Rupee Vs Dollar: रुपये में रिकॉर्ड गिरावट
Rupee depreciates against dollar
Rupee Vs Dollar :डॉलर के मुकाबले रुपये में रिकॉर्ड गिरावट आई है। अब आप ये सोच रहे होंगे कि इसमें कौन सी बड़ी बात है, रुपये में गिरावट तो हम अक्सर सुनते रहते है। लेकिन यह गिरावट कई मायनों में बड़ी है।
Rupee Vs Dollar मंगलवार को पहली बार रुपये की कीमत एक डॉलर के मुकाबले घटकर 80 रुपये हो गई। यह गिरावट ऐसे दौर में देखने को मिली है जब भारत में महंगाई सबसे बड़ी चुनौती बनकर सामने आई है। ये रुपये में गिरावट का अब तक का सबसे निचला स्तर है। ये मनोवैज्ञानिक स्तर टूटने के संकेत कई दिन से दिख रहे थे पर आज रुपये ने 80 रुपये प्रति डॉलर से नीचे जाकर करेंसी ट्रेडर्स को भारी निराशा में डाल दिया है। इसी के साथ रुपया इस साल 7 फीसदी की भारी गिरावट के साथ कारोबार करता दिख रहा है।
डॉलर इंडेक्स में पिछले एक हफ्ते के निचले स्तर से रिकवरी देखने को मिली है। इसके अलावा कच्चे तेल में तेजी का दोहरा दबाव देखने को मिला।
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आइये जानते है कि क्यों आ रही है रुपये में गिरावट?
ग्लोबल बाजार में कच्चे तेल के दामों में आ रही हालिया तेजी और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण भारतीय करेंसी पर दबाव आ रहा है और इसके असर से भारतीय रुपये में लगातार गिरावट देखी जा रही है। वहीं अमेरिका में महंगाई दर के 41 सालों के उच्चतम स्तरों पर आने के बाद कयास हैं कि फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में एक फीसदी की बढ़ोतरी कर सकता है। इसके असर से डॉलर की मांग बढ़ रही है और इसके मुकाबले रुपये में गिरावट देखी जा रही है।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने भी लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में माना कि एक डॉलर के मुकाबले रुपये में ऐतिहासिक गिरावट आई है। उन्होंने कहा कि रूस यूक्रेन युद्ध, कच्चे तेल में तेजी, वैश्विक फाइनेंशियल हालात में सख्ती के चलते (Rupee Vs Dollar) डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट आई है।
आखिर क्यों है दुनिया में डॉलर का दबदबा? Rupee Vs Dollar
दुनिया की तमाम मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की कीमत बढ़ रही है। इसे मापने का एक पैमाना डॉलर इंडेक्स भी है। यह इंडेक्स दुनिया की छह सबसे बड़ी करेंसी के औसत मूल्य के मुकाबले डॉलर की कीमत दर्शाता है। दुनिया का 85 फीसदी व्यापार अमेरिकी डॉलर मेंहोता है। करीब 40 फीसदी लोन डॉलर में लिए और दिए जाते हैं। हमारे रिजर्व बैंक यानी RBI जैसे दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों के विदेशी मुद्रा भंडार में 60 फीसदी से ज्यादा डॉलर ही होता है। ज्यादातर देश आपसी व्यापार में भी अपनी मुद्रा के बजाय डॉलर ही लेते और देते हैं। ऐसे में भारत जैसे देश जो निर्यात से ज्यादा आयात करते हैं। उनका खर्च बढ़ जाता है और उनकी मुद्रा भी कमजोर होती है। तो रुपये की कीमत में मौजूदा गिरावट की वजह तो आप समझ ही गए होंगे।
इस गिरावट से क्या-क्या होगा असर?
