पीएफआई के पूर्व चेयरमैन ई अबुबेकर की एक याचिका को खारिज करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने बेहद तल्ख टिप्पणी की। कोर्ट का कहना था कि वह आरोपी को हाउस अरेस्ट में तो नहीं पर अस्पताल में जरूर भिजवाएंगे। वो बीमार हैं तो उन्हें बेहतरीन उपचार दिलाने की कोशिश की जाएगी।
दरअसल पीएफआई के पूर्व चैयरमैन ई. अबुबेकर ने अपनी बीमारियों का हवाला देकर याचिका दाखिल की थी कि उन्हें घर पर इलाज की जरूरत है। उनके वकील का कहना था कि गौतम नवलखा की तरह से उन्हें भी रियायत दी जाए, लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने साफ कहा कि इस तरह की रियायत का कोई प्रावधान कानून में नहीं है। वह अलग मामला था लेकिन इस मामले में उस तरह से डील नहीं की जा सकती है।
एनआईए के वकील ने ई अबुबेकर की याचिका का पुरजोर विरोध करते हुए कहा कि गौतम नवलखा मामले में चार्जशीट दाखिल हो चुकी थी। ट्रायल में देरी हो रही थी, इस वजह से सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें हाउस अरेस्ट में रखने का आदेश दिया। अबुबेकर का मामला पूरी तरह से अलग है। उनका केस निर्णायक मोड़ पर है। ऐसे में उन्हें हाउस अरेस्ट में भेजना बिल्कुल ठीक नहीं होगा।
अबुबेकर के वकील ने पुरजोर कोशिश की कि उन्हें हाउस अरेस्ट मिल जाए, उन्होंने आरोपी की गंभीर बीमारियों का भी हवाला दिया लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट का कहना था कि उनके पास ऐसी शक्तियां नहीं हैं जो सुप्रीम कोर्ट की तरह से वैसा ही फैसला दे सकें जैसे नवलखा मामले में दिया गया। बेंच ने कहा कि वो आरोपी को अस्पताल में दाखिल करने की अनुमति दे सकते हैं। उन्हें अटेंडेंट रखने की इजाजत भी मिल जाएगा पर हाउस अरेस्ट नहीं।