सुप्रीम कोर्ट ने उद्दव ठाकरे गुट को बड़ा झटका दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना नाम और चुनाव चिह्न के इस्तेमाल को लेकर चुनाव आयोग के फैसले पर स्टे लगाने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि अब हम चुनाव आयोग के फैसले पर रोक नहीं लगा सकते। सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव गुट की अर्जी पर दोनों पक्षों को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दो पक्षों से दो हफ्तों में जवाब मांगा है। अब सुप्रीम कोर्ट दो हफ्ते बाद इस मामले की सुनवाई करेगा।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद उद्धव ठाकरे गुट के नेता अनिल परब ने मीडिया को बातया कि हमनके अपनी सुप्रीम कोर्ट में यह डिमांड की थी कि शिंदे गुट को आवंटित चुनाव चिह्न और नाम को यथास्थिति दी जाए। लेकिन कोर्ट ने स्वीकार किया कि सुनवाई दो सप्ताह के बाद होगी तब तक हम शिवसेना (उद्धव बाला साहेब ठाकरे) के नाम के साथ जारी रख सकते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि तब तक उद्धव गुट के विधायको को न तो कोई अयोग्यता नोटिस दिया जाएगा और न ही उनके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
दूरसी ओर शिवसेना के सांसद राहुल शेवाले ने कहा कि सुप्रीम कार्ट ने आज उद्धव ठाकरे गुट द्वारा चुनाव आयोग के फैसले पर स्टे लगाने की याचिका खारिज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट न आर्डर दिया है कि शिवसेना पार्टी के इंटरनल मैटर पर फैसले लेने के लिए स्वतंत्र है। कोर्ट तर्क जमा करने के दो हफ्ते बाद फिर से सुनवाई करेगा।
क्या है चुनाव आयोग का फैसला
चुनाव आयोग ने बीते शुक्रवार को एकनाथ शिंदे गुट को शिवसेना के तौर पर अधिकृत किया है। एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले दल के पास ही पार्टी का चुनाव चिह्न धनुष और बाण रहंेगे। अपने इस फैसले में चुनाव आयोग ने उद्धव ठाकरे गुट को विवाद के दौरान आवंटित किया गया चुनाव निशान जलती मशाल अगले महाराष्ट्र विधानसभा उप चुनाव होने तक रखने की इजाजत भी दी है।
समता पार्टी भी बनेगी उद्धव के लिए मुसीबत ?
मंगलवार को ठाणे में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से कुछ सियासी लोगों ने मुलाकात की। ये बिहार की समता पार्टी से जुड़े थे। बताया जा रहा है कि इन लोगों ने एकनाथ शिंदे से चुनाव आयोग द्वारा ठाकरे गुण को आवंटित किये गये मशाल चुनाव चिह्न वापस लेने के लिए उनसे मदद मांगी है।
एकनाथ शिंदे गुट की ओर से जारी प्रेस नोट के अनुसार समता पार्टी के नेताओं ने शिंदे से कहा कि समता पार्टी का एक पुराना सियासी दल है और उसका चिह्न मशाल है लेकिन महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के बाद चुनाव आयोग ने इसे ठाकरे गुट को आवंटित कर दिया। इन नेताओं ने एकनाथ शिंदे से कहा कि वे इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चलेंजे करेंगे।