फिर भी कोई काम होता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है !

0
214
सरकारी नौकरियों
Spread the love

आम आदमी की बात 

मैं एक बात नहीं समझ पा रहा हूं कि पहले की सरकार में 1962, 1965, 1971 की भीषण लड़ाईयां भी हुईं। पोलियो, प्लेग, हैजा, टीबी जैसी महामारियाँ भी आईं, जिनका मुफ्त में इलाज भी हुआ। मुफ्त में पूरे देश का टीकाकरण हुआ। खरबों का घोटाला भी हुआ। काला धन विदेशों में भेजा गया, भ्रष्टाचार भोई खूब व्याप्त रहा। फिर भी बहुत सारे सरकारी कारखाने व कंपनियां स्थापित हुईं।
सरकारी अस्पताल, सरकारी कॉलेज, सरकारी स्कूल बनें, सरकारी नौकरियों में कोई कमी नहीं रहीं। भत्ता हमेशा लगातार बढ़ता था महंगाई भत्ता 131% तक दिया। सबसे अधिक वेतन वृद्धि छठे वेतनमान में मिली। सरकारी कर्मचारियों को पेंशन दिया जाता था। देश की जीडीपी 8% से ऊपर थी।आखिर यह सब गद्दार चोरों की सरकार कैसे कर लेती थी ? जो दिव्य महापुरुष की सरकार नहीं कर पा रही है, जबकि उनके अनुसार विदेशों से काला धन वापस आ गया। तब भी दिव्य पुरुष की “सरकार” नौकरियां, वेतन भत्ते, पेंशन नहीं दे कर किसान, मजदूर और आम नागरिक को टेंशन ही दे रही है।सभी की नौकरियां चली गयी, सभी NGO से पैसा प्रधानमंत्री रिलीफ फ़ंड में जमा करवा लिया। कोई युद्ध भी नहीं हुआ, जीडीपी माइनस मे चल रही है और डीजल, पेट्रोल पर सब्सिडी की जगह सरकार टैक्स बढ़ा कर 40 रुपये और कमा रही है। इन्श्योरेंस और म्यूच्यूअल फण्ड पर भी 18% टैक्स से कमा रही है, और फिर भी सारी जेबे खाली है। देश का रिज़र्व बैंक में आपातकालीन जमा में से 175 अरब रुपये निकालकर खर्च कर दिए। अगर कोई बोल रहा है, तो उसको खालिस्तानी, पाकिस्तानी, चमचा या देशद्रोही बोला जा रहा है। मेरे विचार से युवाओं को तो कम से कम जाग जाना चाहिये, विशेष रूप से जो पढ़े लिखे होने का दम भरते है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here