कोई अगर आप के घर आकर वंहा पर किराये पर रहने लगे और फिर धीरे-धीरे वंहा कब्ज़ा कर ले तो आप की प्रतिक्रिया क्या होगी, ऐसा फिलहाल हमारे देश में हो रहा हैं जंहा पहले ही हमारे देश की जनसँख्या 140 करोड़ हो गयी हैं,जिस कारण से देश को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा हैं,जैसे बेरोजगारी और स्वास्थ्साम्बन्धि वही अगर कोई बाहर का आकर के आपका हक्क छीन ले,आपकी जानकारी बता दे की ऐसा हो रहा हैं,म्यांमार और बंगलदेश से आये रोहिंग्या मुसलमानों जो भारत में सरणार्थीयों के रूप में आये पर अब वे यंहा कब्ज़ा कर बैठे हैं ,
भारत में रोहिंग्या मुसलमान .
बीते दिनों पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ एक गुप्त मुहिम चलायी जिसके चलते सभी गैरकानूनी तरीके से रह रहे रोहिंग्यायों को पकड़ा गया,बहुत दिनों से सरकार को उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जनपदों से ये सुचना मिल रही थी की वाहा गैरकानूनी रूप विदेशी रह रहे हैं,जिसमे मेरठ,हापुड़,अलीगढ,मथुरा,सहारनपुर और भी कई जिले शामिल हैं,मिली जानकारी के अनुसार 74 रोहिंग्यायों को पकड़ा गया हैं जिनमें 55 आदमी,14 महिला,और 5 बच्चे शामिल हैं !
वही 40 रोहिंग्यायों को तो मथुरा के अल्ल्हपुर से पकड़ा गया था,मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार अल्ल्हपुर मिया तक़रीबन 100 रोहिंग्यायों के मुसलमान रहते हैं,जंहा वे शरू-शुरू में यानी की आज से 15 से 20 साल पहले जमीन किराये पर ली थी पर धीरे-धीरे वे एक परिवार से बहुत सारे परिवार हो गए,,यंहा उन्होंने अपने कच्चे घर बना रखे हैं,और कुछ घर पक्के भी हैं,साथ यंहा कोई बिजली की व्यवस्ता तो नहीं हैं,पर वे सरकारी बिजली को चुरा कर के अपने घरो को रोशन करते हैं !
अगर साफ़ शब्दों में कहे तो न ही उनके पास पक्के कागज़ हैं,न ही पक्का घर और न ही पक्का मीटर,,,पर फिर भी ये लोग इतने दिनों से यंहा रह रहे थे,साथ ही जो 15-20 साल पहले जो बच्चे थे,वे अब व्यसक हो गए हैं और यही यानी की हिंदुस्तान में ही विवाह कर रहे हैं,वही आपको बता दे की उत्तर प्रदेश पुलिस ने कई लोगो से पूछ-ताछ कर के छोड़ दिया,वही अभी जानकारी नहीं मिली है की बाकी बचे लोगों के साथ क्या करा जायेगा ,
वही अगर इनके काम की बात करे तो इनका मुख्य काम कूड़ा बिन्ना हैं,और जगह-जगह सफाई करना भी,ये बात तो हुई उत्तर प्रदेश की वही भारत में अलग-अलग जगह पर ये लोग बास्ते जा रहे हैं,जैसे दिल्ली के बवाना की JJ कॉलोनी में जंहा हजारों की संख्या में बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमान रहते हैं,और आस-पास बहुत ज़्यादा गन्दगी फैलाते हैं,जिस कारण से गांव के रहने वाले लोगों को बहुत समस्या का सम्मना करना पड़ रहा हैं,वही दिल्ली के जहांगीरपुरी और साहिनबाग़ का भी यही हाल हैं,वही आये दिन वेस्ट बंगाल सहित नार्थ-ईस्ट के कई रजियों में रोहिंग्यायो के पकडे जाने की खबर आती रहती हैं,,
क्यों आते हैं रोहिंग्या शरणार्थी हिंदुस्तान में .
