अदालती आदेश के चलते यूपी में रामपुर की विधायकी गंवाने वाले समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान को 4 जनवरी को एक और झटका लगा। उन्होंने अपने खिलाफ उत्तर प्रदेश में दर्ज सारे मामले राज्य के बाहर सुने जाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई थी। दलील रखने के लिए कपिल सिब्बल जैसे महंगे वकील को रखा गया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट में सिब्बल की कोई दलील नहीं चली और अर्जी खारिज कर दी गई।
सीजेआई चंद्रचूड़ को कपिल सिब्बल की दलील में नहीं लगा दम
आजम खान की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने तर्क किया कि उनके खिलाफ दर्ज कई मामलों में यूपी में निष्पक्ष ट्रायल नहीं होगा। इसे खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि ऐसा नहीं है कि यूपी में उन्हें न्याय नहीं मिलेगा। सीजेआई ने कहा कि सॉरी औेर ठोस वजह लाइये। उन्होंने कहा कि जब हम केस ट्रांसफर करते हैं तो हमें ट्रांसफर के लिए और ठोस कारणों की जरूरत होती है। हम आपको हाई कोर्ट जाने की आजादी दे रहे हैं लेकिन हम केस ट्रांसफर नहीं कर सकते।
आजम खी ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दलील देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में आजम खान के खिलाफ दर्ज मामलों की निष्पक्ष सुनवाई नहीं हो सकेगी। इसका प्रमाण यह है कि जिस केस में सजा होने के चलते आजम खान को रामपुर सीट से विधायकी गंवानी पड़ी, उसमें सेक्शन 482 के तहत अतिरिक्त सबूत पेश किये जाने संबंधित याचिका हाईकोर्ट में लंति ही रह गई है और मामले में आजम को सजा सुना दी गई। आज खान को सैकड़ों एफआईआर दर्ज करके परेशान किया जा रहा है। पुलिस उनके खिलाफ जाली कागजात पेश कर रही है और ट्रायल कोर्ट में उनकी आपत्ति पर विचार किए बिना कार्यवाही आगे बढ़ाई जा रही है। कोर्ट कपिल सिब्बल की दलीलों से संतुष्ट नहीं हुआ। कोर्ट ने कहा कि अगर आजम खान को किसी अदालती आदेश से दिक्कत है तो वह ऊंची अदालत में चुनौती दे सकते हैं। गलत आदेश पारित होना पक्षपात नहीं कहा जा सकता और न ही मामले को राज्य से बाहर स्थानांतरित करने का आधार बन सकता है।