राम नरेश
पटना । राजनीति में आधी आबादी की बात तो खूब होती है लेकिन अभी भी महिलाओं की भागीदारी बेहद कम है। ‘नारी शक्ति वंदन’ अधिनियम लाने के बाद चर्चा थी कि अब सियासी पार्टियां इस ओर गंभीरता से विचार करेगी, लेकिन बिहार में दोनों राष्ट्रीय पार्टियों ने नारी शक्ति का जरा भी ख्याल नहीं रखा।
पहले सत्ताधारी बीजेपी ने पूरी तरह से उन्हें नजरअंदाज किया, वहीं अब मुख्य विपक्षी कांग्रेस भी उसी के नक्शेकदम पर चलती दिख रही है।भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने सोमवार रात को बिहार की 5 सीटों के लिए अपने प्रत्याशियों की सूची जारी की। महागठबंधन में सीट बंटवारे के तहत कांग्रेस को 9 सीटें मिली हैं।
इनमें से अब तक 8 सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम की घोषणा हो चुकी है, केवल एक सीट पर ऐलान होना बाकी है, लेकिन इन 8 में एक भी महिला कैंडिडेट नहीं है।पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने सासाराम से मीरा कुमार, सुपौल से रंजीत रंजन और मुंगेर से बाहुबली आनंद मोहन की पत्नी को टिकट दिया था, लेकिन इस बार हालात बदल गए हैं।
मीरा कुमार चुनाव लड़ने से इंकार कर चुकी हैं। रंजीत रंजन अब छत्तीसगढ़ से राज्यसभा सांसद हैं, जबकि नीलम देवी आरजेडी से विधायक बनने के बाद पाला बदलकर जेडीयू के साथ चली गईं हैं। हालांकि हिसुआ से विधायक नीतू सिंह ने नवादा सीट के लिए दावेदारी जताई थी, लेकिन सीट आरजेडी के खाते में चली गई।
वहीं हाजीपुर (सुऱक्षित) सीट से लड़ने के लिए राजापाकर से विधायक प्रतिमा कुमारी दास भी मजबूत कैंडिडेट बन सकती थीं, लेकिन यह सीट भी आरजेडी के पास है।लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी ने 17 सीटों में एक भी महिला को टिकट नहीं दिया। वहीं, जेडीयू ने शिवहर से लवली आनंद और सिवान से विजयलक्ष्मी कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया है।
चिराग पासवान ने वैशाली से वीणा देवी और समस्तीपुर सुरक्षित सीट से शांभवी चौधरी को मैदान में उतारा है। इस बार सबसे अधिक छह महिलाओं को आरजेडी ने टिकट है। पाटलिपुत्र से मीसा भारती, सारण से रोहिणी आचार्य, शिवहर से रितु जायसवाल, मुंगेर से अनिता देवी, पूर्णिया से बीमा भारती और जमुई सुरक्षित सीट से अर्चना रविदास को कैंडिडेट बनाया गया है। इसके अलावे सिवान से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में हेना शहाब मजबूत प्रत्याशी हैं।