आजकल “Moonlighting” का मुद्दा काफी गरम चल रहा है और इसी बीच एक बहुत बड़ी खबर सामने आई है जिसमें पता चला है कि देश की सबसे बड़ी और दिग्गज कंपनी ने इस “मूनलाइटिंग” के चलते हुए अपने कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है, सबसे बड़ी हैरानी की बात तो ये है कि उन्होंने कोई तीन या चार लोगों को नहीं निकाला बल्कि 300 लोगों को एक साथ नौकरी से निकाल दिया है।
पिछले कुछ दिनों से देश की दिग्गज (IT) कपनियां “मूनलाइटिंग” को लेकर काफी सख्त हो गई है। विप्रो (Wipro) के चेयरमैन रिशद प्रेमजी ने तो इसे साफ साफ कंपनी के साथ धोखे का करार दे दिया है और विप्रो (Wipro) ने “मूनलाइटिंग” में शामिल 300 कर्मचारियों को बुधवार को नौकरी से निकाल दिया है। सूत्रों के मुताबिक विप्रो ने अपने कर्मचारियों को इसकी चेतावनी बहुत पहले ही दे दी थी।
रिशद प्रेमजी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर ट्वीट करते हुए कहा था कि “मूनलाइटनिंग यानी वर्क फ्रॉम होम के दौरान कंपनी के काम के अलावा दूसरा काम करना सीधा धोखा है, खासकर आईटी सेक्टर में”, जिसके बाद काफी लोगों ने इसका विरोध भी किया और चेयरमैन के खिलाफ जाने का उन्हें इतना बड़ा हर्जाना देना पड़ा कि उन्हें अपनी नौकरी से ही हाथ धोना पड़ा।
“मूनलाइटिंग” होता क्या है?
कोई भी कर्मचारी अगर अपनी एक फिक्स नौकरी के साथ कहीं और भी चोरी छिपे नौकरी करता है तो उसे “मूनलाइटिंग” कहा जाता है। आम भाषा में इसे साइड जॉब भी कहा जा सकता है। ज्यादातर कंपनियां इसे गलत मानती है लेकिन इसके बावजूद भी लोग मूनलाइटिंग करते है।
इसे मूनलाइट इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि ये काम ज्यादातर रात में या वीकेंड पर करते है। ये काम कोरोना में ज्यादा चला है क्योंकि कोरोना काल में वर्क फ्रॉम होम के कारण लोग दो जॉब्स आसानी से कर पा रहे थे।
“मूनलाइटिंग” को लेकर IT सेक्टर के दो गुट
ज्यादातर कंपनियों ने इसे गलत बताते हुए अपने कर्मचारियों को आगाह किया है कि अगर कोई भी ऐसा करता हुआ पाया गया तो उसे नौकरी से निकाल दिया जाएगा वहीं कुछ कंपनियों ने इसका खुले दिल से स्वागत किया है। विप्रो के चेयरमैन रिशद प्रेमजी ने साफ साफ शब्दों में कह दिया है कि ऐसा करना मतलब कंपनी के साथ धोखा करने जैसा होगा।
इंफ़ोसिस ने भी ये साफ जाहिर कर दिया है कि अगर कोई ऐसा करता हुआ पाया गया तो वो अपनी नौकरी खो देगा और इसका जिम्मेदार भी वो खुद होगा। लेकिन वहीं दूसरी ओर कुछ कंपनियों का मानना है कि कर्मचारी को इतना हक तो मिलना चाहिए कि अगर अपनी शिफ्ट पूरी करके वो कुछ और करना चाहे तो कर सके। शिफ्ट ओवर होने के बाद कोई क्या काम करता है इससे कंपनी को कोई मतलब नहीं होना चाहिए। वो अपने खाली वक्त का इस्तेमाल कैसे भी कर सकता है।
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सबसे पहले इस पॉलिसी की घोषणा SWIGGY ने की थी और अब टेक महिंद्रा ने भी इस पॉलिसी का स्वागत खुले दिल से किया है।
“Moonlighting” के कानून
मूनलाइटिंग एक ऐसी सुविधा है जिससे एक आम आदमी की ज़िंदगी में थोड़ी राहत आ जाती है अपने खर्चों को लेकर। ये एक ऐसी पॉलिसी है जिसमे कोई एम्प्लोयी बिना भारत का कानून तोड़े किसी और कंपनी में भी काम कर सकता है। 60 के दशक में इसे अमेरिका (US) में लागू किया गया था। लेकिन भारत में ज्यादातर जो कंपनियाँ है उनमें ये नियम है कि कोई भी कर्मचारी किसी दूसरी कंपनी में काम नहीं कर सकता क्योंकि ये उनके नियमों का उल्लंघन करता है।