यदि कांग्रेस को मौका मिला तो राहुल गांधी बनेंगे पीएम!
दीपक कुमार तिवारी
पटना। भोजपुरी इलाके की एक कहावत है- पोखरा में मछरी, नौ-नौ कुटिया बखरा (तालाब में मछली और नौ-नौ टुकड़े का बंटवारा)। विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ के बारे में यह कहावत सटीक बैठती है। लोकसभा चुनाव के सातवें और अंतिम चरण की वोटिंग शनिवार (पहली जून) को होगी। चार जून को नतीजा का ऐलान होगा।
इससे पहले ही विपक्षी गठबंधन अपनी जीत के प्रति इतना आश्वस्त है कि पीएम फेस का चयन करने लगा है। कांग्रेस के सीनियर लीडर जयराम रमेश ने गुरुवार को कहा कि अगले 48 घंटे में विपक्ष अपने पीएम फेस का चयन कर लेगा। प्रसंगवश यह उल्लेख जरूरी है कि पहली जून को इंडिया ब्लाक की बैठक हो रही है। बिहार से आरजेडी नेता और पूर्व डेप्युटी सीएम तेजस्वी यादव बैठक में शामिल होने के लिए दिल्ली पहुंच भी गए हैं।
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लगातार दो लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने वाले एनडीए ने तीसरी बार नरेंद्र मोदी की अगुआई में चुनाव लड़ा है। मोदी ने 400 पार का नारा दिया है और उनका दावा है कि इस बार वह अपना लक्ष्य हासिल कर लेगा। हालांकि चुनावी एक्सपर्ट 400 के लक्ष्य को पूरा कर पाना मुश्किल मान रहे हं, लेकिन ज्यादातर को उम्मीद है कि तीसरी बार नरेंद्र मोदी केंद्र की सत्ता में वापसी करेंगे। लक्ष्य पूरा नहीं होगा और पिछली बार जितनी सीटों के इर्द गिर्द ही परिणाम आएंगे।
विपक्षी दलों ने पिछले साल जून के महीने में ही विपक्षी एकता की दशा में पहल शुरू की थी। नीतीश कुमार तब विपक्षी एकता के सूत्रधार बने थे। विपक्षी दलों की पहली बैठक ममता बनर्जी के सुझाव पर पटना में आयोजित की गई। तब से लेकर बेंगलुरु, मुंबई और दिल्ली में कभी सदेह तो कभी वर्चुअल बैठकें होती रहीं। पर, किसी भी बैठक में पीएम फेस पर आम राय नहीं बन सकी।
ममता बनर्जी ने मल्लिकार्जुन खरगे के नाम का प्रस्ताव दिया भी तो उन्होंने यह कह कर बात टाल दी कि चुनाव बाद इस पर विचार किया जाएगा। जयराम रमेश की मानें तो चुनाव में सर्वाधिक सीटों के साथ जीत हासिल करने वाले दल के नेता को ही सरकार बनाने का मौका दिया जाएगा।
कांग्रेस ने इस बार लोकसभा चुनाव में 243 उम्मीदवार उतारे हैं। विपक्षी गठबंधन में सर्वाधिक सीटों पर लड़ने वाली कांग्रेस ही है। कांग्रेस को 2014 में 44 सीटें मिली थीं और 2019 में 52 सीटों से आगे नहीं बढ़ी।
पिछले दो चुनावों में खराब प्रदर्शन के बवजूद कांग्रेस विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी रही। राहुल गांधी की न्याय यात्रा और 107 चुनावी रैलियों की मेहनत से उम्मीद की जा रही है कि कांग्रेस का प्रदर्शन पहले दो चुनावों से इस बार बेहतर होगा।
ऐसा न भी हुआ और कांग्रेस पुरानी स्थिति में ही रहती है, तब भी वह विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी होगी।इसलिए कि बाकी तो क्षेत्रीय दल हैं, जो कांग्रेस की चौथाई से भी कम सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं।
पीएम चेहरे के चयन के लिए जयराम रमेश ने जिस फार्मूले का संकेत दे दिया है, उस हिसाब से सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी होने के नाते कांग्रेस को ही सरकार बनाने का पहला मौका मिलेगा। कांग्रेस की पुरानी परिपाटी देख कर किसी के लिए यह अनुमान लगाना मुश्किल नहीं कि ऐसी स्थिति में कांग्रेस राहुल गांधी को ही अपना नेता बनाएगी।
ममता बनर्जी के खरगे को पीए फेस बनाने के प्रस्ताव और अरविंद केजरीवाल के समर्थन के बावजूद कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने जिस शालीनता से इस सवाल को चुनाव बाद के लिए टाल दिया, उसके भी निहितार्थ यही संकेत देते हैं।
सबसे बड़ा सवाल यही है कि कांग्रेस अगर राहुल गांधी को पीएम फेस बनाती है तो क्या विपक्षी दलों में इस पर आम राय आसानी से बन पाएगी ? यह सवाल इसलिए कि जिस वक्त राहुल गांधी कांग्रेस के सर्वाइवल के लिए कड़ी मेहनत कर रहे थे और कांग्रेस खेमे से उनको ही पीएम फेस बनाने के संकेत मिल रहे थे, तब ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल ने उनके नाम की बजाय मल्लिकार्जुन खरगे का नाम आगे बढ़ाया।
केजरीवाल अब यह भी कहने लगे हं कि कांग्रेस से आम आदमी पार्टी का न अरेंज मैरिज हुआ है और न लव मैरिज। यह स्थायी भी नहीं है। ममता बनर्जी ने तो पहले ही इशारा कर दिया है कि वे कांग्रेस को कितना भाव देने वाली हैं। ऐसे में राहुल के नाम पर आसानी से आम राय बनने में संदेह लगता है।
बहरहाल शनिवार को अंतिम चरण के मतदान के दिन और अरविंद केजरीवाल की जेल वापसी के एक दिन पहले होने वाली इंडिया ब्लाक की बैठक महत्वपूर्ण मानी जा रही है। हालांकि ममता बनर्जी ने मतदान का दिन होने के कारण पहले ही बैठक से गैरहाजिर रहने की बात कह दी है। ऐसे में इतना तो संकेत मिल ही जाता है कि कल की बैठक में कोई कंक्रीट रिजल्ट शायद ही निकले।