चरण सिंह
भाजपा में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और गृहमंत्री अमित शाह के बीच शह-मात का खेल शुरू हो चुका है। इस शह मात के खेल में जहां योगी आदित्यनाथ अयोध्या में विकास कार्य कराने वाली कंपनी पर शिकंजा कसने जा रहे हैं वहीं अमित शाह ने योगी आदित्यनाथ को निपटाने के लिए हार की समीक्षा के लिए संगठन महामंत्री बीएल संतोष को लखनऊ भेज दिया है। बीएल संतोष की रिपोर्ट योगी आदित्यनाथ के खिलाफ बताई जा रही है। बताया जा रहा है कि अमित शाह की लॉबी ने योगी के खिलाफ पूरा माहौल इस रिपोर्ट में बना दिया है। जानकारी मिल रही है कि इस रिपोर्ट में योगी आदित्यनाथ पर नौकरशाही को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया है। जिसके चलते कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरने की बात कही गई है। योगी आदित्यनाथ पर तानाशाही बरतने का भी आरोप लगाया गया है। उधर योगी लॉबी उत्तर प्रदेश में हार की बड़ी वजह अमित शाह का पूरे चुनाव को कब्जाना बता रही है। योगी समर्थकों का कहना है कि लगभग ३५ सीटों पर योगी आदित्यनाथ की सहमति नहीं ली गई।
दरअसल अयोध्या में पहली बारिश में जो विकास कार्यों की पोल खुली है। रामपथ पूरी तरह से धंस गया है। उसके चलते बीजेपी की बहुत फजीहत हुई है। आरएसएस भी इस मामले में अपमानित महसूस कर रहा है। अयोध्या में विकास कार्य का ठेका गुजरात की जिन कंपनियों पर था वह कंपनी गृहमंत्री अमित शाह के करीबी की बताई जा रही हैं। ऐसे में चर्चा यह है कि योगी आदित्यनाथ इस कंपनी के खिलाफ भ्रष्टाचार की रिपोर्ट दर्ज करा सकते हैं। ऐसे में इस कार्रवाई की आंच गृहमंत्री अमित शाह पर जाने की संभावना बताई जा रही है। अपनी चहेती कंपनी और अपने को बचाने के लिए अमित शाह योगी आदित्यनाथ पर दबाव बना रहे हैं। यदि ऐसा नहीं है तो जब लोकसभा चुनाव हार की कई स्तर पर समीक्षा हो चुकी है तो फिर बीएल संतोष का हार की समीक्षा करने का मतलब क्या है ?
दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद बीजेपी में प्रधानमंत्री पद का चेहरा कौन होगा ? इस मामले को लेकर योगी आदित्यनाथ और गृहमंत्री अमित शाह के बीच वर्चस्व की लड़ाई चल रही है। इस लड़ाई में लोकप्रियता में तो योगी आगे बता जा रहे हैं पर पॉवर और दौेलत के मामले में अमित शाह बढ़त बनाए हुए हैं। दरअसल अमित शाह जानते हैं कि भाजपा के जितने भी मुख्यमंत्री हैं, उनमें से किसी की भी उनके सामने मुंह खोलने की औकात नहीं है। वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ही हैं जो न तो प्रधानमंत्री के दबाव में आते हैं और न ही गृहमंत्री अमित शाह के। ऊपर से भाजपा समर्थकों में बड़ा तबका मोदी के बाद योगी को प्रधानमंत्री पद पर देखना चाहता है। ऐसे में अमित शाह चाहते हैं कि उत्तर प्रदेश लोकसभा हार का ठीकरा योगी आदित्यनाथ के सिर फोड़ उनको मुख्यमंत्री पद से हटाकर उनकी लोकप्रियता में ग्रहण लगा दिया जाए।
ऐसे में योगी आदित्यनाथ ने भी अयोध्या में विकास कार्य के नाम पर सरकार को पलीता लगाने वाली गुजरात की कंपनी पर एफआईआर दर्ज कराने के नाम पर अमित शाह पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। दरअसल जानकारी मिल रही है कि इस कंपनी को अमित शाह की शह पर ही अयोध्या में ठेका मिला था। अब देखना यह होगा कि यह शह मात का खेल कहां तक जाता है।
