राहुल गांधी का कद खुद ही घटा रहे विपक्षी क्षेत्रीय दल ! 

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चरण सिंह 

विपक्ष बीजेपी को क्या खाक टक्कर देगा। जब विपक्ष एकजुट ही नहीं हो पाता है। क्षेत्रीय दल कांग्रेस को नीचा दिखाने में लगे हैं तो कांग्रेस क्षेत्रीय दलों को। जब कांग्रेस ने विपक्षी एकता की बात कर चुनाव सुधार के लिए अभियान छेड़ने की तैयारी कर ली है। ऐसे में टीएमसी की मुखिया ममता बनर्जी ने उप चुनाव में हार का मुद्दा उठाकर खुद के इंडिया गठबंधन की कमान संभालने की बात कर सीधे सीधे प्रतिपक्ष नेता राहुल गांधी की राजनीतिक काबिलियत पर उंगली उठा दी है। समाजवादी पार्टी ने ममता बनर्जी के इस बयान पर सहमति भी जता दी है। मतलब विपक्ष को कमजोर करने के लिए  बीजेपी को कुछ करने की जरुरत नहीं है। विपक्षी क्षेत्रीय दल ही बहुत हैं।

लोकसभा में कांग्रेस के नेता रहे अधीर रंजन चौधरी ऐसे ही ममता बनर्जी पर खार खाये रहते थे।  जब लोकसभा चुनाव में ममता बनर्जी ने किसी सहयोगी दल को एक सीट भी नहीं दी तो सब की समझ में आ गया। दरअसल ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल और अखिलेश यादव राहुल गांधी का कद बढ़ते देखना नहीं चाहते थे। अखिलेश यादव ने तो लोकसभा चुनाव में इसलिए कांग्रेस से गठबंधन किया था, क्योंकि उनकी समझ में  आ गया था कि उत्तर प्रदेश के मुसलमान कांग्रेस को ज्यादा पसंद कर रहा है। उसका फायदा भी अखिलेश को हुआ। उप चुनाव में कांग्रेस को सीट न देने का खामियाजा भी सपा ने भुगत लिया।

देखने की बात यह है कि पटना, बेंगलुरु और मुंबई के बाद जब इंडिया ब्लॉक की बैठक दिल्ली में हुई तो ममता बनर्जी ने संयोजक के लिए जो मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम प्रस्तावित किया और अरविन्द केजरीवाल ने उनकी समर्थन किया। वह ममता बनर्जी का बड़ा दांव था, जिसमें न केवल नीतीश कुमार बल्कि राहुल गांधी को भी दरकिनार करने की रणनीति थी। हालांकि नीतीश कुमार उनकी चाल को समझ गए और नाराज होकर दिल्ली से फ्लाइट पकड़ कर सीधे पटना लौट गए और बाद में एनडीए में शामिल हो गए।
ममता बनर्जी ने फिर से इंडिया ब्लॉक की कमान संभालने की इच्छा जाहिर कर एक तरह से राहुल गांधी का कद कम करने का काम किया है। जब राहुल गांधी प्रतिपक्ष नेता हैं तो फिर इंडिया ब्लॉक की कमान तो राहुल गांधी के हाथ में ही जाएगी। इसका मतलब यह है कि उत्तर प्रदेश उप चुनाव का रिएक्शन सामने आने लगा है। कांग्रेस ने अखिलेश को हरियाणा में सीट नहीं दी थी तो अखिलेश ये उत्तर प्रदेश उप चुनाव में नहीं दी। कांग्रेस ने संसद में समाजवादी पार्टी की दो सीटों में से एक कर दी। अब क्षेत्रीय दल कांग्रेस पर दबाव बना रहे हैं। ममता बनर्जी ने इंडिया ब्लॉक की कमान संभालने का बयान ऐसे ही नहीं दिया है। कहीं न कहीं कई क्षेत्रीय दलों से बात करके ही ममता बनर्जी ने यह बयान दिया है।
तो यह माना जाए कि विपक्ष को न मिलने देने की रणनीति बीजेपी की लगातार सफल हो रही है। लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी ने जहां इंडिया ब्लॉक के सूत्रधार नीतीश कुमार को विपक्ष से तोड़ा, वहीं जयंत चौधरी, ओमप्रकाश राजभर, संजय निषाद, अजित पवार को भी तोड़ लिया। ममता बनर्जी ने बीजेपी के दबाव में ही सहयोगी दलों को सीट नहीं दी थी। हालांकि टीएमसी की यह रणनीति उनके लिए लाभदायक साबित हुई। अब देखना यह होगा कि ममता बनर्जी का यह बयान राजनीति के क्षेत्र में क्या गुल खिलाएगा ?

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