गिरता रुपया नहीं थमा तो, कई तरह कि दिक्क्तें आएंगी। पहला ये कि महंगाई दर और ऊपर जाएगी। रसोई गैस से लेकर खाने-पीने की जिन तमाम चीजों की महंगाई से आप परेशान हैं, वो यहां से भी कहीं ऊपर और महंगी होती नजर आएंगी।
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दूसरा, ब्याज दरें बढ़ जाएंगी। ब्याज दरें बढ़ने से आपके कर्ज महंगे हो जाएंगे और मासिक किस्ते भी बढ़ जाएंगी। तो अगर आप ये सोच रहे है कि लोन महंगे होंगे तो बैंक मेंहमारी जमा पूंजी पर भी तो ज्यादा ब्याज मिलेगा ,तो आपके जानकारी के लिए बता दें कि अगर रुपया गिरता रहा और रिटेल महंगाई दर 8 फीसदी या इससे ज्यादा हो जाए तो आपको रिटर्न मिलेगा नेगेटिव यानी बैंक में रखा पैसा दिखने में बढ़कर आएगा लेकिन वास्तव में उसका मूल्य घट चुका होगा।
इस गिरावट पर इतनी चर्चा हो ही गई है तो यह भी जान लेते है कि क्या इस गिरावट से हमें घबराने की जरूरत है?
Rupee Vs Dollar 1 डॉलर 80 रुपये तक पहुँच गया लेकिन हम 7 नही 3 समुद्र पार यूरोप चलते है जहाँ यूरो और पाउंड का राज है। 1 यूरो किसी जमाने मे 92 रुपये पर था जो कि अर्थशास्त्री की सरकार के समय की बात है, आज वह यूरो 80 पर है, 1पाउंड 104 को छूकर अब 92 पर आ गया है। ऑस्ट्रेलियन डॉलर 59 से 53 पर है, मॉरिशियन रूपी 2.5 से कम रहकर 1.7 पर है।
रुपया सिर्फ डॉलर और तेल बेचने वाली करेंसी से मात खा रहा है और जिसने कॉमर्स पढ़ा होगा वो भी जानता है कि ये मात स्थिर नहीं है। ना भारत सरकार को ना ही भारतीयों को घबराने की जरूरत है, हालांकि कुछ कदम उठाने की आवश्यकता है जैसे ‘पेट्रोल’! भारत ने 2022 में 119 अरब डॉलर सिर्फ तेल के लिये खर्च किये है। 119 अरब डॉलर कितना होता है इसे ऐसे समझिये की पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल, भूटान और म्यांमार के पूरे बजट को यदि आप मिलादे तो भी आप 103 डॉलर तक पहुँचेंगे। अर्थात जितना खर्च हमारे पड़ोसी देश सिर्फ खुदको जिंदा रखने के लिये करते है उससे ज्यादा का हम पेट्रोल खरीद चुके है।
जब मेक इन इंडिया लाया गया था उसका मजाक बना था लेकिन आज भारत मे 100 से अधिक यूनिकॉर्न स्टार्ट अप है जो कि 2014 में 1 या 2 ही थे। भारत ने खुद को प्रतिशत सेनही बल्कि गुणा करके बढ़ाया है। जितना हमारे देश में स्टार्ट अप बढ़ेंगे उतना ही ज्यादा उत्पादन बढ़ेगा और हमारे निर्यात तेजी से बढ़ेंगे। इसलिए अभी जो समय की मार पड़ रही है उसे सरकार या लोगो की योग्यता से ना जोड़िए हो सकता है आर्थिक मंदी दुनिया मे फैल जाए लेकिन हमें अपना विश्वास सरकार में बनाये रखना होगा।
इस गिरावट पर कुछ सियासत भी देखने को मिली।
Rupee Vs Dollar रुपये कि लगातार गिरावट को लेकर विपक्ष ने मौजूदा सरकार पर तंज कसना शुरु कर दिया है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार इस मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल पूछे हैं। राहुल गांधी ने पिछले दिनों ट्विटर पर एक ग्राफ शेयर कर प्रधानमंत्री को उनका एक पुराना बयान याद दिलाया, ये बयान उस दौर का है, जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे।
राहुल गांधी ने लिखा, “देश निराशा की गर्त में डूबा है” ये आपके ही शब्द हैं ना, प्रधानमंत्री जी? उस वक़्त आप जितना शोर मचाते थे, आज रुपए की क़ीमत तेज़ी से गिरती देखकर उतने ही ‘मौन’ हैं।”
(Rupee Vs Dollar )प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस समय के बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहा है।
-अदिती पाण्डेय