यूपीः डबल इंजन की सरकार में भी बदहाल ही रहा सूबा, न तो उद्योगों का विकास हुआ और न ही बदली खेतों की सूरत

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द न्यूज 15 
लखनऊ । पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ अक्सर चुनावी रैलियों में डबल इंजन की सरकार होने के फायदे लोगों को बताते दिखे हैं। लेकिन यूपी की हकीकत देखी जाए तो लगता नहीं कि डबल इंजन की सरकार ज्यादा कारगर भी होती है। अगर होती तो उत्तर प्रदेश हर मामले में अव्वल दिखाई देता। एक पोर्टल की रिसर्च के मुताबिक बीते पांच सालों से डबल इंजन की सरकार होने के बावजूद यूपी हर मोर्चे पर फिसड्डी है। जीडीपी की बात करें तो देश का आंकड़ा जहां 5.8 फीसदी है वहीं यूपी 4.9 पर है। पर कैपिटा इनकम के ममाले में भी योगी की सरकार फिसड्डी रही है। देश में ये आंकड़ा 4.7 फीसदी है तो यूपी 3 पर ही संतोष कर रहा है। उद्योगो के विकास की बात करें तो यहां भी ढाक के तीन पात की स्थिति है।निवेश के लिए बड़ी-बड़ी घोषणाएं करने वाली योगी सरकार के कार्यकाल में उद्योगों के विकास की दर महज 1.8 फीसदी है। जबकि राष्ट्रीय औसत 3.3 है। कृषि के माले में भी सूबा बेहद पीछे है। इस सेक्टर में विकास दर महज 3.1 फीसदी है जबकि देश 4.5 की रफ्तार पर चल रहा है। यानि कुल मिलाकर आंकड़े अच्छी सूरत नहीं दिखाते।
कोरोना काल के बाद हेल्थ सेक्टर सबसे ज्यादा अहम बनकर सामने आया है। लेकिन इस मामले में भी यूपी कहीं नहीं ठहरता। नीति आयोग के मुताबिक हेल्थ इंडेक्स में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले 5 राज्यों में उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड हैं। इनमें 5 में 4 बीजेपी शासित राज्य हैं। यहां लंबे अरसे से डबल इंजन का कर रहा है। जहां ऐसी डबल इंजन की सरकारें नहीं हैं वो बेहतर करके दिखा रहे हैं।
स्वास्थ्य सूचकांक में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले 5 राज्य केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र हैं। राजनीतिक नजरिए से देखें तो इसमें से कोई भी बीजेपी शासित राज्य नहीं है। आंकड़े बता दे रहे हैं कि समय रहते यूपी सरकरा नहीं चेती तो इसका खामियाजा पूरे देश को भुगतना पड़ेगा, क्योंकि बेशक राजस्थान का क्षेत्रफल ज्यादा हो पर देश में सबसे ज्यादा आबादी यूपी में ही रहती है। इतनी बड़ी आबादी विकास के पैमाने पर पीछे रही तो उत्तर और दक्षिण के बीच बढ़ रही खाई क्षेत्रीय असंतुलन और असंतोष पैदा कर सकती है।
हालांकि इसके बाद भी देखा गया कि योगी सरकार चुनाव से पहले परियोजनाओं का शिलान्यास करने में लगी रही। चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री एक के बाद एक लोक कल्याणकारी योजनाओं का ऐलान करते रहे। जानकार कहते हैं कि सरकार को वाहवाही लूटने की बजाए संजीदगी से काम करना चाहिए। कोरोना आया तो हेल्थ सेक्टर की लाचारगी साफ दिखाई दी। बाकी मामलों में भी हालात अच्छे नहीं हैं।

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