नई दिल्ली। इस समय कई व्यापारी दर्ज में दुबे हैं। भारी कर्ज में डूबे बिजनसमैन की परेशानी बढ़ने वाली है। इन व्यापारियों में अनिल अंबानी, वेणुगोपाल धूत, एस्सार ग्रुप के रुइया बंधुओं और भूषण स्टील के भूषण परिवार हैं।
इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी बोर्ड ऑफ इंडिया (IBBI) का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले से पर्सनल गारंटर्स से रिकवरी में मदद मिलेगी। बोर्ड ने साथ ही ऐसे गारंटर्स को आगाह किया है कि वे मामलों को लंबा खींचने से बचें क्योंकि इससे उनकी देनदारी बढ़ेगी। IBBI के चेयरमैन रवि मित्तल ने सोमवार को कहा कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले ने पर्सनल गारटंर से जुड़े इनसॉल्वेंसी के मामलों की अड़चनों को दूर करके बैंकों को राहत दी है। पर्सनल गारंटर्स के खिलाफ बैंकों की याचिकाओं कई लीगल फोरम्स में लंबित पड़ी हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से अब बैंकों को राहत मिलेगी और मामलों का जल्दी निपटारा हो सकेगा।
प्रॉसीडिंग्स का सामना कर रहे पर्सनल गारटंर्स में अनिल अंबानी, वेणुगोपाल धूत, एस्सार समूह के रुइया बंधु और भूषण स्टील का भूषण परिवार जैसे कई जाने-माने नाम शामिल हैं। दिसंबर तक 1.7 लाख करोड़ रुपये से अधिक के ऋण से जुड़े लगभग 2,500 दिवालिया आवेदन थे। इनमें से 87 आवेदनों को रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल (आरपी) की नियुक्ति से पहले वापस ले लिया गया है या खारिज कर दिया गया है। 1,096 मामलों में आरपी नियुक्त किए गए हैं। आरपी की नियुक्ति के बाद, 296 मामलों को NCLT में स्वीकार किया गया है। हालांकि, केवल 21 मामलों में रिपेमेंट प्लान को मंजूरी मिली है। इससे केवल 91 करोड़ रुपये की राशि वसूली गई है जो दावों का केवल 5.2% है।
कितनी हुई वसूली
आईबीबीआई के आंकड़ों के मुताबिक क्रेडिटर्स एनसीएलटी द्वारा स्वीकार किए गए दावों का केवल 32 फीसदी की वसूली कर पाए हैं। कई मामले 724 दिनों से लंबित हैं जो 270 दिन की डेडलाइन से करीब 2.7 गुना है। मित्तल ने बताया कि ज्यादा मुकदमेबाजी से मामलों में देरी होती है। इससे कंपनी की वैल्यूशन में कमी आती है और गारंटरों पर बोझ बढ़ता है। IBC का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इसमें पर्सनल गारंटर के लिए प्रक्रिया डायरेक्ट बैंकरप्सी पर ऋण पुनर्गठन को प्राथमिकता देती है। मित्तल ने कहा कि कर्जदारों को बैंकरप्सी प्रक्रिया से गुजरने के बजाय रिपेमेंट का प्लान सौंपकर अपने कर्ज का भुगतान करना चाहिए।