यह भी जानते हो कि सड़क पर चलने वाली महिलाओं को लोग साड़ी और सूट में भी गंदी नज़र से देखते हैं फिर भी मैं यह कहना चाहूंगी कि बहुत अधिक अर्ध नग्न कपड़े पहनकर सड़क पर नहीं घूमना चाहिए।