चरण सिंह
एमएसपी गारंटी कानून समेत दूसरी मांगों को लेकर जिस तरह से किसान अड़ गए हैं और जिस तरह से उनको दिल्ली में नहीं घुसने दिया जा रहा है। ऐसे में दिल्ली बॉर्डर पर किसान और जवान के बीच बड़ा टकराव देखने को मिल सकता है। जिस तरह से शम्भु बॉर्डर बॉर्डर के साथ ही गाजीपुर बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और सिंघु बॉर्डर पर किसानों का जमावड़ा होना शुरू हो गया है। ऐसे में फिर से केंद्र सरकार के सामने किसानों ने बड़ी चुनौती पेश कर दी है।
13 महीने दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन कर केंद्र सरकार को उनकी बात मानने को मजबूर करने वाले संयुक्त किसान मोर्चे ने फिर से आंदोलन करने की हुंकार भरी है। 21 को जिला मुख्यालय ओट 26-27 को हरिद्वार से गाजीपुर बॉर्डर तक ट्रैक्टर परेड निकाल रहे हैं। ऐसे में फिर से केंद्र सरकार से किसान बड़े टकराव के मूड में आ गए हैं। मुजफ्फरनगर सिसौली में हुई महापंचायत में जिस तरह से भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने किसानों से बड़े आंदोलन के लिए तैयार रहने के लिए कह दिया है। जिस तरह से हरियाणा में किसान नेता गुरुनाम चढूनी ने किसानों के हक़ में लड़ाई लड़ने के लिए कमर कस ली है। ऐसे में देश में किसानों का बड़ा आंदोलन होने जा रहा है। मतलब लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार के लिए बड़ी आफत के रूप में किसान खड़े हो रहे हैं।
पुलिस और किसानों के बीच झड़पें देखने को मिल रही हैं। कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा है कि किसान बातचीत का माहौल बनाएं। उनका कहना है कि सरकार किसानों से बातचीत करने को तैयार हैं। उधर किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के महासचिव सरवन पंधेर का का कहना है कि प्रधानमंत्री आगे बढ़कर एमएसपी गारंटी कानून बनाएं। उन्होंने आंदोलन के कांग्रेस या लेफ्ट समर्थित होने से इनकार किया है। किसान नेता जगजीत सिंह ने किसानों के खून की होली खेलने की बात करने से माहौल गरमा गया है।
दरअसल इस बार किसानों ने सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगाते हुए एमएसपी गारंटी कानून, किसानों की कर्जमाफी, पेंशन, किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने समेत कई मांगें रखी हैं।
शंभु बॉर्डर पर किसान हर हाल में दिल्ली आना चाहते हैं। दरअसल शम्भू बॉर्डर पर किसानों और पुलिस के बीच झड़प भी हुईं हैं । आंसू गैस के गोले दागे गये। पानी की बौछारें छोड़ी गईं। किसानों ने भी जवाब में पत्थरबाजी की। दिल्ली में धारा 144 लगा दी गई है। जिस तरह से लोकसभा चुनाव सिर पर है ऐसे में यदि किसान आंदोलन लंबा खींच जाता है तो भारतीय जनता पार्टी को दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। बीजेपी ने जितना माहौल राम मंदिर निर्माण से बनाया है। उस माहौल को किसान आंदोलन धूमिल कर सकता है। ऐसे में विपक्ष भी किसान आंदोलन को बढ़ावा देना चाहेगा।
किसानों के दिल्ली चलो मार्च की वजह से दिल्ली के गाजीपुर, सिंघु और टिकरी बॉर्डर सील कर दिए हैं। केंद्रीय मंत्रियों और किसान नेताओं के बीच हुई वार्ता विफल होने के बाद किसान नेताओं ने आर-पार की जंग का ऐलान करते हुए कह दिया कि दिल्ली कूच होकर रहेगा। गाजीपुर, सिंघु, शंभू, टिकरी समेत सभी बॉर्डर को छावनी में तब्दील कर दिया गया है. वहीं, पुलिस ने भी साफ कर दिया है कि, किसानों की आड़ में उपद्रवियों ने अगर कानून व्यवस्था में खलल डालने की कोशिश की तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। अब देखना यह होगा कि किसान और जवान के बीच का यह टकराव क्या रूप लेता है। सरकार किसानों की बात मानती है या फिर टकराव से निपटती है।