द न्यूज 15
बेंगलुरु । कर्नाटक के शिमोगा में बजरंगदल कार्यकर्ता की हत्या के बाद तनाव का माहौल बन गया है। यहां की सड़कों पर सुरक्षा बलों से भरी गाड़ियां गश्त कर रही हैं। सोमवार को शहर में कई जगहों पर हिंसा हुई और बड़ी संख्या में गाड़ियों को आग लगा दी गई। दरअसल रविवार रात यहां 23 साल के बजरंग दल कार्यकर्ता हर्षा की चाकुओं से गोदकर हत्या कर दी गई थी। लोगों को कहना है कि वह हिजाब का विरोधी था और उसने सोशल मीडिया पर हिजाब के विरोध में एक पोस्ट लिखी थी, जिसके बाद एक विशेष समुदाय में उसके खिलाफ गुस्सा था।
सोमवार को शहर में कई जगहों पर पत्थरबाजी भी हुई। आज सुबह लोग अपने घरों के बाहर से पत्थर हटाते नजर आए। यहां के लोगों में भी डर हैं। उनका कहना है कि 24 घंटे चारों तर पुलिस वालों की गाड़ियां ही दिखाई देती हैं। इसके अलावा भीड़ कभी भी आकर हिंसा कर सकती है। उनकी गाड़ियों को जला सकती है। यहां के एक निवासी ने कहा, ‘लोग वाहनों को आग लगा देते हैं इसलिए हम गाड़ियां बाहर नहीं छोड़ते।’ सोमवार को पोस्टमॉर्टम के बाद जब हर्षा का शव घर लाया गया तब भी बड़ी संख्या में हिंदू संगठनों के लोग पहुंचे थे। हालांकि पुलिस ने धारा 144 लगाई हुई थी। यहां के निवासी 59 साल के असलम पाशा ने कहा, ‘मेरा यहां 2003 से गोदाम है। राजनेता और श्री राम सेना के चीफ ऐसे बयान देते हैं जिससे हिंसा भड़कती है और हमें उसको भोगना पड़ता है।’
पाशा यह बात कह रहे थे तभी आसपास के लोगों ने उन पर आरोप लगाया कि उनके गोदाम के बाहर रखे पत्थरों से ही हमला किया गया। उन पत्थरों को अंदर रखवा देना चाहिए। इन पत्थरों से लोग घरों को तबाह कर देते हैं। पाशा ने कहा, क्या मुझे सपना आया था कि ऐसा कुछ होने वाला है।
हर्षा के घर से कुछ दूरी पर स्थित मंदिर में उनका बड़ा सा पोस्टर लगाया गया है जिसमें ब्रेकेट में नाम के साथ ‘हिंदू’ भी लिखा गया है। शिमोगा में आरएफ के जवान तैनात हैं और बड़ी संख्या में पुलिस बल भी गश्त करता रहता है। सोशल मीडिया पर तैर रहे वीडियो आक्रोश को बढ़ाने का काम करते हैं। वहीं एक शख्स ने कहा, अब यहां सब शांत है।
सोमवार को शहर में कई जगहों पर पत्थरबाजी भी हुई। आज सुबह लोग अपने घरों के बाहर से पत्थर हटाते नजर आए। यहां के लोगों में भी डर हैं। उनका कहना है कि 24 घंटे चारों तर पुलिस वालों की गाड़ियां ही दिखाई देती हैं। इसके अलावा भीड़ कभी भी आकर हिंसा कर सकती है। उनकी गाड़ियों को जला सकती है। यहां के एक निवासी ने कहा, ‘लोग वाहनों को आग लगा देते हैं इसलिए हम गाड़ियां बाहर नहीं छोड़ते।’ सोमवार को पोस्टमॉर्टम के बाद जब हर्षा का शव घर लाया गया तब भी बड़ी संख्या में हिंदू संगठनों के लोग पहुंचे थे। हालांकि पुलिस ने धारा 144 लगाई हुई थी। यहां के निवासी 59 साल के असलम पाशा ने कहा, ‘मेरा यहां 2003 से गोदाम है। राजनेता और श्री राम सेना के चीफ ऐसे बयान देते हैं जिससे हिंसा भड़कती है और हमें उसको भोगना पड़ता है।’
पाशा यह बात कह रहे थे तभी आसपास के लोगों ने उन पर आरोप लगाया कि उनके गोदाम के बाहर रखे पत्थरों से ही हमला किया गया। उन पत्थरों को अंदर रखवा देना चाहिए। इन पत्थरों से लोग घरों को तबाह कर देते हैं। पाशा ने कहा, क्या मुझे सपना आया था कि ऐसा कुछ होने वाला है।
हर्षा के घर से कुछ दूरी पर स्थित मंदिर में उनका बड़ा सा पोस्टर लगाया गया है जिसमें ब्रेकेट में नाम के साथ ‘हिंदू’ भी लिखा गया है। शिमोगा में आरएफ के जवान तैनात हैं और बड़ी संख्या में पुलिस बल भी गश्त करता रहता है। सोशल मीडिया पर तैर रहे वीडियो आक्रोश को बढ़ाने का काम करते हैं। वहीं एक शख्स ने कहा, अब यहां सब शांत है।