चरण सिंह
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इंडियन एक्सप्रेस को जो इंटरव्यू दिया है उसको लेकर तरह तरह की चर्चा हो रही है। जेपी नड्डा ने जब पूछा गया कि क्या बीजेपी को आरएसएस की जरूरत है ? तो उन्होंने जवाब दिया कि वाजपेयी जी के समय बीजेपी कमजोर थी तो आरएसएस की जरूरत नहीं थी। अब बीजेपी अपने आप में सक्षम है। मतलब अब जरूरत नहीं है। उनका कहना था कि आरएसएस सांस्कृतिक और सामाजिक संगठन है और भारतीय जनता पार्टी राजनीतिक संगठन है। वे लोग अपना काम कर रहे हैं और हम अपना।
ऐसे में प्रश्न उठता है कि आरएसएस जेपी नड्डा के बयान को किस रूप में लेगा ? बताया जा रहा है कि इन लोकसभा चुनाव में जब पहले चरण के मतदान में कम वोट पड़े तो यह संदेश गया कि इससे बीजेपी को नुकसान हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आरएसएस मुख्यालय नागपुर में जाने की बात सामने आई। बीजेपी को यह जानकारी होने की बात सामने आई थी कि आरएसएस कार्यकर्ता पूरे मन से चुनाव नहीं लड़ा रहे हैं। उसके बाद आरएसएस कार्यकर्ताओं के चुनाव में जुटने की बात सामने आई थी।
ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या बीजेपी अब बिना आरएसएस की मदद से चुनाव लड़ने का माद्दा रखती है ? क्या इन चुनाव में आरएसएस की नाराजगी पर बीजेपी कोई भाव नहीं देना चाहती है। जेपी नड्डा इन चुनाव में कई मिथक तोड़ने की भी बात कर रहे हैं। तो क्या जेपी नड्डा एक मिथक तोड़ना बिना आरएसएस के चुनाव जीतना बता रहे हैं।
दरअसल यह माना जाता है कि बीजेपी को आरएसएस कैडर ही चुनाव जितवाता है। आरएसएस की बिना सहमति के बीजेपी में कोई बड़ा निर्णय नहीं लिया जाता है। जेपी नड्डा का यह इंटरव्यू उन खबरों को भी हवा दे रहा है, जिनमें फिर से सरकार बनने पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को साइड लाइन करने की बात सामने आ रही है। उन खबरों को भी हवा मिल रही है जिनमें बीजेपी में दो लॉबी होने की बात की जा रही है। एक लॉबी का नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर रहे हैं तो एक लॉबी का नेतृत्व आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत कर रहे हैं।
ऐसे में तो यह भी कहा जा सकता है कि यदि बीजेपी को पूर्ण बहुमत न मिला तो आरएसएस प्रधानमंत्री का चेहरा बदल सकता है। या फिर यह कहें कि मोदी एंड टीम ने आरएसएस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। क्या अब बीजेपी नेतृत्व आरएसएस की नाराजगी का सामना करना चाहता है। ऐसे में कहा जा सकता है कि जेपी नड्डा के बयान को यदि बीजेपी ने नहीं संभाला तो बीजेपी का मामला गड़बड़ा सकता है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी जो अपने भाषणों में बोल रहे हैं कि वह लिखकर दे रहे हैं कि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नहीं बन रहे हैं। क्या आरएसएस और मोदी के बीच की खटास मानकर राहुल गांधी ऐसा कुछ बोल रहे हैं। इसमें दो राय नहीं कि आरएसएस को नाराज कर बीजेपी सरकार नहीं बना सकती है।
यह भी जमीनी हकीकत है कि आरएसएस सरकार जाने की कीमत पर तो अपनी नाराजगी व्यक्त नहीं कर सकती है। ऐसे में आरएसएस का प्रयास होगा कि बीजेपी को इतनी सीटें आएं कि वह सरकार बनाने में हस्तक्षेप कर सकें।