वही आप की जानकारी के लये बता दे की रोहिंग्या लोग आम तौर पर मुसलमान होते हैं, लेकिन अल्पसंख्या में कुछ रोहिंग्या हिन्दू भी होते हैं। वही म्यांमार के 2016 के संकट के बाद लाखों की संख्या में रोहिंग्यायों को उनके देश से भार निकल दिया गया,,पूरी जानकारी के अनुसार 1982 म्यांमार राष्ट्रीयता क़ानून के तहत रोहिंग्या लोगों को म्यांमार में नागरिकता प्राप्त करने से प्रतिबन्धित है।इसके बावजूद इन्हें म्यांमारी क़ानून के आठ “राष्ट्रीय समूहों” में से वर्गीकृत नहीं है।उन्हें न तो आंदोलन की स्वतंत्रता हैं,न ही वे राज्य में शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं और न ही नागरिक सेवा में काम कर सकते हैं,
ऐसा इसलिए हैं क्युकी के मयन्मारके बौद्ध लोग और वहाँ की सरकार इन लोगों को अपना नागरिक नहीं मानती हैं। इन रोहिंग्या लोगों को म्यांमार में बहुत अत्याचार का सामना करना पड़ा है। बड़ी संख्या में रोहिंग्या लोग बांग्लादेश और थाईलैंड की सरहदों पर बहुत बुरी स्तिथि में रहते हैं,
बौद्ध लोग जो रोहिंग्यायों को पसंद नहीं करते हैं उनका सबसे ख़ास कारण हैं म्यांमार के सुप्रसिद बोध भिक्षु ‘अशीन विराथू’ उनके नेतृत्व में न जाने कितने मुसलमानों को मारा गया,इसी छवि के कारण से विश्व प्रसिद्व TIME MAGZINE ने थे ‘THE FACE OF BUDHHIST TERROR’ लिख कर छापा,आंकड़ों के अनुसार म्यांमार में क़रीब 8 लाख रोहिंग्या लोग रहते थे,
वही बीते 2021 म्यांमार में सेना का तख्ता पलट के बाद इन लोगो पर गाज गिर गयी थी,क्युकी तख्ता पलट के बाद जो रोहिंग्या शरणार्थी कैंपों में रह रहे थे उनके साथ बहुत बुरा होने लगा,आपकी जानकारी के लिए बता दे की म्यांमार की सेना ने तख्ता पलट Anug san sun kyi के खिलाफ किया था,
तो इतनी जानकारी के बाद आप को पता चल गया होगा की ये लोग हिंदुस्तान क्यों आते हैं,साफ़ है बेहतर शिक्षा के लिए बेहतर रोजगार के लिए ,वे यंहा आ कर के किराये पर रहते हैं,और साथ ही कुछलोग थोड़े से पैसे के लिए बिना किसी जाँच पड़ताल के किराये पर रख भी लेते हैं,
भारत क्या करता हैं सरणार्थीओं के साथ .
भारत का रिकॉर्ड सरणार्थीओं के मामले में बहुत ज़्यादा ही शानदार रहा हैं क्युकी,भारत में आज ही है बहुत सालों से ही शरणार्थी आते रहे हैं ,जैसे 1947 के विभाजन से पाकिस्तान से शरणार्थी,वही वर्ष 1959 में तिब्बती शरणार्थी साथ ही वर्ष 1960 के दशक की शुरुआत में अभी के बांग्लादेश से 1971 में अन्य बांग्लादेशी शरणार्थी,वर्ष 1980 के दशक में श्रीलंकाई तमिल शरणार्थी,हाल ही में म्याँमार के रोहिंग्या शरणार्थी !
वही अधिनियम 1946 की विदेश शरणार्थी निति के अनुसार,भारत का संविधान मनुष्यों के जीवन, स्वतंत्रता और गरिमा का भी सम्मान करता है,साथ ही इसका उद्धरण आप राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग vs स्टेट ऑफ अरुणाचल प्रदेश (1996) मामले से ले सकते हैं जिसमे Suprem court ने कहा कि “सभी अधिकार नागरिकों के लिये उपलब्ध हैं, जबकि विदेशी नागरिकों सहित सभी व्यक्तियों को समानता का अधिकार और जीवन का अधिकार उपलब्ध है।”
भारतीय संविधान के अनुच्छेद- 21 में शरणार्थियों को उनके मूल देश में वापस नहीं भेजे जाने यानी ‘नॉन-रिफाउलमेंट’ (Non-Refoulement) का अधिकार शामिल है।नॉन-रिफाउलमेंट, अंतर्राष्ट्रीय कानून के अंतर्गत एक सिद्धांत है, जिसके अनुसार अपने देश से उत्पीड़न के कारण भागने वाले व्यक्ति को उसी देश में वापस जाने के लिये मजबूर नहीं किया जाना चाहिये।