गोवा में सीएम पद के लिए प्रमोद सावंत और उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी, जानें इन दोनों के सलेक्‍शन के पीछे क्‍या है बीजेपी की रणनीति

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पांच राज्‍यों के चुनाव नतीजे आने के बाद यूपी, गोवा, उत्‍तराखंड और मणिपुर में बीजेपी ने चारों चेहरों को बनाए रखा है। नरेंद्र मोदी और अमित शाह के नेतृत्‍व में पार्टी ने बेवजह के बदलाव से खुद को दूर रखकर बड़ा संदेश दिया है।

 द न्यूज 15 
नई दिल्ली। उत्‍तर प्रदेश, पंजाब, गोवा, उत्‍तराखंड और मणिपुर विधानसभा चुनाव 2022 में पंजाब छोड़कर बीजेपी ने सभी राज्‍यों में जीत दर्ज की है। उत्‍तर प्रदेश में पहले से ही योगी आदित्‍यनाथ को पार्टी ने सीएम के रूप में प्रोजेक्‍ट कर दिया था, लेकिन गोवा, उत्‍तराखंड में सीएम पद की रेस बेहद कड़ी नजर आ रही थी। पुष्‍कर सिंह धामी पार्टी को जीत दिलाने में तो सफल रहे, लेकिन वह अपनी सीट हार गए। इसी प्रकार से गोवा में प्रमोद सावंत पार्टी का बड़ा चेहरा तो थे, लेकिन मुकाबला वहां भी कड़ा रहा। बहरहाल, पार्टी के निर्णय को देखा जाए तो चारों राज्‍यों- यूपी, उत्‍तराखंड, मणिपुर और गोवा में चारों मुख्‍यमंत्रियों में से किसी को भी हटाया नहीं गया है, उन्‍हें बनाए रखा गया है। राजनीतिक मामलों के जानकार इसे कुछ ऐसे देख रहे हैं कि जब तक नतीजे संतोषजनक आ रहे हैं तब तक बेवजह के बदलाव से बचा जाए।

चुनाव में पुष्कर सिंह धामी की निजी हार को पार्टी ने दरकिनार कर दिया। सोमवार को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद के लिए चुना, जबकि प्रमोद सावंत को सहयोगी विश्वजीत राणे की महत्वाकांक्षाओं के बावजूद गोवा में सीएम पोस्‍ट के लिए उपयुक्‍त माना गया। धामी को शीर्ष पद के लिए मंजूरी देना भाजपा की उत्तराखंड इकाई में गुटीय विभाजन को रोकने के प्रयास के रूप में देखा जा सकता है, क्‍योंकि बीजेपी के पिछले शासनकाल में सबसे पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत, उसके बाद तीरथ सिंह रावत को कमान सौंपी गई थी, लेकिन सरकार का कार्यकाल पूरा होने से कुछ समय पहले पुष्‍कर सिंह धामी को लाना पड़ा।
उत्‍तराखंड की सियासत ने पिछले चार साल में तीन मुख्‍यमंत्रियों को देखा। ऐसे में धामी के रूप में बीजेपी पार्टी राज्‍य में स्थिरता को महत्‍व देती नजर आ रही है। अब मुख्‍यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद राज्य के सबसे युवा मुख्यमंत्री, 46 वर्षीय पुष्‍कर सिंह धामी के छह महीने के भीतर उपचुनाव जीतना होगा।
राज्य में पार्टी के “केंद्रीय पर्यवेक्षकों” में से एक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संवाददाताओं से कहा, “छह महीने में, धामी ने उत्तराखंड पर अपनी छाप छोड़ी, जो चुनाव परिणामों में प्रकट हुई।” उन्होंने कहा कि भाजपा ने एक बार फिर धामी पर विश्वास जताया है क्योंकि वह अच्छी तरह जानते हैं कि सरकार कैसे चलाई जाती है, उन्होंने कहा कि सभी विधायकों ने सर्वसम्मति से उनका समर्थन किया।

गोवा में भी पार्टी ने बदलाव की जगह स्थिरता को ही विकल्‍प चुना और प्रमोद सावंत को दूसरे कार्यकाल के लिए चुना और बीते 11 दिनों से चले आ रहे सस्‍पेंस को खत्‍म कर दिया। राज्य के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे लगातार सीएम पद की रेस में थे, लेकिन पार्टी ने सावंत पर ही भरोसा जताया।

सूत्रों ने कहा कि भाजपा को 40 सदस्यीय गोवा विधानसभा में अपने दम पर 20 सीटें हासिल करने के साथ ही पूर्ण बहुमत के लिए निर्दलीय विधायकों का महत्वपूर्ण समर्थन मिलना सावंत के पक्ष में गया। सावंत को पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के बेटे सहित कुछ प्रमुख हस्तियों के इस्तीफे के बावजूद सत्ता विरोधी लहर पर काबू पाने और पार्टी को जीत की ओर ले जाने का इनाम दिया गया है। भाजपा ने 2012 में पर्रिकर के नेतृत्व में बहुमत हासिल किया था, तब उसे 21 सीटें मिली थीं।

धामी और सावंत दोनों को रविवार शाम को पीएम मोदी के आवास पर एक बैठक के बाद अंतिम हरी झंडी मिली, जिसे लेकर 10 मार्च को चुनाव परिणाम आने के बाद लगातार चर्चा चल चल रही थी।

दो बार के विधायक रहे धामी को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का करीबी माना जाता है। ये निर्णय दर्शाते हैं कि कैसे पीएम मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में भाजपा की टॉप लीडरशिप ने 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले युवाओं, निरंतरता और दबाव में प्रदर्शन करने की क्षमता पर जोर दिया है।

वहीं, मणिपुर की कमान एन बीरेन सिंह के हाथों में दोबारा सौंप दी गई, हालांकि दूसरी बार सीएम पद के लिए हरी झंडी पाने के लिए उनके सामने भी चुनौती पेश करने वाले मौजूद थे रहे। इस तरह धामी, एन बीरेन सिंह और प्रमोद सावंत को बीजेपी ने उनके विरोधियों पर तरजीह देते हुए उन्‍हें मुख्‍यमंत्री के तौर पर बनाए। केवल योगी आदित्‍यनाथ ऐसे सीएम रहे, जिन्‍हें दूसरी पारी के लिए पार्टी के भीतर किसी और नेता की चुनौती का सामना नहीं करना पड़ा।

अब सभी की निगाहें उत्तर प्रदेश में एक और फैसले पर टिकी हैं, पीएम मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के करीबी माने जाने वाले उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को इस बार अपनी सीट गंवाने के बावजूद क्‍या डिप्‍टी सीएम पोस्‍ट मिलेगी या नहीं?

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