चरण सिंह
वक्फ संसोधन बिल पर सियासत गरमा गई है। दिल्ली से लेकर पटना तक माहौल गरम है। क्योंकि बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं तो वहां ज्यादा हाय तौबा मच रही है। देखने कि बात यह है कि दिल्ली जंतर मंतर पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की अगुआई में हुए प्रदर्शन में पहले नीतीश कुमार को चेतावनी दी गई कि यदि उन्होंने वक्फ संसोधन बिल का विरोध नहीं किया तो उनको मुस्लिम समाज वोट नहीं देगा। जदयू के नेता ललन सिंह के बिल के पक्ष में बोलने पर सात मुस्लिम संगठनों ने नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी का बहिष्कार कर दिया। अब पटना में वक्फ संसोधन बिल के विरोध में धरना दे दिया। इस धरने को समर्थन देने के लिए खुद लालू प्रसाद पहुंच गए।
धरने में पहुंचे पूर्व डिप्टी सीएम और प्रतिपक्ष नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि आरजेडी वक्फ संसोधन बिल के खिलाफ है और मुस्लिम भाइयों की हर लड़ाई में उनके साथ रहेगी। उन्होंने यह भी कहा कि लालू प्रसाद जी बीमार होते हुए भी उनके धरने में पहुंचे हैं। जन सुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर ने भी धरने में जाकर वक्फ संसोधन बिल का विरोध किया।
देखने की बात यह है कि 2005 और 2010 में बड़े स्तर पर मुस्लिमों का वोट हासिल करने वाले नीतीश कुमार से इस बार मुस्लिम नाराज देखे जा रहे हैं। बिहार में यह पहली बार हुआ है कि मुख्यमंत्री की इफ्तार पार्टी का मुस्लिम संगठनों ने विरोध किया है। हालांकि आरजेडी नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी के इफ्तार पार्टी रखने पर कांग्रेस नेता नहीं पहुंचे। बाद में लालू प्रसाद की नाराजगी के चलते कांग्रेस ने आनन फानन में दिल्ली में के बैठक रखी और आरजेडी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया।
दरअसल बिहार में लालू प्रसाद को राजनीति का खिलाड़ी माना जाता है। 2015 के विधानसभा चुनाव में लालू प्रसाद ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के आर्थिक आधार पर आरक्षण के बयान को तूल देकर आरक्षण के मुद्दे को सुलगा दिय था और चुनाव जीत लिए था। नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने थे। ऐसे ही 2025 के विधानसभा चुनाव में लालू ने वक्फ संसोधन बिल पर मुस्लिम वोटबैंक पर दांव चल दिया है।
बिहार में 18 फीसदी मुस्लिम वोटबैंक माना जाता है। इस में कांग्रेस और वामदल भी आरजेडी के साथ आ गए हैं। मतलब 95 फीसद मुस्लिम वोटबैंक महागठबंधन के साथ। ऐसे में जिस एमवाई समीकरण पर लालू प्रसाद ने लंबे समय तक बिहार पर राज किया, वह एमवाई समीकरण फिर से उभर कर आ रहा है। मतलब तेजस्वी यादव के सीएम बनने के समीकरण बन रहे हैं। वैसे भी नीतीश कुमार की हरकतें एनडीए को लगातार कमजोर कर रही हैं। जिस तरह से बिहार में अपराध बढ़ा है। ऐसे में नीतीश के साथ ही बीजेपी पर भी उंगली उठ रही है। मतलब तेजस्वी के लिए रास्ता खुल रहा है।