देहरादून । देश में असली समस्याओं पर तो ध्यान नहीं दिया जा रहा है पर लोगों को परेशान जरूर किया जा रहा है। सरकार और व्यवसायी प्रकृति को तहस नहस करने में लगे हैं जब प्रकृति का प्रकोप बढ़ता है सरकारें इसका समाधान न खोज कर लोगों को ही परेशान करना शुरू का देती हैं। जोशीमठ में भी ऐसा ही किया जा रहा है।
पूरे पहाड़ों को काट काट कर जमीन खोखली कर दी गई पर अब जब जोशीमठ शहर में जमीन में दरारें पड़ने लगीं तो होटल ही गिराए जाने लगे। दरअसल दो होटल जमीन धंसने की वजह से झुक गए हैं और इनमें दरारे आ गई हैं। प्रशासन ने इन्हें गिराने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस बीच जोशीमठ की समस्या पर सुप्रीम कोर्ट ने भी तुरंत सुनवाई से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जरूरी मामलों पर काम करने के लिए देश में चुनी हुई सरकारें भी हैं। सुप्रीम कोर्ट इस मसले पर 16 जनवरी को सुनवाई करेगी।
इस बीच, जोशीमठ में होटल गिराए जाने से पहले व्यापार मंडल और होटल के मालिक ने नाराजगी जाहिर की है। व्यापार मंडल ने दोनों होटलों के मूल्यांकन की मांग की है। मलारी इन होटल के मालिक ने सरकार के फैसले से नाराजगी जताते हुए कहा कि मुझे केंद्र और राज्य सरकार से तकलीफ है। मेरे होटल का आर्थिक मूल्यांकन किया जाना चाहिए। मैं यहां से चला जाऊंगा।