प्राचीन धरोहरों की वापसी : भारत के इतिहास और संस्कृति का सम्मान

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प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के दौरान अमेरिका ने लौटाई 297 प्राचीन वस्तुएं

दीपक कुमार तिवारी 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया अमेरिका यात्रा के दौरान एक ऐतिहासिक क्षण तब आया जब अमेरिका ने भारत को 297 प्राचीन कलाकृतियाँ लौटा दीं। ये कलाकृतियाँ न केवल भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक हैं, बल्कि देश की अनमोल विरासत की पुनः प्राप्ति का भी प्रतीक हैं। इन प्राचीन वस्तुओं का पुनः भारत लौटना देश के इतिहास के प्रति सम्मान और उसकी धरोहर के महत्व को दर्शाता है।

मध्य भारत की अप्सरा की मूर्ति (10-11वीं शताब्दी ई.):

मध्य भारत से प्राप्त यह अद्भुत मूर्ति बलुआ पत्थर से बनाई गई है। यह 10-11वीं शताब्दी ईस्वी की अप्सरा की एक सुंदर प्रतिमा है, जो उस समय की कला और संस्कृति का उत्कृष्ट उदाहरण है। इसकी बारीक कारीगरी और शिल्प कौशल भारत की प्राचीन मूर्तिकला की समृद्ध परंपरा को प्रदर्शित करती है।

जैन तीर्थंकर की कांस्य मूर्ति (15-16वीं शताब्दी ई.):

मध्य भारत से ही प्राप्त जैन तीर्थंकर की यह कांस्य मूर्ति 15-16वीं शताब्दी की है। इस मूर्ति का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है, जो जैन धर्म के दर्शन और आध्यात्मिकता को दर्शाता है। यह उस समय की धातु शिल्पकला का उत्कृष्ट नमूना है, और इसके भारत लौटने से जैन संस्कृति से जुड़े महत्वपूर्ण पहलू फिर से उजागर होते हैं।

पूर्वी भारत का टेराकोटा फूलदान (3-4वीं शताब्दी ई.):

इस सूची में पूर्वी भारत से प्राप्त टेराकोटा फूलदान भी शामिल है, जो 3-4वीं शताब्दी ईस्वी का है। टेराकोटा शिल्पकला भारत की प्राचीन कला का अभिन्न हिस्सा रही है, और यह फूलदान उस काल की सामाजिक, सांस्कृतिक, और आर्थिक जीवनशैली का प्रतीक है। इसकी विशिष्ट बनावट और डिजाइन उस युग की शिल्पकला की श्रेष्ठता को दर्शाते हैं।

भारत की सांस्कृतिक धरोहर की पुनः प्राप्ति का ऐतिहासिक क्षण:

297 प्राचीन वस्तुओं की वापसी भारत के लिए एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक उपलब्धि है। यह न केवल भारतीय संस्कृति की धरोहर को सुरक्षित रखने का प्रयास है, बल्कि उन प्राचीन कलाकृतियों को उनके मूल स्थान पर पुनः स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है। यह घटना अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर के प्रति जागरूकता और सम्मान को भी बढ़ावा देती है।

प्रधानमंत्री मोदी की बाइडेन से महत्वपूर्ण बैठक:

इस यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच हुई बैठक भी महत्वपूर्ण रही। इस मुलाकात के बारे में प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया,

“मैं राष्ट्रपति बाइडेन को ग्रीनविले, डेलावेयर में अपने आवास पर मेरी मेजबानी करने के लिए धन्यवाद देता हूं। हमारी बातचीत बेहद फलदायी रही। बैठक के दौरान हमें क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करने का अवसर मिला।”

इस बातचीत ने दोनों देशों के बीच मजबूत होते कूटनीतिक संबंधों को और गहरा किया, जिससे भविष्य में भारत-अमेरिका साझेदारी और सशक्त होगी।

प्राचीन वस्तुओं की वापसी हमारे इतिहास के सम्मान का प्रतीक है:

यह घटना भारत के गौरवशाली अतीत और संस्कृति की महत्ता को पुनः स्थापित करती है। प्राचीन वस्तुओं की यह वापसी केवल कलाकृतियों की प्राप्ति नहीं, बल्कि हमारे इतिहास और धरोहर के प्रति वैश्विक सम्मान का प्रतीक है। प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा भारत की सांस्कृतिक धरोहर को वापस लाने और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर इसे सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

यह क्षण न केवल गर्व का है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक संदेश भी है कि हमारी संस्कृति और धरोहर की सुरक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह देश के अतीत के प्रति सम्मान और इसके संरक्षण के लिए की गई हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

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