चरण सिंह
जदयू में जिस तरह से इस बात की चर्चा है कि नीतीश कुमार के बाद जदयू बिखर जाएगा। सेकंड लाइन के नेता उसे कब्ज़ा लेंगे। ऐसे में नीतीश कुमार के बेटे निशांत के तेवर और उनकी जदयू में लाने की मांग से लगने लगा है कि जदयू की बागडोर अब नीतीश कुमार का बेटा निशांत कुमार संभालने वाला है। वैसे भी उनके जदयू ज्वाइन करने और राष्ट्रीय महासचिव बनाने की मांग उठने लगी है।
दरअसल नीतीश कुमार की पत्नी मंजू सिन्हा की जयंती पर जब उनसे पत्रकारों ने जदयू ज्वाइन करने के बारे में पूछा तो वह टाल गए पर उन्होंने जदयू कार्यकर्ताओं का आह्वान किया कि वे जनता को बताएं कि कैसे उनके पिता ने बिहार में विकास कराया। निशांत ने आज के हालात को देखते हुए बड़ी बात यह बोल दी कि जदयू और बीजेपी दोनों ही घोषणा करें कि उनके पिता के नेतृत्व में ही एनडीए सरकार बनेगी।
दरअसल निशांत का यह बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि जदयू में सेकेंड लाइन के नेता ललन सिंह और संजय सिन्हा पर बीजेपी के साथ सटने के आरोप लग रहे हैं। ऐसे में जदयू के बारे में उन्होंने बोलकर अपने तेवर दिखा दिए हैं। मतलब निशांत जब्द ही राजनीति में आकर जदयू की बागडोर संभालने वाले हैं।
इसमें दो राय नहीं कि पीएम मोदी ने नीतीश कुमार को लाडला तो बोला पर उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि नीतीश कुमार ही एनडीए के मुख्यमंत्री बनेंगे। ऐसे में फिर से इस बात की चर्चा शुरू हो गई है कि यदि बीजेपी नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री नहीं बनाती है तो फिर वह क्या करेंगे। जहां तक निशांत की राजनीति में आने की बात है तो नीतीश कुमार पहले वह माहौल बना रहे हैं कि उन पर वंशवाद का आरोप न लगे।
दरअसल नीतीश कुमार वंशवाद के विरोध में मुखर रहे हैं। लालू प्रसाद पर भी वह वंशवाद का आरोप लगाते रहे हैं। ऐसे में उन पर भी वंशवाद का आरोप न लग जाएं ऐसे में वह माहौल बना रहे हैं कि जदयू को बचाने के लिए उन्हें ऐसा करना पड़ा। ऐसे में प्रश्न उठता है कि यदि निशांत राजनीति में आ भी जाते हैं तो परिपक्व नेता तेजस्वी यादव, चिराग पासवान और प्रशांत किशोर का सामना कैसे करेंगे ? इसमें दो नहीं कि निशांत कुमार की छवि और सादगी का कोई जवाब नहीं। उन्होंने कभी अपने पिता के रुतबे का कोई फायदा नहीं उठाया। निशांत को कहीं किसी तरह के विवाद में नहीं पड़ते देखा गया। कुछ समय से वह जो बयान दे रहे हैं तो वह किसी मझे हुए नेता के बयान दिखाई देते हैं।