दीपक कुमार तिवारी
कम उम्र से ही लड़कियां घर की जिम्मेदारियों को समझने और निभाने लगती हैं। भारतीय समाज में नारी शक्ति को घर की आत्मा माना जाता है, जो पूरे परिवार को स्नेह और समर्पण से संवारती है।
एक प्रेरणादायक उदाहरण:
फोटो में दिख रही लड़की साइकिल पर दो बोरियों में खाद लेकर अपने दादा जी के साथ खेत पर जा रही है। यह लड़की जहानाबाद जिले के भार्थू गांव में महंत केशवदास उच्च विद्यालय की दसवीं कक्षा की छात्रा है। खेत से काम करके लौटने के बाद, वह स्कूल भी जाती है। यह दिखाता है कि किस प्रकार कम उम्र में ही लड़कियां मेहनत और जिम्मेदारियों का निर्वहन करती हैं।
लड़कों का संघर्ष और चुनौती:
इसके विपरीत, इसी उम्र के कुछ लड़के घर के काम करने में शर्म महसूस करते हैं। समाज में कई लड़के कम उम्र में ही नशे की गिरफ्त में आ जाते हैं, जिससे उनका आत्मविश्वास कमजोर हो जाता है और वे गलत रास्तों पर चल पड़ते हैं।
नशे से मुक्ति और नई दिशा:
इन लड़कों को सबसे पहले नशे को छोड़ने का प्रयास करना चाहिए और मेहनत से एक अच्छी और सकारात्मक जिंदगी की शुरुआत करनी चाहिए। नशे की लत छोड़ने में जितनी जल्दी सफलता मिलेगी, उतना ही वे गंभीर बीमारियों और गलत आदतों से बच सकेंगे। इस प्रकार, लड़कियों का अपने जीवन और परिवार के प्रति समर्पण जहां प्रेरणादायक है, वहीं लड़कों को अपनी जिम्मेदारियों का एहसास करते हुए नशे जैसी समस्याओं से बचने की दिशा में कदम उठाना चाहिए।