चरण सिंह
आज़ाद समाज पार्टी के नेता और नगीना से सांसद चंद्रशेखर आज़ाद ने एक निजी चैनल को इंटरव्यू देते हुए बसपा मुखिया मायावती से मुलाकात करने के लिए उनके ऑफिस फोन मिला दिया और कहा कि वह बहन जी से मिलना चाहते हैं। देखने की बात यह है कि चंन्द्रशेखर आज़ाद ने यह फोन उस समय किया है जब मायावती आकाश आनंद से नाराज मानी जा रही हैं।
दरअसल आकाश आनंद के ससुर और बसपा के कद्दावर नेता अशोक सिद्धार्थ के पार्टी से निष्कासन के बाद आकाश आनंद अपने ससुर का पक्ष लेते देखे जा रहे हैं।
मायावती ने आकाश आनंद को भी चेतावनी देते हुए कहा कि उनका उत्तराधिकारी वही नेता बन सकता है जो कांशीराम की नीतियों पर चल सकें। उनके के लिए बहुजन समाज का हित सर्वोपरि है। जब मायावती आकाश आनंद से नाराज हैं। ऐसे समय में चंद्रशेखर आज़ाद का मायावती से समय मांगना मतलब बड़ा संदेश देना है। इसमें दो राय नहीं कि यदि मायावती और चंद्रशेखर आज़ाद मिल जाते हैं तो फिर दलित वोटबैंक को साध सकते हैं। दोनों नेताओं के मिलने से न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि देश में एक बड़ा गठबंधन बन सकता है जो दलित युवाओं में जोश भर सकता है। तो क्या मायावती चंद्रशेखर आज़ाद से मिलने में दिलचस्पी दिखा सकती हैं ? क्या चंद्रशेखर आज़ाद को मायावती का उत्तराधिकारी बन सकते हैं ?
दरअसल चंद्रशेखर आज़ाद कभी बसपा में ही हुआ करते थे। चंद्रशेखर आज़ाद के अपने दम पर वजूद बनाने पर मायावती उन पर नाराज हो गई थीं और उनको पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। उसके बाद ही चंद्रशेखर आज़ाद ने भीम आर्मी बनाई थी। सहारनपुर में राजपूत समाज से टकराव के बाद चंद्रशेखर आज़ाद को जेल भी जाना पड़ा था। उन्हें बहुत सा उत्पीड़न सहना पड़ा था। उन्होंने तो उनके नाख़ून तक उखाड़ने की बात भी कही थी। चंद्रशेखर आज़ाद ने मायावती का हमेशा सम्मान ही किया है। आकाश आनंद को उन्होंने छोटा भाई ही कहा है।
लोकसभा चुनाव में जब चंन्द्रशेखर को इंडिया गठबंधन से टिकट नहीं मिला तो उन्होंने आज़ाद समाज पार्टी से नगीना सीट से ताल ठोक दी।
चंन्द्रशेखर आज़ाद जब नगीना से चुनाव लड़ रहे थे तो मायावती ने उन्होंने वोटकटवा कहा था। आकाश आनंद ने चंद्रशेखर आज़ाद पर बहुजन समाज के युवाओं को बरगलाकर आंदोलन में ले जाने और उन पर मुकदमे लगवाने का आरोप लगाया था। बहुजन समाज पार्टी और आजाद समाज पार्टी दोनों हों पार्टियों के कार्यकर्ता दोनों पार्टियों के मिलकर चुनाव लड़ने के पैरोकार हैं। ऐसे में यदि बहुजन समाज पार्टी और आजाद समाज पार्टी दोनों ही पार्टियां गठबंधन करेंगी या फिर दोनों के रास्ते अलग अलग होंगे।