सोचने को मजबूर कर रहा चाचा-भतीजे की हार पर भी लगा रहा है सट्टा !

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राजनीतिक पंडितों का सारा गणित बिगाड़ दे रहा सपा के गढ़ में करहल विधानसभा में अखिलेश यादव और जसवंत नगर में शिवपाल यादव जीत के अंतर के साथ ही हार पर लग रहा है सट्टा

चरण सिंह राजपूत 
ह भाजपा का खेल है या फिर जबर्दस्त घेराबंदी कि एक ओर समाजवादी पार्टी सरकार बनाने का दावा कर रही है वहीं सट्टेबाजों का यह हाल है कि पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल यादव की  हार पर भी सट्टा लगा दे रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि सट्टा भी वहां लग रहा है जो सपा का गढ़ माना जाता है। हालांकि, अब अखिलेश यादव ने अब अपने चाचा शिवपाल यादव के साथ संबंध सुधार लिए हैं और अपने यादव मतदाताओं को आश्वस्त करने के लिए मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। करहल सपा का गढ़ माना जाता रहा है और 2017 में भी पार्टी ने इसे बरकरार रखा था। बीजेपी ने एक रणनीति के तहत कभी सपा में नेताजी के करीबी रहे केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह बघेल को मैदान में उतारा है, जो पार्टी में ओबीसी चेहरा भी हैं।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव की जीत को लेकर उनके गृहनगर इटावा की गली नुक्कड़ों पर भी बाजियां लगने लगी हैं। सट्टा कारोबार से जुड़े लोग ऐसा मान कर चल रहे हैं कि चाचा भतीजे में से कौन सबसे अधिक मतों से अपनी अपनी विधानसभा सीट पर चुनाव जीतेगा, इसके लिए करोड़ों रुपए का सट्टा लगने की बात सामने आ रही है। मैनपुरी की करहल से अखिलेश यादव और इटावा की जसवंतनगर सीट पर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) संस्थापक शिवपाल चुनावी समर में हैं। ऐसा ही नहीं है कि शिवपाल यादव और अखिलेश यादव की जीत के अंतर पर ही सट्टा लग रहा है। सट्टेबाज तो अखिलेश और शिवपाल को हार पर भी सट्टा लगा रहे हैं। वह बात दूसरी है कि सपा के नेता दोनों की रिकॉर्ड मतों से जीत का दावा कर रहे हैं।
करहल में अखिलेश के मुकाबले के लिए भाजपा ने अपने केंद्रीय राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल को चुनाव मैदान पर उतारा है वहीं सपा के चुनाव चिह्न साइकिल पर जसवंतनगर से चुनाव लड़ रहे शिवपाल का मुकाबला भाजपा के विवेक शाक्य से है। शिवपाल ने अपने समर्थकों से कहा था कि उनको गठबंधन के तहत केवल एक सीट दी गई है। इसलिए हर हाल में इतनी बड़ी जीत कर दीजिएगा कि उत्तर प्रदेश में इससे बड़ी कोई दूसरी जीत न हो। जसवंत नगर विधानसभा सीट से  2017 में  शिवपाल सिंह यादव के मुकाबले चुनाव मैदान में उतरने वाले भाजपा उम्मीदवार मनीष यादव स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए हैं। मनीष यादव को 2017 में 75000 के आसपास मत मिले थे। इसके ठीक विपरीत जसवंतनगर विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरे भाजपा उम्मीदवार विवेक शाक्य अपनी जीत के प्रति पूरी तरह से आश्वस्त हैं, उनका कहना है कि जातीय समीकरणों के आधार पर उन को हराने वाला कोई नहीं है।
पार्टी के राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव प्रो.रामगोपाल यादव ने दावा किया कि पता नहीं क्या सोच कर भारतीय जनता पार्टी के सभी नेता करहल विधानसभा सीट पर राजनीति कर रहे हैं। इस सीट से अखिलेश यादव की एकतरफा रिकॉर्ड मतों से जीत होगी, जो 10 मार्च को नतीजे के तौर पर हर किसी को दिखाई देगी। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के बीच पारिवारिक कलह इस बदलाव का एक प्रमुख कारक रहा है। सपा को सबसे बड़ा झटका तब लगा, जब 2019 में कन्नौज से अखिलेश की पत्नी और मौजूदा सांसद डिंपल यादव बीजेपी उम्मीदवार से लोकसभा चुनाव हार गईं थीं। भले ही सपा, बसपा के साथ गठबंधन में थी, मगर वह अपने गढ़ में भी लोकसभा सीट नहीं जीत पाई थी।
देखने की बात यह भी है कि समाजवादी पार्टी में चाचा शिवपाल यादव और भतीजे अखिलेश यादव का लंबे समय चल रहा विवाद काफी हद तक खत्म हो गया है। वह बात दूसरी है कि शिवपाल यादव को मात्र एक ही सीट मिली है। भाजपा को सत्ता से बेदखल करने के दावे के साथ चाचा और भतीजे का मिलन हुआ है। भतीजे अखिलेश यादव को को मुख्यमंत्री बनाने के लिए चाचा शिवपाल यादव ने जिस तरह से १०० सीटों से समझौता कर-कर एक ही सीट पर लड़ना स्वीकार कर लियाा है। जिस तरह से शिवपाल यादव प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के चुनाव चिह्न की जगह सपा के साइकिल चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ने के लिए अपनी परंपरागत एक ही सीट पर चुनाव लड़ने के लिए मान गये। ऐसे में शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के चुनाव के चुनाव पर न केवल राजनीतिक दलों के नेतृत्व बल्कि राजनीतिक पंडितों की भी नजर है। उत्तर प्रदेश चुनाव में शिवपाल यादव की जसवंत नगर और अखिलेश यादव की करहल विधानसभा सीट चर्चा का विषय बनी हुई है। चर्चा का विषय बनने का एक नहीं बल्कि कई कारण हैं। एक तो शिवपाल यादव ने एक ही सीट मिलने की पीड़ा व्यक्त करते हुए अपनी प्रतिस्पर्धा अखिलेश यादव से बताई है। उन्होंने बाकायदा कार्यकर्ताओं में अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए अखिलेश यादव से अधिक अंतर से जिताने की अपील है। दूसरे बसपा प्रमुख मायावती की अपने समर्थकों से भाजपा को वोट देकर करहल से अखिलेश यादव और जसवंतनगर से शिवपाल यादव को हराने की अपील है। तीसरे भाजपा के अखिलेश यादव से सामने कभी सपा के नेता रहे एसपी सिंह को लड़ाना तथा करहल पर पूरी ताकत झोंक देना है। कुछ भी हो उत्तर प्रदेश में सट्टेबाजों के लिए करहल और जसवंत नगर दोनों पहली पसंद बनी हुई हैं।

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