करनाल, (विसु)। महाप्रभावी श्री घंटाकर्ण महावीर देवता के विशेष कृपा दिवस कृष्ण चौदस पर भक्ति संगम का आयोजन श्री घंटाकर्ण महावीर तीर्थस्थान इंद्री रोड़ पर भक्ति भावनापूर्वक किया गया। सर्वप्रथम श्री घंटाकर्ण बीजमंत्र के सामूहिक जाप से लोकमंगल तथा सभी के कल्याण की कामना की गई। मुनि संयमेश, साध्वी सुयशा, साध्वी श्वेता, साध्वी जागृति, कर्मवीर, जयपाल सिंह, जैन लेडिस क्लब दिल्ली की सदस्याओं ने सुमधुर भक्तिगीतों से समा बांधा। तेरया चरणा विच मेरी अरदास दाता के हर पल बनया रहे मेरा विश्वास दाता, घंटाकर्ण महावीर दरस दिओ दर तेरे ते आया हुआ हां तुसीं तारणहार कहांदे हो दुखिया नूं पार उतारदे हो, घंटाकर्ण महावीर के दर्शन से दुख मिट जाते तेरे सिमरन से संकट सब हट जाते, तेरे चरणों में स्वर्ग भी फीका लागे मेरा सच्चा नाता है दर्शन देओ महावीर जी, यह वो दर है जहां आने से तकदीरें बदलती है यहां सर झुकाने से उलझनें भी सुलझती हैं, यह झोली सबकी भर देते हैं सबको उजाले देते हैं, बसाए मूरत जो दिल में उसकी किस्मत चमकती है इनके भक्तों के आंगन में शहनाई खुशियों की बजती है, मेरी किस्मत की चाबी तेरे हाथ है मेरा मुकद्दर खोलो तो कुछ बात है, आज अगर दरबार से झोली खाली जाएगी प्यास तुम्हारे दर्शन की अधूरी रह जाएगी तो भक्तों की हड़ताल शुरू हो जाएगी आदि भजनों के बोलों ने सभी को झूमने के लिए विवश किया।
भारत संत गौरव उपप्रवर्तक श्री पीयूष मुनि जी महाराज ने महाप्रभावी श्री घंटाकर्ण देवता के संदर्भ में बतलाया कि श्री घंटाकर्ण कृपानिधान भक्तों पर वात्सल्य बरसाने वाले देवता हैं जो सबको निहाल तथा मालामाल करते हैं। इनके उपासक का कोई विपत्ति कुछ बिगाड़ नहीं पाती और सभी अनुकूलताएं चुम्बकीय आकर्षण से उसकी ओर खिंची आतीं है। श्री घंटाकर्ण जी बावन वीरों में तीसवें वीर शिरोमणि तथा वीरों की परिषद में सेनापति का गौरवमयी स्थान प्राप्त प्रभावशाली देवता हैं जिन्हें जैन, हिंदू तथा बौद्ध तीनों परंपराओं में विशेष पूजनीय तथा आराध्य स्थान प्राप्त है। जैन परंपरा में इन्हें चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर का शासनरक्षक देव माना जाता है। वैदिक परंपरा में इन्हें बद्रीनाथ तीर्थ का क्षेत्रपाल देवता, शिवजी का गण तथा उनके पुत्र कार्तिकेय का अभिन्न सहयोगी माना जाता है। मंत्र शास्त्रों में श्री घंटाकर्ण के मंत्रों तथा साधना-विधियों का उल्लेख मिलता है जो मनोरथ पूर्ति, संकल्प सिद्धि, भय निवारण, शारीरिक कष्ट मुक्ति, भूत-प्रेत संबंधित बाधा निवारण, राजकीय संकट से छुटकारा पाने में रामबाण औषधि के समान कार्य करती हैं।
इनकी भक्ति पूर्वक उपासना करने से सारे मनोरथ पूर्ण होते हैं तथा जीवन का पथ विघ्न-बाधाओं से रहित होकर सुखों के सुकोमल एवं खुशबूदार फूलों से सुसज्जित हो जाता है। श्री घंटाकर्ण देव दरबार में सच्चे मन से आने वाला मुंहमांगी मुरादें पाता है और झोलियां भरकर ले जाता है। श्री घंटाकर्ण अतिशय प्रभावी, अलौकिक शक्तिसंपन्न, भक्तवत्सल देव हैं जो नौ निधियों तथा बारह सिद्धियों से परिपूर्ण करते हैं। जीवन की दिशा और दशा बदलकर सुखों से झोलियां भरने की इनके पास अपूर्व शक्ति है। इनके प्रसन्न हो जाने पर कोई भी कुछ बिगाड़ नहीं सकता और नाराज हो जाने पर किसी के पास भी रक्षा करने की शक्ति नहीं है। बौद्ध परंपरा की मान्यता है कि श्री घंटाकर्ण जी को अनुकूल किए बिना मंत्र यंत्र तथा तंत्र की कोई साधना सफल नहीं होती। प्राचीन परंपराओं में श्री घंटाकर्ण देव के आशीर्वाद से भक्तों की मनौतियां पूरी होने के अनेक उदाहरण मिलते हैं और वर्तमान में इनकी कृपा दृष्टि से बिगड़े काम बनने के कई प्रत्यक्ष प्रमाण प्राप्त होते हैं।