छात्र को चाइनीज खाना पड़ा महंगा, शरीर का रंग हुआ बैंगनी, काटने पड़े दोनों पैर और अंगुलियां

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बता दें कि छात्र के खून और पेशाब की जांच करने के बाद पता चला कि वह निसेरिया मेनिंगिटिडिस नामक जीवाणु संक्रमण से पीड़ित था। उन्हें सेप्सिस का भी पता चला था जो संक्रमण से उत्पन्न हुआ था।

नई दिल्ली (एजेंसी)। कोरोना वायरस को लेकर चीन दुनियाभर में शक की निगाह से देखा जाता है। ऐसे में चाइनीज फूड को लेकर एक ऐसा मामला सामने आया जिसमें एक छात्र के दोनों पैर और उंगलियां काटनी पड़ गई। बता दें कि एक रेस्टोरेंट का बचा हुआ चाइनीज खाना खाने के कुछ ही देर बाद 19 साल के एक छात्र को अपने दोनों पैर और उंगलियों से हाथ धोना पड़ा।
गौरतलब है कि न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में जेसी नाम के छात्र ने रेस्टोरेंट से खाना लाने के बाद उसे अगले दिन खाया। जिसके चलते उसमें पनपे सेप्सिस और गैंग्रीन बैक्टीरिया उसके लिए जानलेवा साबित हो गए। रिपोर्ट के अनुसार, छात्र की हालत बिगड़ने के बाद उसे बोस्टन के मैसाचुसेट्स जनरल अस्पताल की बाल चिकित्सा गहन चिकित्सा इकाई (PICU) में भर्ती कराया गया। रिपोर्ट के मुताबिक, “शुरुआती 20 घंटे तक मरीज ठीक था, लेकिन बाद में उसके पेट में दर्द शुरू हो गया। उसके शरीर का रंग बदलने लगा। और यह उसके पूरे शरीर फैलने लगा। उसने एक रेस्तरां से चावल, चिकन और लो मीन खाया था।”
न्यूयॉर्क पोस्ट के अनुसार, वह व्यक्ति रेस्तरां में काम कर रहा था। चीनी दुकान से बचा हुआ खाना खाने के बाद उसे ठंड लगना, सांस लेने में तकलीफ, सिरदर्द, धुंधली दृष्टि और सीने में दर्द होने लगा। मरीज के एक दोस्त ने कहा कि उसकी त्वचा “बैंगनी” होने लगी थी। गौरतलब है कि उसके शरीर में सेप्सिस इंफेक्शन फैल गया था।
रक्त और पेशाब की जांच के बाद पता चला कि मरीज निसेरिया मेनिंगिटिडिस नामक जीवाणु संक्रमण से पीड़ित था। उन्हें सेप्सिस का भी पता चला था जो संक्रमण से उत्पन्न हुआ था और इससे उसे गैंग्रीन भी हो गया था। बता दें कि डॉक्टरों को 19 वर्षीय की जान बचाने के लिए उसकी सभी उंगलियां और दोनों पैरों को काटने पड़े। जांच में पता चला कि बैक्टीरियल इंफेक्शन के चलते जेसी की किडनी फेल हो गई थी। इसके अलावा उसका खून भी जमने लगा था। सेप्सिस इंफेक्शन उसके शरीर में फैल गया था। इलाज के दौरान छात्र करीब 26 दिनों तक बेहोश रहा।
बता दें कि हम कमरे के तापमान पर ठंडा होने के खाने को फ्रिज में रखते हैं। जिसकी वजह से उसमें बैक्टीरिया और दूसरे हानिकारक माइक्रोऑर्गेनिज्म विकसित होने लगते हैं। जोकि हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।

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