द न्यूज 15
नई दिल्ली। असम के मोरीगांव जिले में एक 60 वर्षीय एक व्यक्ति ने मंगलवार को कथित रूप से आत्महत्या कर ली। बता दें कि माणिक दास नाम का यह बुजुर्ग विदेशी न्यायाधिकरण (एफटी) के समक्ष अपनी नागरिकता साबित करने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहा था। माणिक दास बोरखाल गांव के रहने वाले थे। उनके परिवार ने दावा किया है ट्राइब्यूनल की कार्यवाही के दौरान हताश और मानसिक प्रताड़ित होने के चलते माणिक दास ने आत्महत्या कर ली।
माणिक दास सूखी मछली बेचने का काम करते थे। दिसंबर 2019 से वो एफटी के सामने अपनी भारतीय नागरिकता साबित करने को लेकर लड़ाई लड़ रहे थे। उनका नाम कुछ महीने पहले प्रकाशित हुए नेशनल रजिस्टर फॉर सिटिजन्स (एनआरसी) में शामिल था। परिवार का आरोप है कि इसके बाद भी उनसे नागरिकता साबित करने के लिए कहा गया।
बता दें कि माणिक दास के परिवार में पत्नी, दो बेटे और एक बेटी है। बेटी ने नागरिकता साबित करने संबंधी कहा कि दास के पास पैन कार्ड, आधार कार्ड और भूमि के दस्तावेज जैसे सभी वैध कानूनी पहचान दस्तावेज थे। इसके बाद नोटिस भेजी गई थी।
वहीं मोरीगांव के पुलिस उपाधीक्षक (सीमा) डीआर बोरा का कहना है कि माणिक दास ने पारिवारिक कारणों के चलते आत्महत्या की होगी। इसे एफटी मामले से जोड़ना पूरी तरह गलत है। हो सकता हो कि आत्महत्या का कारण घरेलू मुद्दा हो। बोरा का कहना है कि माणिक दास को गुवाहाटी हाई कोर्ट के आदेश के बाद केवल एक नोटिस दिया गया था।
बता दें कि दास के कानूनी वकील दीपक बिस्वास का कहना है कि नागरिकता मामले में पिछली सुनवाई लगभग एक महीने पहले हुई थी। जहां दास ने अपना जवाब ट्रिब्यूनल को सौंप दिया था। अगली सुनवाई में हमें गवाह पेश करने थे। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक दास रविवार से लापता थे और मंगलवार शाम को उनका शव उनके घर के ही पास मिला। पुलिस ने कहा है कि यह प्रथम दृष्टया आत्महत्या का मामला है। पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के बाद ही इस मामले का सच पता लगेगा।
माणिक दास सूखी मछली बेचने का काम करते थे। दिसंबर 2019 से वो एफटी के सामने अपनी भारतीय नागरिकता साबित करने को लेकर लड़ाई लड़ रहे थे। उनका नाम कुछ महीने पहले प्रकाशित हुए नेशनल रजिस्टर फॉर सिटिजन्स (एनआरसी) में शामिल था। परिवार का आरोप है कि इसके बाद भी उनसे नागरिकता साबित करने के लिए कहा गया।
बता दें कि माणिक दास के परिवार में पत्नी, दो बेटे और एक बेटी है। बेटी ने नागरिकता साबित करने संबंधी कहा कि दास के पास पैन कार्ड, आधार कार्ड और भूमि के दस्तावेज जैसे सभी वैध कानूनी पहचान दस्तावेज थे। इसके बाद नोटिस भेजी गई थी।
वहीं मोरीगांव के पुलिस उपाधीक्षक (सीमा) डीआर बोरा का कहना है कि माणिक दास ने पारिवारिक कारणों के चलते आत्महत्या की होगी। इसे एफटी मामले से जोड़ना पूरी तरह गलत है। हो सकता हो कि आत्महत्या का कारण घरेलू मुद्दा हो। बोरा का कहना है कि माणिक दास को गुवाहाटी हाई कोर्ट के आदेश के बाद केवल एक नोटिस दिया गया था।
बता दें कि दास के कानूनी वकील दीपक बिस्वास का कहना है कि नागरिकता मामले में पिछली सुनवाई लगभग एक महीने पहले हुई थी। जहां दास ने अपना जवाब ट्रिब्यूनल को सौंप दिया था। अगली सुनवाई में हमें गवाह पेश करने थे। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक दास रविवार से लापता थे और मंगलवार शाम को उनका शव उनके घर के ही पास मिला। पुलिस ने कहा है कि यह प्रथम दृष्टया आत्महत्या का मामला है। पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के बाद ही इस मामले का सच पता लगेगा।