अभिजीत पाण्डेय
पटना । बिहार के राजनीति में एक और राजनीतिक दल उतरने जा रही है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष आरसीपी सिंह बीजेपी में अपनी उपेक्षा को देखते हुए नई राजनीतिक दल बनाने की तैयारी में हैं। माना जा रहा है किआरसीपी सिंह 2 अक्टूबर को अपनी नई पार्टी बनाएंगे।
नीतीश कुमार से नाराज होकर आरसीपी सिंह भाजपा में आए। पर जब स्वयं नीतीश कुमार की पार्टी जदयू एनडीए में शामिल हो गई, भाजपा के भीतर उनका कद कम होना शुरू हो गया। उम्मीद थी लोकसभा लड़ाया जायेगा, पर ऐसा हुआ नहीं। फिर लगा कि बड़े सदन यानी राज्य सभा भेजा जाएगा, पर वह भी नहीं हुआ। फिर एक उम्मीद जगी कि सम्राट चौधरी की जगह उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाएंगे। इस बात की चर्चा अखबारों में भी हुई। पर डॉ. दिलीप जायसवाल के अध्यक्ष बनने के बाद यह संभावना भी खत्म हो गई।
इस उपेक्षा का भान आरसीपी को तभी हो गया था जब भाजपा के बंद दरवाजे नीतीश कुमार के लिए खुल गए। नतीजतन उनके लिए अब राजनीति में बने रहने के दो रास्ते थे या तो महागठबंधन की राजनीति किसी बड़े दल से जुड़कर करें या फिर नई पार्टी बनाएं। उनके करीबी सूत्र की माने तो उन्होंने नई पार्टी बनाना ही बेहतर समझा।
लेकिन राजनीति की लंबी पारी खेल चुके आरसीपी अचानक से पार्टी नहीं बनाना चाहते हैं। इस संदर्भ में वे पीके की राह चले। राज्य भ्रमण पर निकल गए। इस उम्मीद के साथ कि उनके समर्थक की राय है या नहीं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 22 जुलाई से उनकी यात्रा शुरू है। अभी तक वह मुजफ्फरपुर, मधुबनी, सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, खगड़िया, बेगुसराय, उजियारपुर, सीतामढ़ी, शिवहर, मोतिहारी, बेतिया, गोपालगंज और सिवान की यात्रा कर अपने करीबी लोगों से मिल कर राय ले रहे हैं। अभी यह यात्रा खत्म नहीं हुई है। अभी राज्य के अन्य जिलों में जाना शेष है। यह यात्रा 7 अगस्त तक चलेगी।
उनके करीबी सूत्रों का मानना है कि जिलों में समर्थकों उनके करीबी बुद्धिजीवी साथियों की राय पार्टी बना कर बिहार विधान सभा का चुनावी जंग लड़ना है। सूत्रों की माने तो आरसीपी अभी नई पार्टी का गठन को अंतिम आयाम देने जा रहे हैं। संयोग है कि आरसीपी भी चाहते हैं कि 2 अक्टूबर को पार्टी लॉन्च कर चुनावी बिगुल फूंका जाए।