बीजेपी का आरोप भारत को इस्लामिक देश बनाना चाहती है कांग्रेस, जाने क्या है मामला?

0
78
Spread the love

बीजेपी ने देश में मुस्लिम आबादी बढ़ने की रफ्तार पर चिंता जताई। पार्टी ने हैरानी जताई कि मुसलमानों को आरक्षण देने पर तुली कांग्रेस अगर सत्ता में आती है, तो इससे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग को मिले आरक्षण पर क्या असर पड़ेगा। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की ओर से हाल में जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 1950 से 2015 के बीच हिंदू आबादी का हिस्सा 7.82 फीसदी घटा। मुसलमानों की आबादी 43.15 फीसदी बढ़ी है। इसमें कहा गया है कि 1950 में देश में आबादी में जैन समुदाय की हिस्सेदारी 0.45 फीसदी थी। ये 2015 में घट कर 0.36 फीसदी रह गई। यह रिपोर्ट लोकसभा चुनाव के चौथे चरण की वोटिंग से पहले आई है।

बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने इस रिपोर्ट पर कहा, ‘अगर आप 1951 की जनगणना को देखें तो हिंदुओं की आबादी 88 फीसदी और मुसलमानों की 9.5 फीसदी थी। 2011 की जनगणना में हिंदुओं की आबादी 80 फीसदी से घटकर 79.8 फीसदी रह गई जबकि मुसलमानों की आबादी 14.5 फीसदी से अधिक हो गई।’ उन्होंने कहा, ‘लेकिन सवाल यह उठता है कि अगर इस रफ्तार से देश की आबादी बढ़ती है और जिस प्रकार से कांग्रेस मुस्लिमों को आबादी के आधार पर आरक्षण देने पर तुली हुई है तो वे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी के हिस्से में कटौती करेंगे।’

सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो मुस्लिम आबादी बढ़ने के साथ भविष्य में आरक्षण के हिस्से में बदलाव करना जारी रखेगी। उन्होंने कहा, ‘इसकी ज्यादा संभावना है क्योंकि उनमें में कई शादियों का चलन है।’ उन्होंने कहा कि धर्मांतरण और घुसपैठ के कारण भी आरक्षण में मुसलमानों की हिस्सेदारी बढ़ती रहेगी, क्योंकि उन्हें (कांग्रेस का) धर्मनिरपेक्ष कवर मिल गया है।

बीजेपी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि यह रिपोर्ट कई सवाल उठाती है, क्योंकि एक विशेष समुदाय अपनी जनसंख्या को इस तरह से बढ़ा रहा है जिससे भारत की जनसांख्यिकी के बदल जाने की संभावना है। चंद्रशेखर ने पूछा, ‘मुस्लिमों की आबादी में इस बढ़ोतरी का अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों और अवसरों (उपलब्ध) पर क्या प्रभाव पड़ा है? जैन, बौद्ध, सिख और ईसाई भी हैं। क्या इन समुदायों पर असर पड़ा है?’ उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस समेत कुछ राजनीतिक दल संविधान को बदलने और धर्म आधारित आरक्षण लाने का बड़ा प्रयास कर रहे हैं।

1950 से 2015 तक अल्पसंख्यकों के मुकाबले हिंदुओं की आबादी कम होने के संबंध में जारी रिपोर्ट की टाइमिंग को लेकर सियासी घमासान तेज होने लगा है। पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस, CPI-M और कांग्रेस सहित सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने रिपोर्ट पर सवाल उठाया है। इन राजनीतिक दलों ने रिपोर्ट को लोकसभा चुनाव के बीच राजनीतिक चाल बताया। CPI-M पोलित ब्यूरो के सदस्य और पार्टी के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम ने कहा कि ऐसी रिपोर्ट जारी करने के बजाय सरकार को जनगणना करानी चाहिए। सलीम ने कहा कि 2021 में होने वाली जनगणना को कोविड महामारी के कारण स्थगित कर दिया गया था। अगर जनगणना हो जाती तो जनसंख्या की वास्तविक तस्वीर सामने आ जाती। उन्होंने कहा कि आरएसएस के अजेंडे के तहत चुनाव के बीच यह रिपोर्ट जारी की गई है।

तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य समीरुल इस्लाम ने कहा कि चुनाव के बीच जारी इस रिपोर्ट से पता चलता है कि बीजेपी में हार का डर बैठ गया है। उन्होंने कहा, ‘इसी डर की वजह से बीजेपी हर तरह के कार्ड खेल रही है। यह कवायद काफी समय पहले शुरू हुई थी और चुनावों के बीच भी जारी है। लेकिन ये चालें इस बार काम नहीं करेंगी।’ पश्चिम बंगाल से कांग्रेस के सदस्य शुभंकर सरकार ने कहा, ‘2011 की जनगणना के अनुसार, पश्चिम बंगाल में हिंदू आबादी में वृद्धि मुसलमानों की तुलना में अधिक थी। तो वे कैसे कह सकते हैं कि भारत में हिंदू खतरे में हैं?’

बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की रिपोर्ट पर संदेह जताया। उन्होंने पूछा कि बिना जनगणना कराए केंद्र ने कैसे हिंदू-मुस्लिम जनसंख्या रिपोर्ट तैयार कर ली। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र की सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार मौजूदा लोकसभा चुनाव के दौरान देश के ज्वलंत मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए हिंदू-मुस्लिम के बीच दरार पैदा कर रही है। उन्होंने पूछा, ‘आप जनगणना कराए बिना ही आंकड़ों पर (कैसे) पहुंच गए? क्या 2021 में जनगणना नहीं होनी थी? आप देश के प्रधानमंत्री हैं…कृपया हिंदू-मुस्लिम की भावना त्यागें और मुद्दों पर बात करें।’

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here