भाजपा में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और गृहमंत्री अमित शाह के बीच शह-मात का खेल शुरू हो चुका है। इस शह मात के खेल में जहां योगी आदित्यनाथ अयोध्या में विकास कार्य कराने वाली कंपनी पर शिकंजा कसने जा रहे हैं वहीं अमित शाह ने योगी आदित्यनाथ को निपटाने के लिए हार की समीक्षा के लिए संगठन महामंत्री बीएल संतोष को लखनऊ भेज दिया है। बीएल संतोष की रिपोर्ट योगी आदित्यनाथ के खिलाफ बताई जा रही है। बताया जा रहा है कि अमित शाह की लॉबी ने योगी के खिलाफ पूरा माहौल इस रिपोर्ट में बना दिया है। जानकारी मिल रही है कि इस रिपोर्ट में योगी आदित्यनाथ पर नौकरशाही को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया है। जिसके चलते कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरने की बात कही गई है। योगी आदित्यनाथ पर तानाशाही बरतने का भी आरोप लगाया गया है। उधर योगी लॉबी उत्तर प्रदेश में हार की बड़ी वजह अमित शाह का पूरे चुनाव को कब्जाना बता रही है। योगी समर्थकों का कहना है कि लगभग ३५ सीटों पर योगी आदित्यनाथ की सहमति नहीं ली गई।
दरअसल अयोध्या में पहली बारिश में जो विकास कार्यों की पोल खुली है। रामपथ पूरी तरह से धंस गया है। उसके चलते बीजेपी की बहुत फजीहत हुई है। आरएसएस भी इस मामले में अपमानित महसूस कर रहा है। अयोध्या में विकास कार्य का ठेका गुजरात की जिन कंपनियों पर था वह कंपनी गृहमंत्री अमित शाह के करीबी की बताई जा रही हैं। ऐसे में चर्चा यह है कि योगी आदित्यनाथ इस कंपनी के खिलाफ भ्रष्टाचार की रिपोर्ट दर्ज करा सकते हैं। ऐसे में इस कार्रवाई की आंच गृहमंत्री अमित शाह पर जाने की संभावना बताई जा रही है। अपनी चहेती कंपनी और अपने को बचाने के लिए अमित शाह योगी आदित्यनाथ पर दबाव बना रहे हैं। यदि ऐसा नहीं है तो जब लोकसभा चुनाव हार की कई स्तर पर समीक्षा हो चुकी है तो फिर बीएल संतोष का हार की समीक्षा करने का मतलब क्या है ?
दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद बीजेपी में प्रधानमंत्री पद का चेहरा कौन होगा ? इस मामले को लेकर योगी आदित्यनाथ और गृहमंत्री अमित शाह के बीच वर्चस्व की लड़ाई चल रही है। इस लड़ाई में लोकप्रियता में तो योगी आगे बता जा रहे हैं पर पॉवर और दौेलत के मामले में अमित शाह बढ़त बनाए हुए हैं। दरअसल अमित शाह जानते हैं कि भाजपा के जितने भी मुख्यमंत्री हैं, उनमें से किसी की भी उनके सामने मुंह खोलने की औकात नहीं है। वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ही हैं जो न तो प्रधानमंत्री के दबाव में आते हैं और न ही गृहमंत्री अमित शाह के। ऊपर से भाजपा समर्थकों में बड़ा तबका मोदी के बाद योगी को प्रधानमंत्री पद पर देखना चाहता है। ऐसे में अमित शाह चाहते हैं कि उत्तर प्रदेश लोकसभा हार का ठीकरा योगी आदित्यनाथ के सिर फोड़ उनको मुख्यमंत्री पद से हटाकर उनकी लोकप्रियता में ग्रहण लगा दिया जाए।
ऐसे में योगी आदित्यनाथ ने भी अयोध्या में विकास कार्य के नाम पर सरकार को पलीता लगाने वाली गुजरात की कंपनी पर एफआईआर दर्ज कराने के नाम पर अमित शाह पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। दरअसल जानकारी मिल रही है कि इस कंपनी को अमित शाह की शह पर ही अयोध्या में ठेका मिला था। अब देखना यह होगा कि यह शह मात का खेल कहां तक जाता है।