सुब्रत रॉय के ईगो और बेईमानी की नीयत से डूब गया सहारा और निवेशकों का पैसा 

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सहारा सेबी प्रकरण में सहारा ग्रुप के सिर्फ दो कंपनियों (सहारा रियल इस्टेट कारपोरेशन और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कारपोरेशन लिमिटेड) में निवेशकों से वसूला गया धन और उस समय तक ब्याज जोड़कर मात्र 25781 करोड़ रुपया ही सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर सेबी के पास जमा करना था।
प्राप्त RTI रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2013 के मूल्यांकन के अनुसार 20,172 करोड़ की जमीन गिरवी रखी गई थी और 5000 करोड़ की राशि कुछ अन्य जमीन बेचकर और सोसायटियों से लोन लेकर जमा करा दी गई थी। उसके बाद भी कई जगह करोडों की जमीन और संपत्ति बची हुई थी । सवाल ये है कि 20 हजार करोड़ की संपत्ति की जमीन  होते हुए भी सुब्रत रॉय ने 12 वर्षों में विवाद का पूरा मूलधन क्यो नही जमा किया..?? उसके बाद भी करोड़ों की संपत्ति थी जिससे कि पैराबैंकिंग व अन्य कार्य को सुचारू रूप से चलाया जा सकता था,फिर भी सुब्रत रॉय ने अपने ईगो और रिकार्ड बनाने के चक्कर मे करोडों निवेशकों के भविष्य और नमकीन बेचने वाले सुब्रत रॉय को सहाराश्री की उपनाम दिला अकूत संपत्ति बनाने में सहयोग देने वाले कर्मचारियों और एजेंटों के भविष्य को अधर में लटका दिए।बल्कि ये कहा जा सकता है कि  नमकीन बेचने वाले सुब्रत रॉय की सहाराश्री बनने के बाद नियत में बेईमानी  समा गई थी।

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