Modi Govt 8 Years
Modi Govt 8 Years: 8 साल हो जाने पर सोशल मीडिया में तरह तरह के लोग सरकार के आठ सालों के काम को देखते हैं,अगर बात करें नौकरियों की तो सरकार द्वारा किये गए नौकरी के वादे को जोर सोर से किया था। जिस पर वह खड़ी नहीं उतर रही, देखा जा रहा है कि युवा नौकरियों की तलाश कर रहे हैं और उनके हाथ में नौकरी नहीं हैं, नौकरी हर तरीके से अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती हैं जब तक नौकरी नहीं रहेगी तब तक खर्च के लिए लोग पैसे जेब से नहीं निकालेंगे और बाजार में तब तक पैसे नहीं आयेगें।
हैरानी के बात ये भी है कि 8 करोड़ लोग जो शहरों से विस्थापित हुए इसके बाद भी लोगों ने बिहार में नीतीश कुमार से ज्यादा NDA को वोट दिए। इसी प्रकार लोगों ने उत्तर प्रदेश में भी पूर्ण बहुमत के साथ पहली सरकार बनी जो दूसरी बार उत्तर प्रदेश में सरकार बना पाई। सरकार भी इन राज्यों में अपने 8 सालों (Modi Govt 8 Years) के कामकाज को प्रचारित करती रही मानों की विधानसभा के चुनाव में केन्द्र सरकार को चुना जाएगा।
सरकार ने हर साल 2 करोड़ रोजगार और किसानों की आय को 2022 तक दोगुने का वादा किया था, नौकरी और किसानों की मौत के आकड़े आप सभी जानते हैं। वर्तमान में भारत की बेरोजगारी 7 फीसदी तक पहुंच चुकी हैं। भारत अपने पड़ोसी देश बांग्लादेश से एक्सपोर्ट में आगे नही निकल पा रहा ये खुद सरकार द्वारा जारी किये गए आकड़े बताते हैं।
लेकिन दूसरी तरफ इसी सरकार के कार्यकाल में रूस- यूक्रेन का युद्ध के बाद अचानक आए बदलाव, विश्वभर में आए अनाज की कमी और कमी इसी के साथ एक वैश्विक महामारी भी इसी सरकार के कार्यकाल में आई जिसके कारण सरकार का ध्यान महमारी से निपटने में गया। सरकार के बहुत सारे संसाधन नें वैक्सीनेशन और मैनेजमेन्ट में व्यय हुए लेकिन महामारी की मार पूरी दुनिया ने ही झेली जिससे सरकार का अर्थव्यवस्था की नीतियों (Economic Policies India) पर ध्यान कम गया।
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सरकार पर भरोसे के कारण –
सरकार के कामकाज और लोगों के भरोसे की बात करें तो सरकार अपनी विचारधारा को किसी भी काम से ऊपर रखती है पार्टी लाइन और मंत्रियों की बात करें तो सभी दिन रात विचारधारा पर ज्यादा फोकस लगते है बजाय अर्थनीति (Economic Policies India)के।सरकार भी चुनाव जीतने के लिए काम करती है ना कि किसी बड़े रिफार्म के लिए, मनमोहन सिंह को रिफार्म लाने वाले बड़े चेहरे रहे लेकिन वे भी GST नहीं लागू कर पाए।
इसके अलावा सरकार उज्जवला योजना, स्वच्छ भारत के जरिए वोटरों से जोड़ते हैं उत्तर प्रदेश के चुनाव के दौरान लोगों ने सरकार द्वारा दिए गए मुफ्त अनाज को आधार मानकर वोट दिया क्या लोगों की सरकार से उम्मीद किस हद तक कम हो चली है कि कुछ किलो मिलने वाले राशन से वे खुश हैं आज के इस दौर में।
सरकार को मैन्युफैक्चरिंग के सेक्टर की ओर ध्यान देना चाहिए और इस तरह के कानूनों को सरल बनाना होगा।
सरकार के कार्यकाल के दौरान रुपया और नीचे जाता जा रहा हैं जिसका मतलब है कि कार्यकाल के 8 साल के दौरान अर्थव्यवस्था की स्थिति (Economic Crisis in India) इतनी नही बन पाई की वे इन सभी मार को झेल पाए। कोरोना और युद्ध काल के पहले की बात करें तब भी सरकार की अर्थनीति की स्थिति कुछ खास नही रही थीं।
MSP की जगह आमदनी बढ़ाने के लिए लाए गए कृषि कानून सरकार को वापस लिए गए। वर्तमान की बात करें तो किसानों को रूस- यूक्रेन युद्ध के चलते एक्सपोर्ट को बढ़ावा मिला जिसे सरकार ने एक्सपोर्ट पर बैन लगा कर वहीं रोक दिया। उम्मीद है कि तुरन्त लगाम लगाने की जगह सरकार को किसी और तरीके से स्थिति को संभाला था क्योंकि किसानों का अनाज बाहर एक्सपोर्ट करना ही उनके लाये गए कृषि कानूनों की तरकदारी करता हैं।
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देखना होगा सरकार अपने आठ सालों (Modi Govt 8 Years) के कामकाज और परिणामों से क्या कुछ सीखती है क्योंकि सरकार के पास हर क्षेत्र के एक्सपर्ट और सलाहकार मौजूद है जो इस स्थिति से सरकार को निकालने में सक्षम हैं बस कमी है तो वो है मनसा कि क्या सरकार विचारधारा को ही आगे रखकर अपने वोटरों को संतुष्ट करती रहेगी या इससे इतर जिस तरीके से सरकार राजनीतिक फैसले लेती है उसी मजबूती के साथ अर्थव्यवस्था के फैसले भी लेगी देखना होगा।