आल्हा सिन्हा
महाभारत युद्ध के समय भगवान श्री रामजी के वंश के राजा बृहद्वल थे जो कोरवों की तरफ से पांडवों के विरुद्ध युद्ध लड़े थे. इनको अभिमन्यु ने युद्ध में हराकर वध कर दिया था । यह राम जी के रघु कुल में सूर्यवंश की सौवी पीढ़ी में थे, यही कौशल के राजा थे. यह समय कलयुग के शुरू होने का था और द्वापर के समाप्ति का था. युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ के समय भीम ने इनको हराया था और उन्होंने महाराज युधिष्ठिर को भेंट दी थी. राजसूय यज्ञ में सहयोग किया था. राजा राम के पुत्र कुश के राज्यारोहण के समय को त्रेता की समाप्ति और द्वापर के शुरू का माना जाता है, कुश ब्रह्मा जि की पचासवी पीढ़ी में थे, राम 49 वि पीड़ी में थे, कुश कौशल के राजा थे।
श्री राम जी के पुत्र लव को उन्होंने लाहौर का राज्य मिला. लाहौर लब के नाम से ही बसा शहर है, इसी तरह लाहौर के निकट रावलपिंडी सिसोदिया वंशीय बाप्पा रावल के नाम से बसा है जो चित्तौड़ के राणा थे , ये भी रघुकुल वंशीय छत्रिय है। इन्होने सिंध के मुस्लिम सुल्तान को हराया था और ब्राह्मण राजा दाहिर के पुत्र दाहिर सिया को राजा बनाया था. यह आठवीं सदी की वाकया है मुहम्मद कासिम के सिंध को जीत कर मुसलमानी राज्य स्थापित करने के बाद का। दाहिर को सिंध कराची देवल में मुहम्मद कासिम ने 713 में हराया था। यह खलीफा , मुसलमानों का भारत पर 16 वां आक्रमण था। भारत में इनका इतिहास नहि पढ़ाया जाता क्योंकि वोट बैंक खिसक सकते है. भारत अल्पसंख्यक तुष्टीकरण में लगा है। राम के छोटे भाई भरत के 2 पुत्र को पुष्करावती और तक्षशिला तथा लक्ष्मण के पुत्र लखनऊ और शत्रुघ्न के पुत्र मथुरा शूरसेन के राजा बने।
शल्य जो कौरवों की तरफ से महाभारत लड़े थे, वे भी राम वंशी थे. श्री राम सूर्यवंशी थे. इनका कुल भगवान सूर्य से शुरू हुआ था. मनु समस्त मानव जाति के आदि पिता है. भगवान राम के ही कुल में अनेक प्रतापी राजा हुए है. उनकी राजधानी अयोध्या थी. रघुकुल इसलिए कहते है कि अपने दिए हुए वचन कि प्रतिष्ठित बचाते है. रघुकुल रीति प्रसिद्ध है. यह वंश इच्छवाकु वंश भी कहलाता है क्योंकि इच्छवाकु इस वंश के ही राजा थे. उनसे ही कुल चला. वह प्रतापी थे. पृथु, भगीरथ, मान्धाता, राजा सागर इस कुल के महान राजा थे जिनके समाज हित के कार्य अनुकरणीय है. गंगा को पृथ्वी पर लाने वाले भागीरथ अपने भगीरथ प्रयत्न के लिए प्रसिद्ध है. गंगा उनके प्रयोजन और प्रयास से ही देवलोक से अवतरित हो भूलोक पर आई और सगर के साठ हज़ार पुत्रो का जल समाधी होकर उद्धार किया। कपिल मुनि के आश्रम में फिर समुद्र में गंगासागर में मिल गयी. पाताल लोक गई ।गंगा जी इसलिए तीनो लोक में बहती कही जाती है त्रिपथगामिनी है।
भानुकुल नाथ श्री राम. श्री राम भगवान ही है। अयोध्या उनकी राजधानी थी।
अब भी अनेको राजघराने स्वयं को राम का वंशज मनते है जैसे आमेर जयपुर राजघराना कछवाहे राजा, मेवाड़ का राणा घराना और मध्य प्रदेश में भी एक कोई राजघराना है जो स्वयं को राम के वंशज कहते है. राजपूतों में गुहिल, गहलोत, बैसला, राघव भी रघुवंशी है. जाटों में भी कई कुल है गौत्र है जो राम से जुड़े है जैसे बाल्यान खाप. यह राजा बल से चली है जो रघुवंशी थे. कुछ खटीक भी स्वयं को रघुवंशी कहते है. कुछ इस्लाम को अपनाये हुए मेवात के मुसलमान भी स्वयं को राम का वंशज कहते है.
महाराणा प्रताप भी श्री राम के वंश से है. हाथी प्र बेठे राजा मान सिंह जिन पर महाराणा अपने प्रसिद्ध भारी भाले से घोड़े चेतक पर सवार होकर वार कर रहे है और वह अपनी जान बचाने के लिए होदे में छिप जाता है. वह मानसिंह भी राम के वंशज है और मुग़ल सेना के सेनापति है. अतः दोनो तरफ राम वंशी ही लड़ रहे है. एक भारत मे मुग़ल को जमाने और दूसरा उनको भगाने के लिए। अफसोस सब सम्मिलित प्रयास कम कर पाए अन्यथा भारत का इतिहास अलग होता। अहम वैमनस्य कुल प्रतिष्ठा रीति रिवाज परंपरा ने इन क्षत्रिय राजाओं को एक दूसरे जा घोर विरोधी बना दिया और एखता कि कमी ने भारत को गुलामी की कड़ी जंजीरों में मज़बूती से बांध दिया।