गोरखपुर| यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि सामाजिक क्रांति शिक्षा के बगैर संभव नहीं है। शिक्षा सामाजिक रूढ़ियों पर प्रहार करने का माध्यम है। गोरक्षपीठ ने सदैव उन रूढ़ियों का विरोध किया है जो सामाजिक एकता में बाधक रही हैं। गोरक्षपीठ ने शिक्षा को सर्वांगीण विकास का माध्यम बनाने के लिए ही महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की थी। मुख्यमंत्री योगी शुक्रवार को महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के 89वें संस्थापक सप्ताह समारोह के समापन पर आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे थे। इस अवसर पर मुख्य अतिथि केंद्रीय शिक्षा, कौशल एवं उद्यमिता विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा के बिना कोई भी समाज सभ्य और संस्कारयुक्त होने की कल्पना नहीं कर सकता और जब सभ्यता और संस्कार नहीं होगा तो समाज में समृद्धि कहां से आएगी। कहा कि 1932 में जब युगपुरुष महंत दिग्विजयनाथ ने महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की नींव रखी होगी तो उनके मन में यकीनन यही भाव रहा होगा कि आजाद भारत के नागरिकों का स्वरूप क्या हो। आज परिषद की संस्थाएं उनके भाव का साकार रूप में प्रतिनिधित्व कर रही हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा धर्म हमें सिर्फ उपासना विधि तक सीमित नहीं रखता। भारतीय मनीषा ने सिर्फ उपासना विधि को संपूर्ण धर्म नहीं माना।
सीएम योगी ने कहा कि धर्मस्थलों का स्वरूप सिर्फ पूजा के स्थलों तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि इसे नेतृत्व करते दिखाई देना चाहिए। गोरक्षपीठ के संतों-महंतों का यही ध्येय रहा। गोरक्षपीठ महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के जरिये न केवल शिक्षा वरन आरोग्यता और समाज सेवा को भी समर्पित है। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद देश के नागरिक का स्वरूप क्या हो, इसी को ध्यान में रखकर युगपुरुष महंत दिग्विजयनाथ ने 1932 में शिक्षा परिषद का नामकरण महानायक महाराणा प्रताप के नाम पर किया। आत्म बलिदान और शौर्य की चर्चा का नाम है महाराणा प्रताप। महाराणा प्रताप ने स्वदेश और स्वाभिमान से बढ़कर कुछ नहीं माना। उनके नाम पर स्थापित इस शिक्षा परिषद राष्ट्रीयता से ओतप्रोत प्राचीन गुरुकुल पद्धति का नवीनतम रूप है।
उन्होंने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू हो चुकी है। हरेक संस्था को चाहिए कि वह सरकार की इस नीति की मंशा के अनुरूप कार्य योजना बनाएं। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के जब तक परिणाम आएंगे, तब तक महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद अपनी स्थापना का शताब्दी वर्ष मना रहा होगा। परिषद से जुड़ी सभी संस्थाएं इसके परिणामों से खुद को जोड़ने की तैयारी में जुट जाएं।
महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के संस्थापक सप्ताह के समापन अवसर पर दिवंगत सीडीएस (चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ) जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत, विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान समेत 13 सैन्यकर्मियों को भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई। साथ ही हेलिकॉप्टर क्रैश में एकमात्र जीवित बचे देवरिया निवासी ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की गई। गौरतलब है कि गत वर्ष महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के संस्थापक सप्ताह के उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में जनरल बिपिन रावत गोरखपुर आए थे और अपने ओजस्वी वक्तव्य से छात्रों को प्रेरित किया था।
उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जनरल बिपिन रावत एक उत्कृष्ट सैन्य अधिकारी और संपूर्ण समर्पित भाव के सैनिक के उत्कृष्टतम उदाहरण थे। दिवंगत होने से पूर्व सात दिसंबर को दिया गया उनका वक्तव्य उनकी दूरदर्शिता का प्रमाण है जिसमें उन्होंने भविष्य में जैविक युद्ध की आशंकाओं पर चिंता जाहिर करते हुए तैयार रहने की बात कही थी। इसी क्रम में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि जनरल रावत का मानना था कि सेना एक नौकरी नहीं बल्कि देश सेवा का मौका है। उन्होंने विश्व में बायोलॉजीकल और केमिकल वार पर चिंता जताई थी और आज पूरे विश्व के विद्वान इस पर चिंता कर रहे हैं। कार्यक्रम के दौरान जनरल रावत व अन्य दिवंगत सैन्यकर्मियों की याद में दो मिनट मौन रहकर प्रार्थना की गई।