Srinivasa Ramanujan Biography
Srinivasa Ramanujan Biography: महान गणितज्ञ रामानुजन, जिस गणित का नाम सुन आधे लोगों को चक्कर आ जाता है उसी गणित के महारथी रामानुजन थे। रामानुजन की प्रतिभा का बोलबाला न केवल भारत में बल्कि 20वीं सदी में भी विदेश तक था बिना किसी सोशल मीडिया पर पोस्ट किये केवल अपनी प्रतिभा के दम पर।
रामानुजन ने कई समीकरण दिये जिसका उपयोग आज भी किया जाता हैं, ब्लैक होल की पढ़ाई तक में इनका उपयोग किया जाता हैं। आज भी महान गणितज्ञों में उनका नाम लिया जाता है, लेकिन रामानुजन की जिंदगी भी अभाव में बीती चलिए जानते है भारत के महान गणितज्ञ रामानुजन कों।
रामानुजन का बचपन –
बचपन में ही रामानुजन को गणित से प्यार था उनके पास पहली बार गणित की किताब 6वी कक्षा में मिली रामानुजन बचपन में ही गणित का ट्यूशन पढ़ाते थे। लेकिन रामानुजन जी का मन और किसी विषय में नही लगता था। वे परीक्षा 2 बार फेल होने के बाद भी लोगों को गणित का ट्यूशन पढ़ाने के लिए पूछते थे।
रामानुजन अपने गणित में प्यार के चलते फेल हो जाने से डर के मारे एक बार घर से भी भाग गए थे जिसका विज्ञापन उस समय के हिन्दू अखबार में आया। लेकिन एक महीने बाद वे घर वापस आ गए।
इस महान गणितज्ञ का शादी 1909 में हो गई। अब उनके पास अपना जीविकोपार्जन चलाने के लिए पैसे नही थे इसलिए उन्होने ट्यूशन पढना शुरु किया। क्लर्क की नौकरी की लेकिन साथ ही गणित से अपना पीछा नहीं छोड़ा और रिसर्च पेपर पब्लिश करते रहें।
विदेश में रामानुजन –
उन्होने समझा कि रामानुजन की गणित में समझ बहुत अच्छी है जिसे भारत से बाहर भी जाना चाहिए। इसलिए उन्होंने तत्कालीन जाने माने गणितज्ञ GH Hardy को भेजा। GH Hardy के पास इस तरह के पत्र आते रहते थे। लेकिन रामानुजन का पत्र अलग था।
शुरुआत में उन्हे वे समझ नहीं आया लेकिन कुछ समय बाद ही उन्हे रामानुजन की प्रतिभा का एहसास हुआ और वे समझे कि रामानुजन कितने प्रतिभावान हैं। GH Hardy ने रामानुजन की तरफ से भेजे गए समीकरण में कुछ समीकरण खुद पहली बार देखें थे। जिन्हें वे हल भी नहीं कर पाए।
कुल मिलाकर रामानुजन ने 120 समीकरण भेजे थे।
GH Hardy ने रामानुजन को विदेश बुलाया लेकिन रामानुजन नहीं जा सकते थे पारिवारिक दबाव और आर्थिक स्थिति के चलते। लेकिन प्रोफेसर GH Hardy ने अपने दोस्त नेविल को भारत भेजा। नेविल मद्रास आ कर रामानुजन की समस्या हल करते है और मद्रास यूनिवर्सिटी से उनके स्कॉलरशिप की भी व्यवस्था करते हैं।
अंततः 17 मार्च 1914 को रामानुजन लंदन पहुंचे हैं और फिर शुरु होता हैं रामानुजन के रिसर्च का कार्य। GH Hardy मान गए रामानुजन जीनियस है उनके लिए एक टीचर काफी नही। इसी बीच विश्व युद्ध ने भी कर कार्य को प्रभावित किया लेकिन वे लगे रहेंष।
रामानुजन को मार्डन गणित की समझ नही थी। लेकिन इतने जटिल समीकरणों को एक बार में हल कर लेने वाले रामानुजन को उनके सहकर्मियों ने कभी नही बदला।
रामानुजन की भगवान में बड़ी आस्था थी वे अपने काम में ही भगवान को लेकर आते अपनी ओर से बनाए हर समीकरण को भगवान से जोड़कर देखते थे। ऐसा कहां जाता है कि स्लेट पर समीकरण लिख – लिख कर मिटाने के चलते रामानुजन की कोहनी काले रंग की हो गई थी।
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रामानुजन के द्वारा किये गए कार्यो पर कई फिल्में भी बनाई जा चुकी है साल 2015 में आई the man who knew infinity फिल्म रामानुजन जी की जिंदगी पर आधारित फिल्म थीं इस फिल्म के टाइटल में ही बताया गया कि रामानुजन को अनंत जिसे कोई नही जानता उसका ज्ञान भी महान गणितज्ञ रामानुजन को था।